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झांसी: बंजर हो जाएगी जमीन, भूमिगत जल को दोहन न रोका तो बुरे होंगे हालात

कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि यह धरती जिस पर हम खेती करते हैं, हमें यह अपने पूर्वजों से विरासत में मिली है ।हमारे पूर्वज भी इसी धरती पर खेती करते थे।

Roshni Khan
Published on: 4 Jan 2021 2:21 PM IST
झांसी: बंजर हो जाएगी जमीन, भूमिगत जल को दोहन न रोका तो बुरे होंगे हालात
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झांसी: बंजर हो जाएगी जमीन, भूमिगत जल को दोहन न रोका तो बुरे होंगे हालात (PC: social media)

झांसी: कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि यदि हमने प्राकृतिक संसाधनों का दोहन न रोका और रसायनों से तौबा नहीं की तो आने वाले समय में हालात बहुत बुरे हो सकते हैं। खेती योग्य भूमि बंजर हो सकती है और फसल उत्पाद ही बीमारियों की वजह बन सकते हैं।

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कृषि वैज्ञानिकों का कहना है

कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि यह धरती जिस पर हम खेती करते हैं, हमें यह अपने पूर्वजों से विरासत में मिली है ।हमारे पूर्वज भी इसी धरती पर खेती करते थे। हम भी इसी धरती पर खेती कर रहे हैं और भविष्य में हमारी आने वाली पीढ़ियां /संतानें भी इसी धरती पर ही खेती करेंगी। हमारे पूर्वज जब इस धरती पर खेती करते थे, उस समय भूमि की उर्वरता संपन्न थी। भूमि में नीचे भूगर्भ जल प्रचुर मात्रा में था। और जैव विविधता संपन्न थी। उस समय उत्पादकता भले ही कम थी, लेकिन उत्पादों/उत्पादन की गुणवत्ता बेहतर थी।

धरती पर रहने वाली सभी इकाइयां खुश थी

धरती पर रहने वाली सभी इकाइयां खुश थी। गांव में रहने वाले सभी एक दूसरे का सहयोग करते थे और सभी खुश थे। जब हमने उत्पादन बढ़ाने के लिए आधुनिक कृषि तकनीक का इस्तेमाल किया । तब हमने अपनी फसलों का उत्पादन बढ़ाने के लिए फसलों की अधिक पैदावार देने वाली उन्नतशील प्रजातियों का प्रयोग किया। आधुनिक कृषि तकनीकी को अपनाना शुरू किया। खेतों में रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग किया। फसलों को कीट एवं रोगों से बचाने के लिए फसल सुरक्षा रसायनों का प्रयोग किया।

फसल उत्पादन करने में आधुनिक मशीनों का उपयोग किया

फसल उत्पादन करने में आधुनिक मशीनों का उपयोग किया। तब से यह बात सही है ,कि हमारा उत्पादन अवश्य बढ़ा लेकिन वह उत्पादन रसायन युक्त हुआ । भोजन में स्वाद नहीं रहा। अधिक उत्पादन के लालच में रसायनों का प्रयोग करने से रसायन युक्त भोजन एवं प्रदूषित पानी के सेवन से मानव स्वास्थ्य खराब हुआ और हम अपनी बीमारियों को लेकर चिकित्सकों की शरण में चले गए। यही नहीं, अब हमारी मृदा का स्वास्थ्य, पशुओं का स्वास्थ्य भी खराब हो गया है। और पर्यावरण भी प्रदूषित होने के साथ-साथ जलवायु परिवर्तन होने लगा है।

भूगर्भ जल समाप्त हो जायेगा

आधुनिक कृषि तकनीक के चलते, अधिक उत्पादन के लालच में, यदि हमारा खेती करने का तरीका यूं ही चलता रहा, तो वह दिन दूर नहीं, जब हमारी भूमियों की उर्वरता खत्म हो जाएगी। और भूमिया बंजर हो जाएगी। भूगर्भ जल समाप्त हो जायेगा। और जैव विविधता भी खत्म हो जाएगी। और जब यह स्थिति उत्पन्न हो जाएगी , तो उस समय सवाल यह होगा, कि हम खेती कैसे करें। तब स्थिति यह होगी, कि हमें सांस लेने के लिए शुद्ध हवा, खाने के लिए शुद्ध भोजन और पीने के लिए शुद्ध पानी भी नसीब नहीं हो पाएगा।

यह स्थिति उत्पन्न हुई, तो उस समय हम चाहते हुए भी कुछ नहीं कर पाएंगे

यदि यह स्थिति उत्पन्न हुई, तो उस समय हम चाहते हुए भी कुछ नहीं कर पाएंगे। आज की मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए और भविष्य को ध्यान में रखकर हमें यह अवश्य सोचना चाहिए, कि हमारे मरने के बाद इस धरती पर हमारी संतानों को भी खेती करना है। जब भूमि की उर्वरता खत्म हो जाएगी। भूमि बंजर हो जाएगी। भूमि के नीचे भूगर्भ जल समाप्त हो जाएगा और जैव विविधता खत्म हो जाएगी , तो उस स्थिति में हमारी संतानें इस धरती पर कैसे खेती कर पाएंगी। तब क्या होगा।

आज वक्त की जरूरत को देखते हुए और भविष्य में आने वाली समस्याओं को ध्यान में रखते हुए

आज वक्त की जरूरत को देखते हुए और भविष्य में आने वाली समस्याओं को ध्यान में रखते हुए, हमारे लिए जरूरी है- कि हम अपनी भूमियों से अधिक उत्पादन लेने का लालच छोड़कर, भूमि की उर्वरता को निरंतर बनाए रखने में, भूमि में भूगर्भ जल उपलब्ध रहे और जैव विविधता बनी रहे , हमें इस और ध्यान देने की आवश्यकता है। यदि वक्त की जरूरत और भविष्य को ध्यान में रखकर हमने खेती करना शुरू नहीं किया ।

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प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण और जैव विविधता का संवर्धन नहीं किया, तो वह दिन दूर नहीं, कि जब हम रसायन युक्त भोजन व प्रदूषित हवा, पानी के सेवन से बीमार होकर मरने लगेंगे अथवा भूखे मर जाएंगे अन्यथा आपस में लड़ -लड़ कर मर जाएंगे। इसलिए समय रहते हमें चाहिए, कि हम अपनी भूमियों से अधिक उत्पादन का लालच छोड़ , प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण और जैव विविधता के संवर्धन को बनाए रखें। कि भविष्य में हमारी संतानें इस धरती पर खुशी से जी सकें।

रिपोर्ट- बी.के.कुशवाहा

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