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तैयार हुए झांसी के 109 स्कूल, 700 का हो रहा कायाकल्प, देंगे निजी स्कूलों को मात...
बदलाव की कहानियों से अगर आमने- सामने का अनुभव हासिल करना चाहते हैं तो आपको झांसी के प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों और उनके अभिभावकों के अनुभवों से रूबरू होना पड़ेगा.
लखनऊ। कोरोना महामारी की वजह से पूरे देश और दुनिया में भले ही गतिविधियां ठप हुई लेकिन इसी इसी दौर में झांसी के अधिकारियों ने सरकारी स्कूलों का इंफ्रास्ट्रक्चर पूरी तरह बदल डाला है। जिले के 700 स्कूलों का कायाकल्प किया जा रहा है, वहीं 109 स्कूलों के प्रवेश द्वार से लेकर क्लासरूम तक सभी का कायाकल्प हो गया है। इंफ्रास्ट्रक्चर के मामले में निजी स्कूलों को मात देने के लिए तैयार इन विद्यालयों को अब कोरोनावायरस का प्रकोप खत्म होने और स्कूलों के खुलने का इंतजार है, जब बच्चे यहां पहुंचेंगे और ऊर्जा से भरे क्लास रूम में अपने सपनों को ऊंची उड़ान देंगे।
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विद्यालयों में बच्चों के पठन-पाठन के लिए
बदलाव की कहानियों से अगर आमने- सामने का अनुभव हासिल करना चाहते हैं तो आपको झांसी के प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों और उनके अभिभावकों के अनुभवों से रूबरू होना पड़ेगा. एक साल पहले तक जिन विद्यालयों में बच्चों के पठन-पाठन के लिए सामान्य सुविधाएं भी उपलब्ध नहीं थी.
फोटो-सोशल मीडिया
शौचालय से लेकर स्कूल के विभिन्न कक्षाओं तक सभी चीजें अपनी दुर्दशा की कहानी सुना रहे थे अब वहां स्वच्छता और सुंदरता दिखाई दे रही है . यह सब प्रदेश सरकार के ऑपरेशन कायाकल्प के तहत संभव हुआ है .
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109 विद्यालयों में ढांचागत सुधार
कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी, कंपोजिट स्कूल ग्रांट, पंचायती राज विभाग ,खनिज निधि और स्थानीय निकाय के फंड से जिले के 1202 प्राथमिक और 564 पूर्व माध्यमिक विद्यालयों में से 109 विद्यालयों में ढांचागत सुधार को पूरा किया जा चुका है.
फोटो-सोशल मीडिया
सरकारी स्कूलों को भी निजी स्कूलों से बेहतर
इसके तहत स्कूलों की दीवारों पर सुंदर व बोधगम्य चित्रों का निर्माण करने के साथ ही चारदीवारी, सीसी रोड, कार्यालय कक्ष सुधार, फर्श का टाइल परिवर्तन, स्कूल परिसर सुंदरीकरण का कार्य कराया गया है। विद्यालयों के ढांचागत सुधार में औसत 4 से ₹5 लाख खर्च किए गए हैं।
केवल कुछ विद्यालय ऐसे हैं जहां 10 से 12 लाख रुपये भी खर्च करने पड़े हैं लेकिन स्कूलों में हुए बदलाव अत्यंत प्रभावकारी है। स्कूल फर्नीचर से लेकर अन्य ढांचागत बदलाव इस तरह किए गए हैं कि सरकारी स्कूलों को भी निजी स्कूलों से बेहतर मानने के लिए सभी मजबूर हो रहे हैं।
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स्थानीय लोगों का कहना है कि जिस तरह का बदलाव हुआ है उसका असर बच्चों पर अभी से दिखाई देने लगा है कोरोना की वजह से फिलहाल स्कूल बंद है लेकिन बच्चों को बेसब्री से इंतजार है कि कब स्कूल खुले और वह बेहतर माहौल में पढ़ाई शुरू कर सकें. झांसी के जिलाधिकारी आंद्रा वामसी बताते हैं कि स्कूलों में ढांचागत सुधार की दिशा में जब काम शुरू हुआ तो हमारी सबसेे बड़ी चुनौती स्कूलों को सुरुचिपूर्ण शैक्षिक माहौल प्रदान करना रहा। पंचायत राज विभाग, सीएसआर फंड और कंपोजिट स्कूल ग्रांट की मदद से स्कूलों में सुविधाओं के विकास का लक्ष्य हासिल करने में विभागीय अधिकारियों नेे भी बढ़-चढ़कर सहयोग किया हमारी कोशिश है कि जिले के शेष स्कूलों में भी अगले चरण का काम जल्द पूरा कर सकें।
रिपोर्ट-अखिलेश तिवारी