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सम्राट, डॉन व तूफान कसते हैं अपराधियों पर नकेल, इन डॉग स्ववायड में है खास हुनर

झांसी मंडल रेलवे स्टेशन में रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) ने सिर्फ जल्द ही पहले और हाइटेक नजर आएगी बल्कि यात्रियों की सुरक्षा भी पहले से और पुख्ता हो जाएगी। यह संभव होगा स्नैफर डॉग की मौजूदगी से।

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Published on: 15 March 2021 12:07 AM IST
सम्राट, डॉन व तूफान कसते हैं अपराधियों पर नकेल, इन डॉग स्ववायड में है खास हुनर
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रेल सुरक्षा बल में शरारती तत्वों के द्वारा किए जाते अपराधों की निशानदेही के लिए आरपीएफ टीमों की मदद के लिए डॉग- स्क्वायड रखे गए हैं

झांसी। बड़े अपराधों के बाद आपने अक्सर डॉग स्क्वायड को देखा होगा। ये डॉग सूंघकर अपराधी तक पहुंच जाते हैं, लेकिन इस सबके पीछे होती है इनकी ट्रेनिंग और ट्रेनर की तैयारी। इन्हें लगभग नौ माह प्रशिक्षण दिया जाता है। इन डॉग के खान पान का भी विशेष ध्यान रखा जाता है। यही नहीं, इनकी रिटायरमेंट की उम्र भी होती है। रिटायर होने के बाद भी इन्हें पूरे ऐसो आराम से रखा जाता है। आइए जानते हैं आरपीएफ झाँसी के तीन डॉग स्क्वायड के काम के बारे में।

रेल सुरक्षा बल में शरारती तत्वों के द्वारा किए जाते अपराधों की निशानदेही के लिए आरपीएफ टीमों की मदद के लिए डॉग- स्क्वायड रखे गए हैं, ताकि उनको प्रशिक्षण के बाद हर अपराध की निशानदेही पर ढूंढने में मदद मिल सके। बताते हैं कि आरपीएफ के साथ तीन डॉग स्क्वायड यानि तीन खोजी कुत्ते भी शामिल हैं जो कि बड़े से बड़े अपराधों में आरपीएफ टीम की मदद करते हैं।

सुरक्षा व्यवस्था पुख्ता करने स्वान की मदद लेगा आरपीएफ

झांसी मंडल रेलवे स्टेशन में रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) ने सिर्फ जल्द ही पहले और हाइटेक नजर आएगी बल्कि यात्रियों की सुरक्षा भी पहले से और पुख्ता हो जाएगी। यह संभव होगा स्नैफर डॉग की मौजूदगी से। आरपीएफ जवानों के साथ स्नैफर डॉग यात्रियों की सुरक्षा में स्टेशन का निरीक्षण करता है। इसके बाद स्नैफर डॉग झाँसी स्टेशन में आरपीएफ के साथ आतंकवादी गतिविधियों एवं नशीले पदार्थों के परिवहन के रोकथाम में मदद करेगा। झाँसी मंडल में छह श्वान दस्ता है। इनमें चार झाँसी व दो ग्वालियर में है।

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आरपीएफ को दिखाएगा रास्ता

पुलिस अक्सर आपराधिक मामलों को सुलझाने में स्नैफर डॉग की मदद लेती है। स्नैफर डॉग घटनास्थल पर सबूतों के आधार पर अपराधियों को पकड़ने में पुलिस को रास्ता दिखाते हैं। आरपीएफ ने भी खुद को हाईटेक करने की दिशा में कदम बढ़ाते हुए स्नैफर डॉग की सुविघा के लिए प्रक्रिया शुरु की है। स्नैफर डॉग की मौजूदगी से आरपीएफ को न सिर्फ यात्रियों की सुरक्षा व्यवस्था पुख्ता करने में बल्कि यह नशीले पदार्थों के परिवहन को रोकने में भी काफी मददगार साबित होगी।

सुरक्षा और भरोसा देते हैं स्नैफर डॉग

स्टेशन या फिर किसी भी जगह बम की सूचना की जांच आरपीएफ स्नैफर डॉग की मदद से झट से कर लेती है। विशेषज्ञों की मानें तो स्नैफर डॉग सुरक्षा और भरोसा देते हैं। इसके सुंघन और कार्य करने की क्षमता इतनी तेज होती है कि यह पल भर में किसी भीगलत गतिविधि को पहचान लेते हैं। भीड़-भाड़ वाला क्षेत्रों में और त्योहारों के दौरान स्नैफर डॉग काफी मददगार साबित होता है। वीआईपी की सुरक्षा में भी यह भूमिका निभाता है। जहां वीआईपी को जाना जाता है वहां जांच कर अपनी तरफ से क्लीनचिट देता है। इसके बाद ही वीआईपी को ले जाया जाता है। आरपीएफ या पुलिस के माथे पर बनी चिंता की लकीरें भी इन्हीं डॉग की मदद से मिटती है।

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सम्राट करता हैं बारुद की पहचान

आरपीएफ डॉग स्क्वायड में तैनात सम्राट स्क्वायड लैबराडोर ब्रीड की है। सम्राट ने 2014 में आयोजित आरपीएफ ऑल इंडिया मीट में भाग लिया था। यहां पर तीसरा स्थान प्राप्त किया था। यह प्रतियोगिता हुबली में आयोजित की गई थी। इसका काम आरपीएफ टीम के साथ बारुद यानि एक्सप्लोजर की पहचान कर अपराधी को ढूंढने में मदद करती है। इसका ट्रेनर मुख्य आरक्षी निकेश चौधरी है।

तूफान करता है ट्रेकर, मर्डर व चोरी की पहचान

आरपीएफ डॉग स्क्वायड तूफान ट्रेकर, मर्डर व चोरी के दौरान निशानदेही करने में आरपीएफ की मदद करता है। यह जर्मन शेफरड नस्ल का है। इसका ट्रेनर एएसआई बी डी वर्मा है।

क्या कहना है डॉग स्क्वायड इंचार्ज का

आरपीएफ श्वान दस्ता व डिटेक्टिव विंग का प्रभार डिटेक्टिव विंग प्रभारी एस एन पाटीदार पर है। इनके साथ श्वान दस्ता में सहायक उपनिरीक्षक एस एन पाटीदार, एएसआई बी डी वर्मा, मुख्य आरक्षी निकेश चौधरी व भगवान दास शामिल है। यह टीम रेल सुरक्षा बल के मंडल सुरक्षा आयुक्त आलोक कुमार के नेतृत्व में काम करती है। बताते हैं कि हरेक डॉग स्क्वायड को दयाबस्ती दिल्ली में आरपीएफ अकादमी में प्रशिक्षण दिया जाता है।

जहां पर एक महीने से डॉग की ट्रेनिंग शुरु हो जाती है और नौ महीने तक डॉग खोजी कुत्ते को हर प्रकार के अपराध की पहचान करने के लिए अलग-अलग ट्रेनर के अधीन प्रशिक्षण दिया जाता है। जिसमें प्रशिक्षण के दौरान खोजी कुत्तों को हर प्रकार के अपराध यानि गोली-बारुद, खून, नशा जैसी चीजों की गंध को पहचाने यानि सूंघने की पहचान में पूरी तरह प्रशिक्षित कर दिया जाता है। जब खोजी कुत्तों यानि डॉग स्क्वायड का प्रशिक्षण पूरा जाता है तो आरपीएफ मुख्यालय के निर्देशों पर हरेक डॉग स्क्वायड को अलग- अलग पुलिस स्टेशनों में टीम की डॉग स्क्वायड टुकड़ी बनाकर तैनात कर दिया जाता है, ताकि टीम इन डॉग स्क्वायड की मदद से हरेक अपराध के आरोपी तक जल्द पहुंच पाए।

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दस वर्ष की उम्र के बाद होते है रिटायर

डॉग स्क्वायड इंचार्ज आर एन सिंह ने बताया कि इन डॉग स्क्वायड के फीड का खर्चा आरपीएफ की ओर से उठाया जाता है, जिसमें उनको दू्ध, अंडे, डॉग फीड दी जाती है। इसके अलावा आरपीएफ मुख्यालय के द्वारा जारी निर्देशों अनुसार इनको दस वर्ष की उम्र के बाद रिटायर कर दिया जाता है। उसके बाद भी इनके रखरखाव की जिम्मेदारी आरपीएफ की होती है।

इंचार्ज के इशारों पर करते ही निशानदेही

आरपीएफ डॉग स्क्वायड इंचार्ज आर एन सिंह ने बताया कि ये सभी खोजी कुत्तों को सिट, स्टेंड, स्टे, कम, गो, सलीप, स्मैल जैसे इशारों पर काम करने का पूरा प्रशिक्षण मिलता है। जैसे इनको इंचार्ज आदेश देता जाएगा वैसे यह काम करते जाते है।

रिपोर्ट: बीके कुश्वाहा

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