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Jhansi News: भारतीय ज्ञान परंपरा पर केंद्रित शिक्षा नीति से ही राष्ट्रीय पुनर्निर्माण संभव- अतुल भाईजी कोठारी
Jhansi News: बुंदेलखंड विश्वविद्यालय में वैदिक गणित पर राष्ट्रीय कार्यशाला प्रारंभ, राष्ट्रीय संस्कृत उत्थान न्यास, नई दिल्ली और बुंदेलखंड विश्वविद्यालय, झांसी, संयुक्त रूप से कर रहे आयोजन।
Jhansi News: भारतीय ज्ञान परंपरा पर आधारित राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन से ही राष्ट्रीय पुनर्निर्माण संभव है। इसके लिए आवश्यक है कि शिक्षाविद भारतीय ज्ञान परंपरा की अलख को शैक्षणिक संस्थानों के माध्यम से सभी स्तर के छात्रों तक पहुंचाएं। उक्त विचार शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास नई दिल्ली के राष्ट्रीय सचिव अतुल भाई जी कोठारी ने बुंदेलखंड विश्वविद्यालय झांसी एवं न्यास द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित की जा रही तीन दिवसीय वैदिक गणित राष्ट्रीय कार्यशाला के उद्घाटन सत्र में व्यक्त किए।
मुख्य अतिथि के रूप में देशभर के विभिन्न राज्यों से आए 50 से अधिक गणित के शिक्षाविदों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा की वैदिक गणित को स्नातक एवं परास्नातक के साथ ही सर्टिफिकेट कोर्स में पाठ्यक्रम के रूप में सम्मिलित करने की आवश्यकता है। वर्तमान में हम वैदिक गणित के केवल 5 प्रतिशत ज्ञान तक ही पहुंच पाए हैं। आगामी एक दशक में अगर प्रयास किए जाएं तो भारत पुनः तकनीकी शिक्षा में वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बना सकेगा। बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर मुकेश पांडे ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में अतुल जी भाई का धन्यवाद करते हुए कहा कि शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास ने इस राष्ट्रीय कार्यशाला के लिए बुंदेलखंड विश्वविद्यालय को चुना इसके लिए वह अभार व्यक्त करते हैं।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति कौशल विकास, भारतीय ज्ञान परंपरा, चरित्र निर्माण, व्यक्तित्व विकास आदि अनेक विषयों पर आधारित है। जिससे छात्र केवल किताबी ज्ञान ना ग्रहण करते हुए व्यवहारिक ज्ञान को भी प्राप्त करें। विशिष्ट अतिथि सुरेश गुप्ता ने बताया कि न्यास की स्थापना पूर्व की सरकारों द्वारा शिक्षा में किए गए बदलावों के विरोध में शिक्षा बचाओ आंदोलन के रूप में सामने आई एवं 2007 के बाद से ही विभिन्न विषयों के पाठ्यक्रम तैयार करने एवं भारतीय ज्ञान परंपरा आधारित शिक्षाविदों के निर्माण के लिए प्रयासरत हैं। कार्यशाला की पृष्ठभूमि शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास, पुणे के डॉ श्रीराम चौथाईवाले ने प्रस्तुत की।
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उद्घाटन सत्र में इसके साथ ही महर्षि वाल्मीकि संस्कृत विश्वविद्यालय कैथल के पूर्व कुलपति प्रोफेसर श्रेयांश द्विवेदी एवं वित्त अधिकारी वसी मोहम्मद ने अपने उद्बोधन मे वैदिक गणित के विभिन्न प्राचीन सिद्धांतो के प्रति पादन पर प्रकाश डालते हुए उनके अनुप्रयोग का विस्तृत वर्णन किय। वैदिक गणित का शोध अध्ययन केंद्र बनाए जाने की आवश्यकता बताई। अतिथियों का स्वागत कार्यशाला के संयोजक प्रोफेसर अवनीश कुमार एवं आभार आयोजन सचिव डॉ कौशल त्रिपाठी ने व्यक्त किया। डॉ इरा तिवारी ने संचालन किया है।
इस अवसर पर शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के राष्ट्रीय सह संयोजक राकेश भाटिया, डॉ धर्मेंद्र बादल डॉक्टर ममता सिंह डॉ राहुल शुक्ला डॉक्टर बी एस भदौरिया डॉ अनुपम व्यास डॉ संजीव श्रीवास्तव के साथ विभिन्न राज्य जिनमे हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक,तेलंगाना, तमिल नाडु गुजरात, केरल, आदि से अनेक शिक्षाविद उपस्थित रहे।