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संगठन व सरकार की जुगलबंदी से खिला कमल
श्रीधर अग्निहोत्री
लखनऊ: पूरे देश में मोदी की सुनामी चलने के साथ ही यूपी में भी विपक्ष को तूफान का सामना करना पड़ा। पार्टी संगठन और सरकार के बेहतर तालमेल के बावजूद सपा-बसपा में गठबंधन होने के कारण भाजपा 2014 का तो अपना पुराना प्रदर्शन नहीं दोहरा सकी, लेकिन सत्ता विरोधी माहौल को रोकने में कामयाब रही। मोदी-योगी सरकार की कार्यशैली और पुलवामा कांड के बाद उपजे राष्ट्रवाद ने भाजपा के पक्ष में पूरा माहौल बनाने का काम किया जिसके कारण भाजपा मैदान मारने में कामयाब रही।
उत्तर प्रदेश में कुछ समय पहले हुए लोकसभा उपचुनावों में मिली हार और कार्यकर्ताओं की नाराजगी के बाद भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने आपरेशन यूपी शुरू करने के साथ ही संगठन के पेंच कसे करने का काम किया। लोकसभा चुनाव को लेकर भाजपा के केन्द्रीय नेतृत्व को यूपी से बड़ी उम्मीदें थी, लेकिन पहले गोरखपुर और फूलपुर के उपचुनाव और बाद में कैराना लोकसभा तथा नूरपुर विधानसभा उपचुनाव में मिली हार से केन्द्रीय नेतृत्व के माथे पर पसीना आ गया था। तब भाजपा रणनीतिकारों ने तय किया कि इस बार चुनाव में परिस्थितियां बदली हैं। भाजपा की केन्द्र के साथ ही यूपी में भी सरकार है। इसलिए चुनाव के पहले जनता के प्रति उसकी जवाबदेही अधिक बनती है।
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जनता तक पहुंचाई सरकार की उपलब्धियां
लोकसभा चुनाव में पार्टी को 74 सीट जीतने की उम्मीद के साथ भाजपा अध्यक्ष अमित शाह 'मेरा परिवार, भाजपा परिवार' अभियान की शुरुआत की। अभियान के तहत पांच करोड़ घरों में भाजपा का झंडा फहराने और 20 करोड़ मतदाताओं का समर्थन हासिल करने का काम किया गया। अभियान के जरिए भाजपा ने दस करोड़ परिवारों तक पहुंचने का लक्ष्य रखा और दस करोड़ परिवारों का मतलब करीब 50 करोड़ लोगों तक सीधे पहुंचना। अमित शाह और उनके रणनीतिक सिपहसालारों ने इस वृहद अभियान के जरिए न सिर्फ मोदी सरकार के पांच साल के कामकाज की उपलब्धियां जनता तक सफलतापूर्वक पहुंचाई बल्कि उन्हें यह समझाने में भी कामयाब हुई कि 2014 से पहले पिछले तीस साल में जितनी भी सरकारें आईं वह गठबंधन की सरकारें थीं और उन्होंने देश को करीब तीस वर्ष पीछे धकेल दिया।
बूथ मैनेजमेंट
पिछले लोकसभा चुनाव की तरह ही पार्टी अध्यक्ष अमित शाह प्रदेश ने संगठन मंत्री सुनील बंसल के साथ मिलकर सभी एक लाख 20 हजार बूथों पर कार्यकर्ताओं को लगाने की योजना बनाई। एक लाख 63 हजार बूथों का पुनर्गठन करने का काम किया गया तथा भाजपा का बूथ चलो अभियान सफलतापूर्वक पूरा किया गया। पन्ना प्रमुखों के साथ लगातार समन्वय बनाने का काम किया। शाह ने भाजपा के प्रदेश संगठन मंत्री सुनील बंसल से लगातार सरकार और संगठन के कामकाज की रिपोर्ट ली तथा सांसदों का रिपोर्ट कार्ड तैयार करवाया। प्रारम्भिक रिपोर्ट में कम से कम 40 से 50 सांसदों के टिकट काटने की योजना थी परन्तु जातीय समीकरणों और सहयोगी दलों के रवैये के चलते बाद में भाजपा ने केवल 21 सांसदों का ही टिकट काटा। प्रदेश अध्यक्ष डा.महेन्द्र नाथ पांडेय के लगातार दिल्ली से लेकर दूसरे जिलों में दौरे ने कार्यकर्ताओं में ऊर्जा पैदा करने का काम किया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, पार्टी अध्यक्ष अमित शाह और सीएम योगी दौरों से पार्टी मतदाताओं के साथ जुडऩे में कामयाब हो गई। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लगातार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और पार्टी अध्यक्ष अमित शाह के साथ बैठक कर चुनावी तैयारियों को लेकर अपनी रिपोर्ट देते रहे। आरएसएस की महिला विंग राष्ट्र सेविका समिति सहित सेवा भारती, विद्या भारती, संस्कार भारती, एबीवीपी आदि संगठनों ने पूरे चुनाव प्रचार के दौरान परदे के पीछे से काम किया।
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जातीय समीकरण साधने में कामयाबी
यूपी फतह करने के लिए दलितों, अति पिछड़ों और पिछड़ो की भागीदारी बढ़ाई गयी क्योंकि पिछले दिनों हुए चुनाव में ये जातियां बसपा की तरफ चली गई थीं। योगी सरकार ने कई खाली सरकारी पदों पर कार्यकर्ताओं को एडजस्ट करने का काम किया जिससे लोकसभा चुनाव में सामाजिक समीकरण साधने में सफलता मिली। इसके अलावा संगठन में निचले स्तर पर दलित, पिछड़ा और अति पिछड़ों को पद दिया गया ताकि ये लोग पार्टी के संदेश को अपने लोगों तक पहुंचा सके। उधर ब्यूरोक्रेसी में नकारा अफसरों के पर कतरने का काम भी किया गया। यूपी के मुख्यसचिव राजीव कुमार के रिटायर होने के बाद मुख्यसचिव की जिम्मेदारी अनूप चंद पांडेय को देकर ब्राह्मण वर्ग को भी साधने का काम किया गया।
हिन्दुत्व के एजेंडे को भी दी धार
योगी सरकार ने 'सबका साथ सबका विकास' के साथ ही हिन्दुत्व के एजेंडे को भी धार देने का काम किया। इसलिए विधानभवन को केसरिया रंग में रंगने, सड़कों और बसों का रंग बदलने और स्कूलों-पार्कों व भगवा करने का काम किया गया। योगी सरकार ने अपनी उपलब्धियों के साथ ही अयोध्या में दिवाली मनाने और बरसाने में होली मनाने की रणनीति अपनाई। योगी सरकार ने प्रयागराज में हुए कुम्भ को महाकुम्भ कह कर अपनी सरकार की उपलब्धियों में शामिल करने का काम किया। कुंभ मेले में व्यवस्था को पूरी तरह दुरुस्त करने के लिए योगी ने काफी मेहनत की और मेले का खूब प्रचार-प्रसार किया। मेले में पूरी दुनिया से लोग पहुंचे और वे वहां की शानदार व्यवस्ता से काफी प्रभावित भी हुए। इसके साथ ही प्रधानमंत्री मोदी का सफाई कर्मियों का अपने हाथों से पैर धोने का काम दलितों में अच्छा संदेश दे गया। योगी सरकार चार लाख करोड़ से ज्यादा के इनवेस्टमेंट के प्रस्तावों के लिए इनवेस्टर्स समिट का भी खूब प्रचार किया।
युवा मतदाताओं पर फोकस
भाजपा नेतृत्व को शुरू से भरोसा था कि अगर यह बात लोगों के दिमाग में उतार दी गई और उन्हें यह समझा दिया गया कि अकेले नरेंद्र मोदी ही ऐसे नेता हैं जिन्हें देश और जनता के भविष्य की चिंता है जबकि बाकी सारे विपक्षी नेता सिर्फ सत्ता के लिए मोदी सरकार को हटाना चाहते हैं तो 2019 के लोकसभा चुनावों में भाजपा को 2014 से भी ज्यादा बड़ा बहुमत मिल सकता है। लोकसभा चुनाव से पहले मेरा पहला वोट मोदी को प्रचार अभियान लखनऊ से शुरू किया गया। इसमें कार्यकताओं ने सभी 80 लोकसभा व 403 विधानसभा क्षेत्रों में जाकर केन्द्र और प्रदेश सरकार की उपलब्धियों को गिनाने का काम किया। दरअसल भाजपा ने अपने इस अभियान के तहत उन वोटरों को टारगेट किया जो पहली बार लोकसभा चुनाव में वोट डालने वाले थे। इसके लिए भाजपा ने 18 से 19 साल के पहली बार मतदाता बने 13 लाख युवा मतदाताओं से मिलकर उन्हें मोदी व योगी सरकार की विकास योजनाओं के बारे में बताया।
इस बार कुल मतदाताओं में 19 से 29 साल के युवाओं की संख्या 30 फीसदी से भी ज्यादा थी। नए मतदाताओं की संख्या भी कई गुना बढ़ी। मतदाता सूची पुनरीक्षण से पहले पहली बार वोटर बनने वाले यानी 18-19 वर्ष की उम्र के मतदाताओं की संख्या 3.89 लाख थी। यह बढ़कर 24.25 लाख हो गई। इस तरह 19 साल तक के 20.57 लाख मतदाता बढ़े। कुल मतदाताओं में इस उम्र के वोटरों का प्रतिशत 1.86 प्रतिशत है। वहीं 20 से 29 साल तक के मतदाताओं की संख्या 3.82 करोड़ है जो कुल मतदाताओं का 28.38 प्रतिशत है। इस तरह 18 से 29 साल तक के युवाओं का कुल प्रतिशत 30.18 प्रतिशत हो जाता है। युवाओं की बढ़ती भागेदारी का असर चुनाव पर पड़ा और जिसका भरपूर लाभ भाजपा को मिला।