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इत्र उद्योग को अनुमति, लेकिन भट्टी के लिए कंडे व लकड़ी की दिक्कत

नोवेल कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने के लिए चल रहे देशव्यापी लॉकडाउन में इत्र कारखाने भी 25 मार्च से बंद हो गए थे।

Roshni Khan
Published on: 21 April 2020 6:55 PM IST
इत्र उद्योग को अनुमति, लेकिन भट्टी के लिए कंडे व लकड़ी की दिक्कत
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इत्र उद्योग को अनुमति, लेकिन भट्टी के लिए कंडे व लकड़ी की दिक्कत

कन्नौज: नोवेल कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने के लिए चल रहे देशव्यापी लॉकडाउन में इत्र कारखाने भी 25 मार्च से बंद हो गए थे। शासन की ढील व इत्र कारोबारियों की मांग के बाद सेंट बनाने का काम तो शुरू हो गया है, लेकिन अब भट्टियों के लिए लकड़ी व कंडे की समस्या आ खड़ी हुई है। कारोबारियों का दावा है कि करीब 50 फीसदी इत्र कारखाने अब भी बंद हैं। अगर ईंधन ले जाने की अनुमति न मिली तो किसानों का भी भारी नुकसान होगा।

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कन्नौज को इत्रनगरी के नाम से भी जानते

उत्तर प्रदेश के जनपद कन्नौज को इत्रनगरी के नाम से भी जानते हैं। यहां छोटे-बड़े करीब 300-350 इत्र कारखाने हैं। 25 मार्च से लॉकडाउन की वजह से कारखाने एक सप्ताह तक पूरी तरह से बंद हो गए थे। शासन से हरी झंडी मिलने के बाद कारखाने शुरू होने लगे हैं। मजदूर पहुंचने लगे हैं। किसान भी गेंदा, बेला व गुलाब के फूल लेकर इत्र कारखाने में दस्तक देने लगे हैं। इसके लिए पास भी जारी किए गए हैं। लेकिन अब इत्र बनाने वाले बर्तन डेग को गर्म करने के लिए ईंधन की जरूरत है, जिसे वाहनों से ले जाने में पुलिस परेशान करती है।

व्यापारियों ने जिला प्रशासन से इसके भी पास जारी करने की मांग उठाई है। जिला उद्योग केंद्र के उपायुक्त हरीशंकर राजपूत का कहना है कि जो भी कारखाने शुरू हुए हैं, लिखापढ़ी में काम हुआ है। पहले 29 मार्च को अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश अवस्थी का पत्र आया, फिर 16 अप्रैल को मुख्य सचिव राजेंद्र तिवारी ने भी कारखाने शुरू करने की बात कही। हालांकि फिजिकल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए कम से कम लोगों को पास देने की बात कही।

उपायुक्त बोले, 60 फीसदी से अधिक शुरू हैं कारखाने

जिला उद्योग केंद्र के उपायुक्त हरीशंकर राजपूत ने कहा कि जिले में इत्र की 22-23 बड़े कारखाने हैं। 250-300 तक माइक्रो कारखाने हैं। इन छोटे कारखानों में दो, तीन से चार डेग भी लोग लगाए हैं। 25 मार्च से कारखाने बंद होने के बाद दो अप्रैल से कारखाने खुलने लगे हैं। फिलहाल 60-70 फीसदी तक कारखाने चल रहे हैं। अब तक 568 किसान व मजदूरों के पास भी जारी किए जा चुके हैं। ईंधन के लिए अनुमति को लेकर डीएम को अवगत करा दिया जाएगा, वही आदेश जारी करेंगे।

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द अतर एसोसिएशन के मंत्री की भी सुनें

वहीं द अतर एसोसिशन के मंत्री पवन त्रिवेदी ने कहा कि इत्र कारखानों में ईंधन की बड़ी समस्या है, जहां लकड़ी आदि थी वहां कारखाने शुरू होने से ईंधन खत्म हो गया है। वाहनों से ईंधन मंगाया जाता है तो लॉकडाउन की वजह से पुलिस रोकती है। अगर इत्र नहीं बनेगा तो किसानों का फूल भी नहीं बिकेगा। इस काम में करीब पांच हजार श्रमिक व किसानों के परिवार के 20 हजार लोग भी इत्र व्यवसाय पर निर्भर हैं।

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