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IIT Kanpur: सी-गंगा के बाद कावेरी समेत छः नदियों का कायाकल्प करेगा आईआईटी
IIT Kanpur: आईआईटी का सी-गंगा इन नदियों की सहायक नदियों को भी संरक्षित करेगा। कावेरी, कृष्णा, महानदी, गोदावरी व पेरियार को शामिल कर प्रस्ताव मंत्रालय को भेजा।
IIT Kanpur: गंगा के बाद आईआईटी अब नर्मदा समेत देश की प्रमुख छह नदियों की अविरलता व निर्मलता बरकरार रखते हुए उनका कायाकल्प करेगा। इसके लिए आईआईटी के वरिष्ठ प्रोफेसर और सी-गंगा के संस्थापक प्रो. विनोद तारे ने जलशक्ति मंत्रालय को प्रस्ताव भी भेजा है। वैज्ञानिकों की टीम नर्मदा के साथ कावेरी, गोदावरी, महानदी, कृष्णा व पेरियार नदी का वास्तविक प्राकृतिक स्वरूप को लौटाने का प्रयास करेगी। जल्द नदियों को संरक्षित करने के लिए काम शुरू हो जाएगा।
आईआईटी के वरिष्ठ वैज्ञानिक प्रो. विनोद तारे ने बताया कि इस योजना के तहत इन सभी छह प्रमुख नदियों का कायाकल्प किया जाएगा। प्रयास रहेगा कि इन नदियों का वास्तविक स्वरूप देखने को मिले। इस योजना के तहत सिर्फ ये छह नदियां नहीं बल्कि इनमें मिलने वाली सभी सहायक नदियों को भी संरक्षित करने के साथ निर्मल व अविरल बनाना है। प्रो. तारे ने कहा कि गंगा नदी को स्वच्छ, अविरल व निर्मल बनाए जाने के साथ सहायक नदियों को संरक्षित किए जाने की योजना को काफी सराहा गया। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अन्य नदियों को भी संरक्षित करने को जरूरी बताया था।
आईआईटी, एनआईटी, आईआईएससी के विशेषज्ञ करेंगे मदद
देश की छह प्रमुख नदियों को संरक्षित के साथ निर्मल व अविरल बनाने में कई आईआईटी, एनआईटी व आईआईएससी के विशेषज्ञ मदद करेंगे। प्रो. विनोद तारे ने बताया कि महानदी के लिए एनआईटी रायपुर व एनआईटी राउरकेला के विशेषज्ञ काम करेंगे। नर्मदा नदी के लिए आईआईटी इंदौर व आईआईटी गांधी नगर की टीम काम करेगी। गोदावरी नदी के लिए नीरी नागपुर, व आईआईटी हैदराबाद के विशेषज्ञ मिलकर योजना तैयार करेंगे। कावेरी नदी के लिए आईआईएससी बेंगलुरु व एनआईटी त्रिची और पेरियार नदी के लिए आईआईटी पलक्कड़ की टीम काम करेगी। कृष्णा नदी के लिए एनआईटी वारंगल व गोखले इंस्टीट्यूट के विशेषज्ञ मिलकर तकनीक विकसित करेंगे।
महाराष्ट्र सरकार की अपील पर हुआ कृष्णा नदी का चयन
प्रो. विनोद तारे ने बताया कि देश में पांच नदियों को संरक्षित करने की योजना बनी, तो विभिन्न प्रदेशों में सी-गंगा की चर्चा हुई। गंगा के लिए किए जा रहे कार्यों को विस्तार से समझा गया। इसके बाद महाराष्ट्र सरकार की अपील पर कृष्णा नदी का चयन अंतिम समय में किया गया।