TRENDING TAGS :
Kanpur News: दूषित पानी पी रहा कानपुर, पनकी भाव सिंह में कूड़े के ढेर से निकल रहा जहर, रिपोर्ट में खुलासा
Kanpur News: यह लीचेट मिट्टी को प्रभावित करने के साथ ही चार किमी तक पेयजल को भी दूषित कर रहा है। यह खुलासा पीएसआईटी, एचबीटीयू व आस्ट्रेलिया के वैज्ञानिकों की रिसर्च में हुआ।
Kanpur News: पनकी भाव सिंह में कूड़े से निकलने वाली मीथेन गैस से आसपास के लोगों का रहना मुश्किल हो गया है। कूड़े के पहाड़ से रिस रहा लीचेट जमीन के नीचे जा रहा है। यह लीचेट मिट्टी को प्रभावित करने के साथ ही चार किमी तक पेयजल को भी दूषित कर रहा है। यह खुलासा पीएसआईटी, एचबीटीयू व आस्ट्रेलिया के वैज्ञानिकों की रिसर्च में हुआ।
रिसर्च में पता चला कि कूड़ा सड़ने के बाद निकल रहा लिक्विड वेस्ट के कारण आसपास इलाके का भूगर्भ जल लगातार दूषित हो रहा है। जल के सभी पैरामीटर मानक के विपरीत मिले हैं। रिसर्च में पीएसआईटी के डॉ. अभिषेक दीक्षित, एचबीटीयू के डॉ. दीपेश सिंह व आस्ट्रेलिया की एडिथ कोवान यूनिवर्सिटी के डॉ. संजय कुमार शुक्ला शामिल रहे।
निस्तारण करना है जरूरी
डॉ. अभिषेक दीक्षित ने बताया कि कूड़े का निस्तारण करना जरूरी है। सड़न से निकल रहा लिक्विड वेस्ट का निस्तारण भी जरूरी है। लैंडफिल में उपयोग होने वाले जियोसिंथेटिक क्ले लाइनर के माध्यम से रिसने वाले लीचेट से ग्राउंड वाटर पाल्युशन को रोका जा सकता है।
अलग-अलग मौसम में की गई जांच
इलेक्ट्रिकल कंडक्टिविटी 2000 6720 8940 6875
टीडीएस 2100 3350 4540 3994
बीओडी 30 540 680 498
सीओडी 250 1250 2185 1185
कैल्शियम 75 208.5 252.2 196.8
सल्फेट 2 97.5 112.8 92.8
क्रोमियम 0.1 4.1 4.8 3.8
रिसर्च के बाद तैयार की रिपोर्ट
पीएसआईटी के वैज्ञानिक ने बताया कि शहर का कूड़ा प्लांट लगने के बाद काफी समय से भौंती के पास डंप किया जा रहा है। लेकिन निस्तारण नहीं हो रहा था। भीषण गर्मी में मीथेन गैस निकलने के कारण आग भी लगती रहती है। ढेर का निस्तारण न होने से सड़न के बाद निकलने वाला लिक्विड वेस्ट कितना नुकसान करता है, इस ओर किसी का ध्यान नहीं गया।
तीन मानसून में किया शोध
प्री मानसून, मानसून और पोस्ट मानसून में कूड़े के लिक्विड वेस्ट से भूगर्भ जल को कितना नुकसान पहुंच रहा ये टीम ने कार्य किया है, और यह जानने को शोध शुरू किया।
इन जगहों से आता है कूड़ा
घरों से 22 फीसदी,
स्ट्रीट स्वीपिंग 15%,
होटल एंड रेस्टोरेंट से 9%,
बाजार से 12 फीसदी,
इंडस्ट्री क्षेत्र से 11 फीसदी,
अन्य 31 फीसदी।