TRENDING TAGS :
बारिश में तालाब बनी कोतवाली, टापू बना देख वापस लौट गए फरियादी
शहर की अतिसंवेदनशील बाबूपुरवा कोतवाली तालाब में तब्दील हो चुकी है। बारिश का पानी लाॅकप से लेकर मुंशियाने, मालखाने और इंस्पेक्टर के कमरे तक जा पहुंचा। कोतवाली में मौजूद पुलिसकर्मी जूते मोजे उतारकर कोतवाली के अंदर से पानी बाहर निकालने में जुटे रहे।
कानपुर: शहर की अतिसंवेदनशील बाबूपुरवा कोतवाली तालाब में तब्दील हो चुकी है। बारिश का पानी लाॅकप से लेकर मुंशियाने, मालखाने और इंस्पेक्टर के कमरे तक जा पहुंचा। कोतवाली में मौजूद पुलिसकर्मी जूते मोजे उतारकर कोतवाली के अंदर से पानी बाहर निकालने में जुटे रहे। इस दौरान कुछ फरियादी अपनी समस्या लेकर पहुंचे, लेकिन कोतवाली को टापू बना देख अंदर जाने की हिम्मत नहीं जुटा पाए।
बाबूपरवा कोतवाली की गिनती शहर की सबसे अतिसंवेदनशील थानों में होती है। बुधवार सुबह हुई मुसलाधार बारिश की वजह से बाबूपुरवा कोतवाली पानी में डूब गई। कोतवाली के अंदर पानी भरता देख इंस्पेक्टर और दरोगा मुंशियाने में हाजिरी लगाकर निकल गए। कोतवाली के अंदर कुछ मुट्ठीभर सिपाही रह गए।
यह भी पढ़ें...आ गया चिदंबरम पर फैसला, अब लालू जैसा होगा इनका भी हाल
मुंशियाने में मौजूद सिपाही जरूरी रजिस्टर, फाइल और कागजात को सुरक्षित करने में जुटे रहे। वहीं मालखाने में भरे पानी को किसी ने निकालने की हिम्मत नहीं जुटाई। लाॅकप में मौजूद अपराधियों को मुंशियाने में बैठा दिया गया। बाबूपुरवा कोतवाली के पीछे पुलिस कालोनी बनी हुई है। पुलिस कालोनी की हालत ऐसी है कि वहां पर नाव बड़ी असानी से चलाई जा सकती है।
बाबूपुरवा कोतवाली में बारिश का पानी भरने की ये कोई नई कहानी नहीं है। बल्की ये समस्या बीते पांच वर्षो से बनी हुई है। इस कोतवाली के कई कोतवाल इस समस्या के निवारण के लिए उच्चाधिकारियों को पत्र के माध्यम के से अवगत करा चुके हैं, लेकिन आलाधिकारियों ने सिर्फ अश्वासन ही मात्र दिया है।
यह भी पढ़ें...सेना नहीं अब अफगानी आतंकियों के सहारे भारत से लड़ना चाहता है पाक, जानें क्यों?
दरअसल बाबूपुरवा कोतवाली कई दशक पुरानी है। कोतवाली और पुलिस कालोनी की जलनिकासी के लिए नालो और नालियों का निर्माण किया गया था। टाटमिल चैराहे को यशोदा नगर बाईपास को जोड़ने वाली सड़क और कोतवाली का लेबल बराबर था, लेकिन जब इस सड़क का चौड़ीकरण और दोबारा निर्माण हुआ तो इसका लेबल लगभग 4 फिट ऊंचा हो गया।
सड़क का लेबल तो ऊचा हो गया लेकिन कोतवाली गहराई पर चली गई। जब बरसात होती है तो सड़क का पानी तेजी से कोतवाली के अंदर घुस जाता है। सभी नाले और नालिया ओवर फ्लो होने लगते हैं जिसकी वजह से तालाब में तब्दील हो जाती है।