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जींस परिवर्तित होने पर ओरल कैंसर की सम्भावना अधिक: डाॅ. नायर

किंग जाॅर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के दंत संकाय के ओरल सर्जरी विभाग, ओरल मेडिसिन विभाग एवं ओरल पैथालाॅजी विभाग के संयुक्त तत्वावधान में शुक्रवार को तृतीय अंतरराष्ट्रीय ओरल कैंसर एवं प्री कैंसर विषय पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया।

Dhananjay Singh
Published on: 5 April 2019 7:13 PM IST
जींस परिवर्तित होने पर ओरल कैंसर की सम्भावना अधिक: डाॅ. नायर
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लखनऊ: किंग जाॅर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के दंत संकाय के ओरल सर्जरी विभाग, ओरल मेडिसिन विभाग एवं ओरल पैथालाॅजी विभाग के संयुक्त तत्वावधान में शुक्रवार को तृतीय अंतरराष्ट्रीय ओरल कैंसर एवं प्री कैंसर विषय पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया।

इस अवसर पर टाटा कैंसर अस्पताल, मुम्बई के डाॅ. सुधीर नायर ने बताया कि उनके अस्पताल में ओरल कैंसर को लेकर एक शोध के दौरान यह जानकारी सामने आई है कि ओरल कैंसर में जींस का बड़ा महत्व है और जिन लोगों में यह जींस परिवर्तित होने लगते हैं उन्हें ओरल कैंसर होने की सम्भावना बढ़ जाती है एवं इसकी रोकथाम मुश्किल हो जाती है।

डाॅ. नायर ने कहा कि देश में ओरल कैंसर के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। उन्होंने बताया कि​ भारत में अन्य बीमारियों के मुकाबले ओरल कैंसर के कारण होने वाली मृत्यु दर सबसे अधिक है, जिसका मुख्य कारण तम्बाकू एवं इससे जुड़े अन्य उत्पाद हैं। ओरल कैंसर से पीड़ित मरीजों को बेहतर उपचार उपलब्ध हो सके इस बारे में सम्मिलित प्रयास की आवश्यकता है।

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कार्यक्रम के मुख्य अतिथि चिकित्सा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एमएलबी भटट् ने ओरल कैंसर एवंप्री कैंसर जैसे गंभीर बीमारी के विषय पर संगोष्ठी आयोजित किए जाने पर आयोजकों की सराहना की।

आयोजन मंडल की अध्यक्ष एवं केजीएमयू ओरल मैक्सिलोफेशियल विभाग के आचार्य डाॅ. दिव्या मेहरोत्रा ने बताया कि इस कार्यक्रम को आयोजित किए जाने का मुख्य उद्देश्य भारत वर्ष में ओरल प्री कैंसर के प्रति जागरूकता लाना एवं ओरल कैंसर के उपचार के लिए अंतरराष्ट्रीय मानक तैयार करना है।

इस अवसर पर एक राष्ट्रीय ओरल प्री कैंसर रजिस्ट्री के शुरूआत की उदघोषण की गई, इस रजिस्ट्री में एम्स ऋषिकेश, एम्स जोधपुर, पीजीआई चंडीगढ़ एवं टाटा कैंसर अस्पताल, मुम्बई शामिल होंगे, जिसके अंर्तगत ओरल प्री-कैंसर मरीजों का मौखिक परीक्षण किया जाएगा तथा उनकी प्रोफाइलिंग की जाएगी।

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साथ ही हर वर्ष दो बार ऐसे मरीजों को चेकअप के लिए बुलाया जाएगा और अगले पांच वर्षों तक उनका रिकाॅर्ड सुरक्षित रखा जाएगा। इस रजिस्ट्री से ओरल कैंसर के काफी मामलों को रोकने के लिए डाॅटा उपलब्ध होगा, जिससे समय-समय पर इन मरीजों एवं इनकी बीमारी की माॅनिटिरिंग हो सके।

इस अवसर पर केजीएमयू ओरल मेडिसिन विभाग के प्रो. रंजीत पाटिल ने केजीएमयू में ओरल कैंसर के इलाज में हरसम्भव प्रयास करने का आश्वासन दिया एवं उन्नत तकनीक के द्वारा शोध कार्य किए जाने पर जोर दिया।

Dhananjay Singh

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