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सरेआम मंत्री की हत्या करने वाला विकास दुबे, अपराधों से भरा है इतिहास

पिछले दो दशकों से राजनीति और अपराध की दुनिया का बेताज बादशाह कहा जाता था। विकास दुबे को जिसने आज अपने साथियों के साथ आठ पुलिस कर्मियों की हत्या कर दी।

Newstrack
Published on: 3 July 2020 7:03 AM GMT
सरेआम मंत्री की हत्या करने वाला विकास दुबे, अपराधों से भरा है इतिहास
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श्रीधर अग्निहोत्री

लखनऊ: पिछले दो दशकों से राजनीति और अपराध की दुनिया का बेताज बादशाह कहा जाता था। विकास दुबे को जिसने आज अपने साथियों के साथ आठ पुलिस कर्मियों की हत्या कर दी। वह इस समय जमानत पर था। कहा जा रहा है कि राजनीतिक संरक्षण भी मिला हुआ था यही कारण है कि राजनीति और अपराध के रास्ते पर एक साथ चल रहा था। कई राजनीतिक दलों में रह चुका विकास दुबे कानपुर देहात क्षेत्र में अपराध की दुनिया का बड़ा नाम रहा है। उसपर 60 से ज्यादा मुकदमें दर्ज हैं। आपराधिक इतिहास होते हुए भी उसकी हर राजनीतिक दलों में कड़ी पैठ रही है। वह अपने किले जैसे घर में बैठकर बड़ी-बड़ी वारदातें करवा देता था।

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2001 में आए थे चर्चा में सबसे पहले

विकास दुबे उस समय अधिक चर्चा मे आया जब 2001 में उसने राज्यमंत्री का दर्जा प्राप्त भाजपा नेता संतोष शुक्ला की थाने में घुसकर हत्या कर दी थी। विकास दुबे किसी फिल्मी खलनायक से कम नहीं है। थाने में घुसकर राज्यमंत्री की हत्या का आरोप लगने के बावजूद भी उसका कुछ नहीं हुआ। इतनी बड़ी वारदात होने के बाद भी किसी पुलिसवाले ने विकास के खिलाफ गवाही नहीं दी। कोई साक्ष्य कोर्ट में नहीं दिया गया, जिसके बाद उसे छोड़ दिया गया।

इसके अलावा 2000 में विकास दुबे कानपुर के शिवली थानाक्षेत्र स्थित ताराचंद इंटर कॉलेज के सहायक प्रबंधक सिद्धेश्वर पांडेय की हत्या के मामले में भी नामजद किया जा चुका था। इसी साल उसके ऊपर रामबाबू यादव की हत्या के मामले में साजिश रचने का आरोप लगा था। यह साजिश उसने जेल से बैठकर रची थी। 2004 में एक केबल व्यवसाई दिनेश दुबे की हत्या के मामले में भी विकास का नाम आया था। 2013 में भी विकास दुबे ने हत्या की एक बड़ी वारदात को अंजाम दिया था।

हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे बिठूर के शिवली थाना क्षेत्र का रहने वाला है

हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे बिठूर के शिवली थाना क्षेत्र के बिकरु गांव का रहने वाला है। उसने अपने घर को किले की तरह बना रखा है। उसका मकान भी काफी उंचा और भारीभरकम है। यहां उसकी मर्जी के बिना घुस पाना बहुत ही मुश्किल है। ईंट के भट्टों, स्कूल और कॉलेजों समेत करोड़ो रुपये की संपत्ति के मालिक विकास दुबे की पैठ हर राजनीतिक दल पर रही है। इसी वजह से आज तक उसे नहीं पकड़ा गया। हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे की सभी राजनीतिक दलों पर पकड़ रही है। 2002 बसपा सरकार के दौरान उसकी तूती बोलती थी। उसके ऊपर जमीनों की अवैध खरीद फरोख्त के भी आरोप है। उसने गैर कानूनी तरीके से करोड़ों रुपये की संपत्तियां बनाई हैं। बिठूर में ही उसके स्कूल और कॉलेज हैं। वह एक लॉ कॉलेज का भी मालिक है।

2018 में विकास दुबे ने अपने चचेरे भाई अनुराग पर जानलेवा हमला करवाया था। अनुराग की पत्नी ने विकास समेत चार लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी। विकास दुबे जेल में रहने के दौरान ही चुनाव लड़ा था और शिवराजपुर से नगर पंचयात का चुनाव जीता भी था। हत्यारा विकास दुबे प्रधान व जिला पंचायत सदस्य भी रहा है। बताया जा रहा है कि बीएसपी के कार्यकाल में उसकी सत्ता पर कड़ी पैठ थी। जेल से ही वह हत्याएं समेत कई वारदातों को अंजाम दिलवा देता था।

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कानपुर के राहुल तिवारी नाम के व्यक्ति ने 307 का एक मुकदमा इसके ऊपर दर्ज कराया है। इस पर दबिश डालने के लिए एक बड़ी पुलिस पार्टी मौके पर पहुंची थी। जहां पर पुलिस को रोकने के लिए उसने पहले से ही जेसीबी आदि लगा कर के रास्ता रोक रखा था। इसके अलावा इंटर कॉलेज के सहायक प्रबंधक की हत्या का आरोप है। इसके अलावा केबिल व्यवसाई की हत्या में शामिल रहा है।

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