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जादूगर बनने के लिए जगदीश भारती ने छोड़ा था लाखों का कारोबार, जानें इनके बारे में

जादूगर जगदीश भारती पुरवार का जन्म उत्तर प्रदेश के आगरा ज़िले में 28 दिसम्बर 1936 को एक प्रतिष्ठित वैश्य परिवार में हुआ था। माता चम्पा देवी के सबसे चहेते जगदीश अपने तीन बड़ी और चार छोटी समेत सात बहनों के इकलौते भाई थे।

Roshni Khan
Published on: 14 Feb 2021 7:36 AM GMT
जादूगर बनने के लिए जगदीश भारती ने छोड़ा था लाखों का कारोबार, जानें इनके बारे में
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जादूगर बनने के लिए जगदीश भारती ने छोड़ा था लाखों का कारोबार, जानें इनके बारे में (PC: social media)

तेज प्रताप सिंह

गोंडा: जादूगरी की दुनिया में जगदीश भारती पुरवार का एक जाना माना नाम है। जादू के खेल में जगदीश भारती के हर किरदार को फैन्स पसंद करते हैं। हजारों शो के माध्यम से उन्होंने लाखों दर्शकों के दिलों में खास जगह बनाई है। लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि जगदीश पुरवार ने 66 साल पहले अपने पिता के लाखों का जमा जमाया व्यवसाय छोड़कर जादू की दुनिया में हाथ आजमाना शुरु किया था।

हालांकि जादूगर बनने का उनका सपना बचपन का था, जिसे पूरा करने के लिए उन्होंने पिता के कपड़े और मिठाई के लाखों का करोबार ठुकराकर जादूगरी का करतब दिखाकर लोगों के मनोरंजन का रास्ता चुना। उनके इस जुनून का ही कमाल है कि 85 वर्ष की अवस्था में आज भी उनका जोश और जज्बा जादू कला के प्रति समर्पित है।

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Magician Jagdish Bharti Magician Jagdish Bharti (PC: social media)

आगरा में पैदा हुए जगदीश भारती पुरवार

जादूगर जगदीश भारती पुरवार का जन्म उत्तर प्रदेश के आगरा ज़िले में 28 दिसम्बर 1936 को एक प्रतिष्ठित वैश्य परिवार में हुआ था। माता चम्पा देवी के सबसे चहेते जगदीश अपने तीन बड़ी और चार छोटी समेत सात बहनों के इकलौते भाई थे। उनके पिता बाबूलाल पुरवार की शहर में कपड़े और मिठाई का बड़ा व्यवसाय था। पढ़ाई में मन न लगा तो उन्होंने जादू कला सीखना शुरु कर दिया। पिता उन्हें कारोबार सौंपना चाहते थे लेकिन जगदीश का दिल जादूगरी में ही लगता था। बेटे को घर गृहस्थी का भार देकर पैतृक कारोबार के ओर मोड़ने की मंशा से पिता ने साल 1955 में गोंडा जिले के कर्नलगंज कस्बे के सदर बाजार मोहल्ले के प्रसिद्ध व्यापारी बिहारी लाल परुवार की बेटी किरन मयी पुरवार से विवाह भी करा दिया।

लेकिन पिता की यह युक्ति भी काम न आई और जगदीश ने पढ़ाई और पिता का लाखों का व्यवसाय छोड़कर अपना आखि़री इरादा जादू कला से लोगों का मनोरंजन करना बना लिया। इसके बाद उन्होंने क्लबों, सर्कसों और थिएटरों में अपना जादू दिखाना शुरु कर दिया। जादू कला में सिद्धहस्त होते ही उन्होंने अपने आप को जादूगर सम्राट कहना शुरू कर दिया। इसके बाद देश व प्रदेश के कई जगहों से उनके पास निमंत्रण आने लगे। माता पिता के निधन के बाद जब उनका कारोबार बंद हो गया। पत्नी किरन के भी कोई भाई न होने के कारण सास ससुर की सेवा का भी भार उन पर आ गया तो साल 1970 में उन्होंने आगरा का घर बेच दिया और ससुराल कर्नलगंज चले आए।

काइन सम्राट निरंजन माथुर को माना गुरु

जादूगर जगदीश भारती अपने कार्य में इतने निपुण हैं कि उनका दिखाया खेल असली लगता है। खुद जादूगर जगदीश कहते हैं कि दुनिया में जादू नाम की कोई चीज नहीं होती। यह तो हाथ की सफाई और सम्मोहन क्रिया है। जादूगर जगदीश भारती ने देश-विदेश में अपने हजारों शो किए। साल 1954 में उन्होंने अपना पहला शो आगरा़ के जैन बालिका स्कूल में किया था तब उन्हें 25 रुपए पारिश्रमिक मिला था। वे अब तक उत्तर प्रदेश के भारत के दिल्ली, मुम्बई, कलकत्ता जैसे दर्जनों महानगर और सैकड़ों नगरों में जादू के दो हजार शो कर चुके हैं।

जादूगर जगदीश ने भारत में मदारियों के मजमे तक सिमटी अनूठी कला को कस्बाई गली-कूचों और फुटपाथों से उठाकर मंच तक ले जाने का करिश्मा कर दिखाया। उन्होंने आगरा निवासी और इण्डियन काइन सम्राट के नाम से प्रसिद्ध निरंजन माथुर को अपना गुरु मान लिया और उन्हीं से जादू कला की बारीकियां सीखा।

क्या है जादू

जादू एक प्रदर्शन कला है जो हाथ की सफाई के मंचन द्वारा या विशुद्ध रूप से प्राकृतिक साधनों का उपयोग करते हुए प्रकटतः असंभव या अलौकिक, करतबों के भ्रम जाल की रचना द्वारा दर्शकों का मनोरंजन करती है। इन करतबों को जादुई हाथ की सफाई, प्रभाव या भ्रम जाल कहा जाता है। वह व्यक्ति जो ऐसे भ्रम जालों का प्रदर्शन करता है, जादूगर कहलाता है। जादूगर जगदीश भारती कहते हैं कि जादू अनंतकाल से किया जाने वाला सम्मोहन भरा प्रदर्शन है। इसका उपयोग पश्चिमी धर्मों व सम्प्रदायों के प्रचारक अशिक्षित लोगों को डराकर उन्हें अपना आज्ञाकारी अनुयायी बनाने के लिए किया करते थे।

Magician Jagdish Bharti Magician Jagdish Bharti (PC: social media)

जादू एक अचरज भरा मनोरंजन है, जो कुछ समय के लिए ही दिखता है। चमत्कार, इन्द्रजाल, अभिचार, टोना या तन्त्र-मन्त्र जैसे शब्द भी जादू कि श्रेणी में आते हैं। जादू दो तरह का होता है पहला हाथ की सफाई और दूसरा सम्मोहन। भारत में हजारों ऐसे मदारी हैं जो चौराहों और सड़कों पर जादू बताकर अपनी रोजी-रोटी कमाते हैं। मध्यकाल में इन भारतीय जादूगरों से सीखकर ही पश्चिम जगत के लोगों ने अपने देश में जादू को प्रचलित किया और उसे एक आधुनिक लुक देकर उसे स्टेज शो में बदल दिया। दुनिया में एक से बढ़कर एक जादूगर हुए हैं। उनके जादू देखकर लोग हैरत में पड़ जाते थे।

हैरतअंगेज करतब के लिए मशहूर जगदीश

जादूगर जगदीश भारती अनेक स्टंट करने में माहिर हैं। वे अपने शो में हवा में आदमी को उड़ाने, लड़की को लड़का और लड़के को लड़की बनाने तथा एक हाथ की वस्तु दूसरे हाथ में पहुंचाने का हैरतअंगेज चमत्कार दिखाते हैं। रुमाल का रंग बदल जाना, खाली डिब्बे से गरमागरम जलेबी, आग की लपटों को पलक झपकते पुष्पमाला और सफेद पिंजरे से सफेद कबूतर उड़ाकर दर्शकों को स्तब्ध कर देते हैं। पुरुष के स्तन से दूध निकालना, एक खाली टोप में से खरगोश, हवा में से एक ताश का पंखा, एक खाली बाल्टी में से सिक्कों की बौछार, मंच पर धुएं के गुबार और किसी अखबार के शीर्षक की भविष्यवाणी, दर्शक की जेब में रेजगारी की राशि, एक स्लेट पर बनाई गई तस्वीर के बारे में बता देते हैं।

बनाया राम, तुलसी का प्रतीक, जादुई फूलों से किया स्वागत

देश और प्रदेश में अपनी जादुई कला के माध्यम से मशहूर जगदीश भारती पुरवार बताते हैं कि वर्षों पूर्व लखनऊ के लक्ष्मण मेला मैदान में हजारों दर्शकों के बीच एक कार्यक्रम में उन्होंने विश्व बैंक के डायरेक्टर मि. कार्टन तथा उनके साथ आए टीम के सभी सदस्यों को अपने जादुई फूलों की माला पहनाकर स्वागत किया। इससे प्रभावित होकर उन्होंने खुले मंच से उनकी प्रशंसा की थी और अमेरिका आने का निमंत्रण दिया था।

इसी प्रकार एक बार गोस्वामी तुलसीदास की जयंती पर फैजाबाद के तुलसीदास शोध संस्थान में आयोजित एक कार्यक्रम में अपनी कला का प्रदर्शन करते हुए उन्होंने जब भगवान राम और तुलसीदास के प्रतीकों को प्रकट कर दिया तो लोगों के सिर उनके सामने श्रद्धा से झुक गए और तत्कालीन अपर जिलाधिकारी ने उन प्रतीकों की आरती की। दर्शकों की तालियों से पूरा आयोजन स्थल गूंज उठा था।

जादू से कर रहे सैनिकों का मनोरंजन

जगदीश भारती ने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान भारत आकर सैन्य टुकड़ियों का मनोरंजन करने वाले अमेरीकी जादूगरों की नकल की और लखनऊ स्थित आर्मी मुख्यालय में जाकर अफसरों से मेलजोल बढ़ाना शुरू किया। उन्होंने अपनी जादूगरी से सेना के अफसरों का दिल जीता और साल 1970 में लखनऊ सेना मुख्यालय द्वारा उन्हें विजिट पास प्रदान किया गया। आजादी के बाद शायद वे पहले जादूगर हैं, जिन्हें आर्मी के हेडक्वार्टर में जादू का शो करने की इजााजत मिली। लखनऊ के आर्मी मुख्यालय पर आयोजित पहले कार्यक्रम में सेना के अधिकारियों और सैनिकों के बीच उन्होंने जादू का शानदार प्रदर्शन कर वाहवाही बटोरी। इसके बाद उन्होंने अनेकों बार अपनी कला के प्रदर्शन से कई मिलिट्री युनिटों में प्रशंसा हासिल की।

100 कार्यक्रम कर बनाया कीर्तिमान

जादूगर जगदीश भारती पुरवार उप्र के सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग में पंजीकृत हैं और जादू के माध्यम से शिक्षा, चिकित्सा, स्वास्थ्य, पंचायतीारज आदि सरकारी योजनाओं का प्रचार प्रसार करते हैं। वे सामाजिक बुराइयों और टीवी, एड्स जैसे जानलेवा रोगों के प्रति जागरुक भी करते हैं। उन्होंने कहा कि अपनी जादू के माध्यम से भ्रूण हत्या के विरोध में भी अपनी कला दिखाते रहते हैं। उन्होंने सिफ्सा के माध्यम से लगातार जादू के जरिए 100 जागरुकता कार्यक्रम करके कीर्तिमान बनाया है।

मिली जादू सम्राट की उपाधि, हस्तियों ने किया सम्मान

जादूगर जगदीश भारती बताते हैं कि लखनऊ के एक कार्यक्रम में उनकी कला से प्रभावित होकर ततकालीन मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह ने उन्हें जादू सम्राट की पदवी से नवाजा। वर्ष 2005 में आगरा के एक शो में बेहतरीन प्रदर्शन पर उन्हें जादू सम्राट की उपाधि मिली। कहते हैं कि मेरे काम के कद्रदानों की लम्बी सूची है।

इनमें कुछ प्रमुख नाम हैं विश्व बैंक के निदेशक कार्टन, भाजपा अध्यक्ष रहे वर्तमान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, उप्र के कैबिनेट मंत्री रमापति शास्त्री, पूर्व मंत्री योगेश प्रताप सिंह, जाने माने आईएएस अफसर नवनीत सहगल, सदाकान्त, सिग्नल रेजीमेंट के ले. कर्नल जीके मलिक, गोरखा राइफल्स लखनऊ के ले. कर्नल पी चौधरी, आरएन खाण्डेकर, डोगरा रेजीमेंट के मेजर पूरन सिंह, मेजर राम दुलारे, गोंडा के जनपद न्यायधीश रहे चमन सिंह, परमात्मा स्वरुप के साथ ही आईटीआई मनकापुर, अवध बार एसोसिएशन लखनऊ आदि समेत दर्जनों सामाजिक संस्थाओं ने जादू का शो देखा तो प्रशस्ति पत्र देकर मेरे कला की प्रशंसा की। जगदीश भारती के 66 वर्षों की इस लम्बी यात्रा में अब तक उन्हें सौ से अधिक पुरस्कार और सम्मान मिल चुका है।

लोगों का मनोरंजन बना जीवन का लक्ष्य

दो पुत्र और एक पुत्री के पिता जगदीश भारती कहते हैं कि एक कलाकार के लिए सिर्फ एक कलाकार होना ही काफी नहीं होता है, उसे और भी कई चीज़ों पर काम करना होता है। सफल होने में मेहनत लगती है लेकिन उससे भी ज्यादा मेहनत उस सफलता को बनाये रखने में होती है। उनका मानना है कि किसी भी कला के लिए जितना भी टाइम दो उतना कम है। इसीलिए उन्हें अपना जमा जमाया पुश्तैनी कारोबार छोड़ना पड़ा। जादू की इस तिलिस्मी दुनिया में आज भी 84 साल की अवस्था में जगदीश भारती का संघर्ष जारी है।

Magician Jagdish Bharti Magician Jagdish Bharti (PC: social media)

अंधविश्वास से दूर रखने की सलाह

देश और प्रदेश वासियों को जादू से तिलस्मी दुनिया में सैर कराने के लिए मशहूर जादूगर जगदीश भारती ने बताया कि जादू के माध्यम से उनका उद्देश्य लोगों को अंधविश्वास से भी दूर रखना है। कुछ लोग जादू और सम्मोहन से भोले भाले लोगों को ठगने का काम करते हैं जो अति निन्दनीय है और ऐसे लोग जादू कला के लिए कलंक हैं। उन्होंने लोगों को ढोंग, ठगों से दूर रहने की सलाह देते हुए कहा कि सारा खेल तिलिस्म विज्ञान, सम्मोहन हाथ की सफाई से होता है। जादू से समाज को स्वस्थ मनोरंजन मिलता है। सरकार की उदासीनता से यह कला विलुप्त हो रही है। इस कला को बचाने के लिए हम लोग लगे हुए हैं।

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उन्होंने कहा कि जादू को सरकार संरक्षण नहीं दे रही है जबकि एक यही कला है, जिसे पूरे परिवार के लोग एक साथ बैठकर देख सकते हैं। ऐसे में सरकार को इस पर लगने वाला मनोरंजन कर हटाकर जादू के कलाकारों को प्रोत्साहन देना चाहिए।

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