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लापरवाही: खाली जगह पर रह रहे मजदूर, सामाजिक दूरी व स्वच्छता से हैं अनभिज्ञ
यहां रह रहे मजदूरों को जागरूक करने की अभी तक कोई आवश्यकता नहीं महसूस की गयी है। इतनी लापरवाही देखकर यही प्रतीत होता है कि जिले के अधिकारी या तो शासन के निर्देशों के प्रति गम्भीर नही है या फिर वे जान बूझकर जिले को इस महामारी में झोंकने के लिए तैयार कर रहे हैं।
अम्बेडकर नगर: एक तरफ देश कोरोना महामारी से युद्ध स्तर पर जंग लड़ रहा है तो दूसरी तरफ जिला मुख्यालय पर ही जिले के बड़े अधिकारियों की नाक के नीचे इसका खुला मजाक बनाया जा रहा है। अपने अपने आवास से निकलते ही इन साहबो की नजर इन पर जरूर ही पड़ती होगी लेकिन अभी तक उनकी किसी ने सुधि नही ली।
अभी तक किसी ने नहीं ली सुधि
यहां रह रहे मजदूरों को जागरूक करने की अभी तक कोई आवश्यकता नहीं महसूस की गयी है। इतनी लापरवाही देखकर यही प्रतीत होता है कि जिले के अधिकारी या तो शासन के निर्देशों के प्रति गम्भीर नही है या फिर वे जान बूझकर जिले को इस महामारी में झोंकने के लिए तैयार कर रहे हैं।
आला अधिकारियों की नाक के नीचे रह रहे बड़ी संख्या में मजदूर
मामला है जिला मुख्यालय पर स्थित मुख्य विकास अधिकारी व अपर जिलाधिकारी आवास के सामने खाली पड़े मैदान का है। अकबरपुर तहसील के ठीक पीछे खाली पड़ी इस जमीन पर न्यायिक अधिकारियों के आवास बनाए जा रहे हैं। इन आवासों को बनाने का ठेका आवास विकास को दिया गया है। संबंधित ठेकेदार द्वारा बिहार, मध्य प्रदेश, जौनपुर से पांच दर्जन से ज्यादा मजदूरों को काम करने के लिए यहां पर लाया गया था ।
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सामाजिक दूरी व स्वच्छता से भी हैं अनभिज्ञ
इसी बीच लॉक डाउन हो जाने के कारण यह मजदूर यहीं पर रुकने को मजबूर हो गए हैं। ईट की बनी झुग्गियों में भारी संख्या में रह रहे इन मजदूरों से जब इस संवाददाता ने बात की तो उन्हें न तो सामाजिक दूरी के बारे में कुछ जानकारी है और ना ही उन्हें स्वच्छता के बारे में ही किसी ने अब तक कुछ बताया है। रोजाना की तरह यह मजदूर आज भी अपनी दिनचर्या को आगे बढ़ा रहे हैं हालांकि निर्माण कार्य बन्द है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा भी अभी तक उन्हें जागरूक करने के लिए कोई पहल नहीं की गई है। यह मजदूर सामान की तलाश में बाजार में टहल रहे हैं।
एक भी मजदूर हुआ प्रभावित तो स्थिति बिगड़ सकती है
इन मजदूरों ने बताया कि उनके पास खाने पीने के लिए भी एक-दो दिन के लिए ही सामान व पैसा है। वहां पर मौजूद मेट राजकुमार ने बताया कि ठेकेदार से बराबर बात की जा रही है लेकिन अभी वह नहीं आए हैं। उसने बताया कि वह मजबूर है और इन मजदूरों को छोड़कर नहीं जा सकता। साफ है कि इन मजदूरों में से कोई एक भी मजदूर यदि प्रभावित हुआ तो स्थिति कैसी होगी, इसका आकलन नहीं किया जा सकता है ।
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इनमें लड़कियां और छोटे-छोटे बच्चे भी शामिल हैं। जिले के उच्च अधिकारियों के आवास के सामने रह रहे इन मजदूरों की स्थिति अधिकारियों को क्यों नहीं दिखाई पड़ रही है यह एक गंभीर विषय है। हालात ऐसे ही रहे तो आने वाले दिन जिले के लिए बेहद भारी पड़ सकते हैं।
आखिर क्या कर रहा स्वास्थ्य महकमा
यही हाल जिला मुख्यालय पर बिजली आफिस के पास झुग्गी में रह रहे उन लोगो का भी है जो बांस से घरेलू सामान बनाकर अपनी दिनचर्या चलाते हैं। यंहा पर तीन परिवार रहता है जिनके पास खाने को कुछ नही है। मौके पर मौजूद अशोक व प्रकाश ने बताया कि आसपास के लोग उन्हें खाने का सामान पहुंचा दे रहे हैं लेकिन प्रशासन की तरफ से अभी तक कोई नही आया है।
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