यूपी कर रहा गलती: लॉकडाउन में ढ़ील से बुरा असर, महामारी से मचा कोहराम

योगी सरकार के तमाम प्रयासो और कवायदों के बावजूद कोरोना यूपी में बड़ी संख्या में संक्रमित लोगों के लगातार मिलने का सिलसिला जारी है।

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Published on: 9 Sep 2020 8:09 AM GMT
यूपी कर रहा गलती: लॉकडाउन में ढ़ील से बुरा असर, महामारी से मचा कोहराम
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मनीष श्रीवास्तव

लखनऊ: योगी सरकार के तमाम प्रयासो और कवायदों के बावजूद कोरोना यूपी में बड़ी संख्या में संक्रमित लोगों के लगातार मिलने का सिलसिला जारी है। हालांकि सरकार का दावा है कि यूपी सरकार कोरोना महामारी से पूरी मजबूती के साथ लड़ाई लड़ रही है और इसी का परिणाम है कि राज्य में कोरोना पजिटिविटी दर तथा मृत्यु दर कम है तथा रिकवरी दर बेहतर है। लेकिन रोजाना आ रहे आंकड़ों को देखे तो साफ है कि संक्रमण रोज बढ़ता ही जा रहा है और अब धीरे-धीरे यह भयावह रूप लेता जा रहा है और अब 20 दिन के अंतराल में ये संख्या दोगुनी हो रही है। खास बात ये है कि अब यूपी का कोई भी जिला ऐसा नही है जो कोरोना से अछूता हो और छोटे जिलों में भी कोरोना मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है।

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यूपी में कोरोना संक्रमण का पहला मामला बीती 06 मार्च को आया था

यूपी में कोरोना संक्रमण का पहला मामला बीती 06 मार्च को आया था। इसके बाद 25 मार्च से लाकडाउन लागू हो गया था। लाकडाउन के बाद 07 जून को यूपी में 10 हजार 536 कोरोना संक्रमण के मामलें सामने आए थे। अनलाक की प्रक्रिया शुरू होने पर जैसे-जैसे लाकडाउन के नियमों में ढ़ील दी गई वैसे-वैसे कोरोना संक्रमण के मामलों में तेजी आती गई। 25 जून को महज 18 दिन में ही राज्य में कोरोना संक्रमितों की संख्या दोगुनी हो कर 20 हजार 193 हो गई।

इसके 20 दिन बाद 15 जुलाई को राज्य में कोरोना संक्रमितों की संख्या 41 हजार 383 पर पहुंच गई। इसी तरह 15 दिन बाद 30 जुलाई को 81 हजार 039, 19 दिन बाद 18 अगस्त को 01 लाख 62 हजार 434 तथा 20 दिन बाद 07 सितंबर को 02 लाख 71 हजार 851 कोरोना संक्रमण के मामले सामने आ चुके है। इसमे भी 0-20 आयु वर्ग के 14.12 प्रतिशत, 21-40 आयु वर्ग के 48.70 प्रतिशत, 41-60 आयु वर्ग के 28.50 प्रतिशत तथा 60 वर्ष के अधिक आयु वर्ग के 8.68 प्रतिशत लोग संक्रमित पाये गये है।

corona corona (social media)

यूपी में बीते मंगलवार तक 67 लाख से ज्यादा सैम्पलों की जांच की जा चुकी है

यूपी में बीते मंगलवार तक 67 लाख से ज्यादा सैम्पलों की जांच की जा चुकी है। प्रदेश में पहली सितंबर से 06 सितंबर के बीच की गई जांचों की कुल पाजिटिविटी दर 4.5 प्रतिशत पायी गई, जो राष्ट्रीय औसत 5.00 प्रतिशत से कम है। लेकिन इसमे बड़ी संख्या रैपिड टेस्ट की है, जिसकी जांच रिपोर्ट को बहुत ज्यादा विश्वसनीय नहीं माना जा रहा है। यहीं कारण है कि जिसमे रैपिड टेस्ट की पाजिटिविटी दर 3.7 प्रतिशत, ट्रूनेट मशीन टेस्ट की पाजिटिविटी दर 15.4 तथा आरटीपीसीआर टेस्ट की पाजिटिविटी दर 5.4 प्रतिशत आई है।

बढ़ते कोरोना संक्रमितों के कारण अस्पतालों में बेड खाली नहीं रह गए है। लिहाजा राज्य सरकार ने हल्के संक्रमण वाले मरीजों को होम आइसोलेट करने की व्यवस्था शुरू कर दी है। यूपी में बीते मंगलवार तक कुल 01 लाख 23 हजार 802 लोग होम आइसोलेशन में जा चुके है, जिसमे से 91 हजार 708 की आइसोलेशन अवधि समाप्त हो चुकी है। हालांकि राज्य सरकार ने इस ओर ध्यान देना शुरू कर दिया है और मुख्यमंत्री लगातार कोविड अस्पतालों में बेडों की संख्या बढ़ाने के निर्देश दे रहे है। इसके साथ ही नए राज्य में नए कोविड अस्पताल भी खोले जा रहे है।

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सरकारी आकंड़ों के मुताबिक प्रदेश में रिकवरी का प्रतिशत 75.76 है

सरकारी आकंड़ों के मुताबिक प्रदेश में रिकवरी का प्रतिशत 75.76 है। इस संबंध में विशेषज्ञों का कहना है कि यूपी में अधिकतर संक्रमण हल्के और मध्यम स्तर के है। इसलिए लोग जल्दी ही इस बीमारी से ठीक हो रहे है। इसके अलावा यूपी में कोरोना से 3976 लोगों की मौत हो चुकी है। यहां कोरोना संक्रमित से होने वाली मौत की दर 1.46 प्रतिशत है। राज्य में कोरोना संक्रमितों के मिलने तथा मौतों की बड़ी संख्या बडे़ जिलों या शहरों में है। वायरस के संक्रमण के इस पैटर्न को देखते हुए सरकार ने 11 जिलों मे सीरो सर्वे भी कराया है, जिसके नतीजे अभी नहीं आये है।

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