×

Hardoi News: बिना दवाई के कैसे टीबी मुक्त होगा भारत, दवाई के अभाव में जनपद के टीबी मरीज़

Hardoi News: जिला अस्पताल में टीवी की दवाएं बीते 42 दिनों से उपलब्ध नहीं है जिससे कि स्वास्थ्य विभाग के रिकॉर्ड में टीवी के मरीजों को दवाइयां उपलब्ध नहीं हो पा रही है। ऐसे में मरीजों के आगे संकट खड़ा हो गया है।

Pulkit Sharma
Published on: 20 July 2023 1:58 PM GMT
Hardoi News: बिना दवाई के कैसे टीबी मुक्त होगा भारत, दवाई के अभाव में जनपद के टीबी मरीज़
X
(Pic: Newstrack)

Hardoi News: प्रधानमंत्री की महत्वकांक्षी योजना को स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार पलीता लगाने में जुटे हुए हैं। प्रधानमंत्री द्वारा वर्ष 2022 में भारत को टीवी मुक्त बनाने का अभियान शुरू किया था। पीएम मोदी ने “निश्रय” नाम से इस अभियान की शुरुआत की थी। इस अभियान का लक्ष्य देश को 2025 तक टीवी की बीमारी से पूरी तरह से मुक्त बनाने का है। जनपद में स्वास्थ्य विभाग की कारगुजारी के चलते प्रधानमंत्री के अभियान को पूरा कैसे किया जा सकेगा।

जिला अस्पताल में चल रहे टीवी वार्ड में मरीजों को 42 दिन से दवा ही नहीं उपलब्ध हो पा रही है। टीवी के लिए जिला चिकित्सालय में प्रमुख तौर पर उपयोग की जाने वाली एफडीएससी-3 पेडियाट्रिक उपलब्ध नहीं है। ऐसे में सवाल उठता है कि 2025 तक भारत में टीवी रोग की बीमारी कैसे समाप्त हो पाएगी।

सरकारी अभिलेखों में 280 बच्चे है टीबी से ग्रसित

जिला चिकित्सालय के रिकॉर्ड में 280 बच्चे टीवी की बीमारी से ग्रसित है। डॉक्टरों की माने तो टीवी की बीमारी में जो दवाओं का क्रम चलाया जाता है उसको तोड़ना काफी समस्याओं को उत्पन्न कर देता है। डॉक्टरों के मुताबिक जो दवाएं टीवी मरीज को दी जा रही है उसमें एक भी दिन का नागा नहीं होना चाहिए। यदि मरीज किसी भी दिन दवा को नियमित नहीं लेता है तो उसका कोर्स बेकार हो जाता है। मरीज को दोबारा से टीवी की दवाइयों का कोर्स करना पड़ता है। सबसे बड़ी बात तो यह है कि इन सब बातों को जान कर भी जिम्मेदार बेखबर है।

जिला अस्पताल में टीवी की दवाएं बीते 42 दिनों से उपलब्ध नहीं है जिससे कि स्वास्थ्य विभाग के रिकॉर्ड में टीवी के मरीजों को दवाइयां उपलब्ध नहीं हो पा रही है। ऐसे में मरीजों के आगे संकट खड़ा हो गया है। इन सभी बच्चों को वजन के हिसाब से प्रत्येक दिन दवाई दी जाती है। 6 से 10 किलो तक वजन वाले बच्चों को एक गोली रोज और 11 से 15 किलो तक वजन वाले बच्चों को प्रतिदिन दो गोली दी जाती है।

लाखों का बजट फिर भी दवाओं का अभाव

जानकारी के मुताबिक टीवी से ग्रसित बच्चों को एफडीसी 3 पीडियाट्रिक की दवाई 5 माह 15 दिन तक जाती है। यह दवा प्रतिदिन दी जाती है जिसके बाद टीवी से ग्रसित मरीज की दोबारा जांच कराई जाती है जिसके बाद डॉक्टर आवश्यकता होने पर पुनः कोर्स को शुरू करने की हिदायत देता है। यदि दवा किसी भी दिन मरीज नहीं ले पाता तो उस कोर्स को दोबारा शुरू करना पड़ता है। स्वास्थ्य विभाग की लाचारी का यह हाल है कि टीवी के मरीजों के लिए ना तो दवा उपलब्ध है और ना ही अगले एक माह तक दवा मिलने की कोई संभावना है। ऐसा नहीं कि टीवी के मरीजों के लिए बजट का कोई अभाव हो लेकिन जिम्मेदार अपनी जिम्मेदारी से भाग रहे हैं।

स्वास्थ विभाग से जुड़े सूत्र बताते हैं कि ₹3 लाख प्रत्येक वर्ष टीवी रोग विभाग को खर्च करने के लिए दिया जाता है। लेकिन जिम्मेदार अपनी जिम्मेदारियों से मुंह चुरा रहे हैं जिसका खामियाजा टीवी से ग्रसित मरीजों को उठाना पड़ रहा है। स्वास्थ विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों की लापरवाही से टीवी के मरीजों के ऊपर संकट खड़ा हुआ है। स्वास्थ विभाग की अनदेखी से प्रधानमंत्री के 2025 तक टीवी मुक्त भारत की मंशा को भी पलीता लगाया जा रहा है।

Pulkit Sharma

Pulkit Sharma

Next Story