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बिना किताबों वाली लाइब्रेरियां

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Published on: 31 July 2023 2:27 PM GMT
बिना किताबों वाली लाइब्रेरियां
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बिना किताबों वाली लाइब्रेरियां

मनीष श्रीवास्तव

लखनऊ। करीब सौ से ज्यादा युवक-युवतियां एक साथ एक ही हॉल में और हॉल में सन्नाटा। इस सन्नाटे को तोड़ती एयरकंडीशनर की मद्धिम आवाज। यह किसी फिल्म का सीन नहीं, यह है राजधानी लखनऊ के अलीगंज क्षेत्र में स्थित एक लाइब्रेरी का। जी हां, लखनऊ में ऐसी तमाम लाइब्रेरियां है, जो स्टूडेंट्स को पढऩे के लिए जगह और माहौल दे रही है। यह लाइब्रेरियां परंपरागत लाइब्रेरियों से काफी अलग हैं। परम्परागत लाइब्रेरियों की तरह इनमें आपको किताबें नहीं मिलतीं। बल्कि किसी कार्पोरेट आफिस की तर्ज पर बने एयरकंडीशंड हॉल में साइबर कैफे जैसे वर्कस्टेशन होते हैं। हर वर्कस्टेशन पर पयाप्त रोशनी और आरामदेह कुर्सी होती है। लेकिन वर्कस्टेशन पर कंप्यूटर नहीं होते। यहां स्टूडेंट्स अपनी कॉपी-किताबें, लैपटॉप लेकर आते हैं और घंटों पढ़ते हैं। इसके लिए वह हर महीने एक तय लाइब्रेरी फीस भरते हैं। यहां का नजारा किसी तपोवन जैसा लगता है, जहां सैकड़ों तपस्वी अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए साधना में लीन हों। सैकड़ों युवक-युवतियों एक हॉल में घंटों बैठे रहने के बावजूद कोई किसी से बातचीत नहीं करता और न किसी के मोबाइल की घंटी ही बजती है। लड़के-लड़कियों में कोई फुसफुसाहट तक नहीं। सबकी नजरें सिर्फ किताबों या लैपटॉप पर रहती हैं। कुछ लाइब्रेरियों में आठ-आठ घंटे की दो शिफ्टें चलती है तो कुछ में तीन शिफ्ट यानी 24 घंटे निर्र्बाध। आठ घंटे की शिफ्ट के लिए स्टूडेंट्स को हर महीने 800 से 1000 रुपए तक देने होते हैं। इन लाइब्रेरियों में अधिकतर स्टूडेंट्स सिविल सर्विस की तैयारी के लिए आते हैं। सिविल सेवा के अलावा जिन प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने के लिए स्टूडेंट्स आते हैं उनमें शिक्षक, बैंक और मेडिकल शामिल हैं।

यहां मिलता है पढ़ाई का माहौल

सवाल यह उठता है कि जब लाइब्रेरी में किताबें ही नहीं हैं तो आखिर इतनी बड़ी संख्या में स्टूडेंट्स यहां क्यों आते हैं? इसका जवाब देते हैं ऐसी ही एक लाइब्रेरी में पढऩे वाले कुलदीप मिश्रा। बीटेक कर चुके हरदोई निवासी कुलदीप सिविल सेवा की तैयारी कर रहे हैं। लखनऊ में वो कमरा लेकर रहते हैं। कुलदीप बताते हैं कि पढ़ाई तो हम अपने रूम पर भी कर सकते हैं लेकिन रूम पर हमें पढ़ाई का माहौल नहीं मिल पाता है। दो - तीन घंटे की पढ़ाई के बाद बोरियत होने लगती है और फिर पढ़ाई में मन नहीं लगता। वह बताते है कि लाइब्रेरी में पूरी तरह से शांत और पढ़ाई का माहौल रहता है, सभी अपनी-अपनी पढ़ाई करते हैं और बोरियत का अहसास नहीं होता है। बहुत दूर भी नहीं जाना पड़ता क्योंकि रूम से थोड़ी ही दूर पर लाइब्रेरी है। कुलदीप ही नहीं, आजमगढ़ के बीकॉम ग्रेजुएट सुमित राय, जो बैंक परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं या फिर राजाजी पुरम में रहने वाले अक्षय सभी इन लाइब्रेरी में महज पढ़ाई के वातावरण की चाह में आते हैं। ऐसे ही एक स्टूडेंट हैं एस.एल. कश्यप जो 'आदिज्योति लाइब्रेरी' में पढ़ाई करने आते थे और फिलहाल केरल के एक स्कूल में टीचर के तौर पर तैनात हो चुके हैं। लाइब्रेरी के अपने दोस्तों और गुरुओं से मिलने आये उन्नाव निवासी कश्यप बताते हैं कि उन्हें इस लाइब्रेरी ने बहुत मदद दी है। वह बताते हैं कि कस्बे की पृष्ठभूमि होने के कारण उनमें आत्मविश्वास की बहुत कमी थी लेकिन लाइब्रेरी में आने के बाद उनके आत्मविश्वास में वृद्धि हुई और आज वह एक सम्मानजनक नौकरी कर रहे हैं।

किताबें और अखबार भी

अलीगंज की आदिज्योति लाइबे्ररी दो शिफ्टों में यानी 16 घंटे चलती है। इस लाइब्रेरी में करीब दौ सौ स्टूडेंट्स मेंबर हैं। इस लाइब्रेरी में सभी प्रमुख स्थानीय हिंदी और अंग्रेजी अखबार और जनरल नॉलेज की किताबें उपलब्ध रहती हैं। यहां मेंबर्स के लिए चाय-कॉफी का भी इंतजाम है वह भी किफायती दरों पर। इस लाइब्रेरी के संस्थापक त्रयम्बक पाठक का दावा है कि लखनऊ में इस तरह की लाइब्रेरी स्थापित करने का पहला प्रयोग उन्होंने ही किया था। वह बताते हैं कि अब तो शहर में इस तरह की करीब दौ सौ से ज्यादा लाइब्रेरियां चल रही हैं और नई-नई लाइब्रेरियां खुलती भी जा रही हैं। त्रयम्बक बताते हैं कि वह खुद सिविल सर्विस की तैयारी कर रहे हैं और दो बार मेन्स तक पहुंच चुके हैं। वह कहते है कि बढ़ती उम्र और जिम्मेदारियों ने उन्हें कुछ व्यवसाय शुरू करने के लिए बाध्य किया। वह बताते हैं - 'मेरे पास बहुत ज्यादा पैसा नहीं था कि कोई ठीक-ठाक बिजनेस शुरू कर सकूं। मेरी पूंजी मेरा ज्ञान ही था इसलिए फैसला लिया कि कुछ ऐसा काम शुरू किया जाए जहां से आमदनी भी हो और पढ़ाई से जुड़ाव भी बना रहे। तो इस तरह से करीब दो साल पहले आदिज्योति लाइब्रेरी की स्थापना हुई।'

त्रयम्बक बताते हैं कि उनकी लाइब्रेरी में एक बुक बैंक भी है, जिसमें विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए किताबें और मैगजीनें आदि उपलब्ध हैं। इसके अलावा वह स्वयं भी और कुछ विषय विशेषज्ञ प्रोफेसर भी समय-समय पर विद्यार्थियों के साथ संवाद करते हैं, जिससे विद्यार्थियों के दृष्टिकोण में काफी सकारात्मक परिवर्तन आता है। इसके अलावा विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं के प्रश्नपत्र भी विद्यार्थियों को उपलब्ध कराये जाते हैं। वह बताते हैं कि उनकी लाइब्रेरी आठ-आठ घंटे की दो शिफ्टों में चलती है। प्रत्येक शिफ्ट के लिए हर स्टूडेंट से 1000 रुपये की फीस ली जाती है। त्रयम्बक जल्द ही 'ज्ञान दान' नाम से एक नया प्रोजेक्ट शुरू करने जा रहे हैं। इसमें विभिन्न स्कूलों के स्टूडेंट्स से उनकी पुरानी और अनुपयोगी किताबे दान में ली जायेंगी और उन्हें जरूरतमंद छात्रों को बांटा जायेगा।

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अलीगंज में ही स्थित 'डिवाइन लाइब्रेरी' ने स्टूडेंट्स को आकर्षित करने के लिए एयरकंडीशंड रीडिंग रूम, शांत वातावरण, लिफ्ट, डाइनिंग हॉल, कैफेटेरिया, हर टेबल पर लैपटाप व मोबाइल चार्ज करने के लिए प्वाइन्ट, दैनिक अखबार व मैगजीनें, आरओ का ठंडा पानी, सीसी टीवी सर्विलांस और पर्याप्त पार्किंग उपलब्ध कराने का दावा किया है।

'स्कालर्स लाइब्रेरी' अपेक्षाकृत छोटी लाइब्रेरी है। यहां एक शिफ्ट में करीब 60 स्टूडेंट्स के बैठने और पढऩे की सुविधा है। इस लाइब्रेरी के संचालक विभु पांडे बताते हैं कि उनकी लाइब्रेरी सुबह सात बजे खुल जाती है और रात 10 बजे तक चलती है। वह बताते हैं यहां स्टूडेंट्स को केवल पढऩे के लिए वातावरण उपलब्ध कराया जाता है। एसी हॉल में बैठ कर पढऩे के लिए यहां आने वाले स्टूडेंट्स को आठ घंटे की शिफ्ट के लिए हर 800 रुपए देने होते हैं।

लड़कियों को सेफ्टी

गुरुकुल स्टडी सर्किल में सिविल सेवा की तैयारी के लिए पढऩे आने वाली जागृति बताती हैं कि उनके लिए सबसे महत्वपूर्ण यहां मिलने वाला माहौल है। वह कहती हैं कि वह पढ़ाई तो घर में भी कर सकती हैं लेकिन घर में अन्य पारिवारिक सदस्यों की मौजूदगी में सिविल सेवा के लिए जरूरी एकाग्रता नहीं मिल पाती है। इसके अलावा अगर कोई मेहमान आ जाए तो समय खराब होता हैं। लाइब्रेरी में उन्हें पूरी एकाग्रता से पढ़ाई करने का मौका मिलता है। यहां आने वाले सभी विद्यार्थियों का पूरा फोकस पढ़ाई पर ही होता है, इसलिए किसी तरह की अवांछित घटनाएं नहीं होतीं। इसके अलावा हॉल में सीसीटीवी कैमरा सर्विलांस है, जिससे अगर कोई इस तरह की हरकत करता भी है तो उसे तत्काल लाइब्रेरी से निष्कासित कर दिया जाता है।

अलीगंज ही क्यों

लखनऊ में अलीगंज इलाके में कपूरथला से इंजीनियरिंग कालेज तक सैकड़ों कोचिंग संस्थान हैं जहां हर विषय और हर परीक्षा की तैयारी कराई जाती है। यहां हजारों स्टूडेंट्स की आमदरफ्त रहती है। इलाके में लोगों ने अपने घरों में हॉस्टल खोल रखे हैं, दर्जनों टिफिन सर्विस चल रही हैं। २४ घंटे सातों दिन चलने वाली लाइब्रेरी की शुरुआत दो साल के भीतर ही हुई है लेकिन बिजली की तेजी से रफ्तार पकड़ी है। किसी अन्य बिजनेस की जगह ऐसी बुक-लेस लाइब्रेरी या रीडिंग रूम में बहुत ज्यादा निवेश करने की जरूरत नहीं पड़ी और हॉस्टल जैसा कोई झंझट भी नहीं होता सो तमाम मकान मालिकों ने अपने घरों में लाइब्रेरियां खोल दी हैं। कम लागत में शुरू होने वाले इस काम में भवन मालिकों को अच्छी कमाई हो रही है। जबकि कुछ लोगों ने ऐसी लाइब्रेरियों के लिए अपने भवनों को किराये पर भी दे रखा है। दरअसल, लाइब्रेरियों के इस कान्सेप्ट में सभी के लिए विन-विन सिचुएशन है। महज दो से तीन लाख रुपए के निवेश से भवन मालिक ऐसी लाइब्रेरी शुरू कर देते हैं और प्रति स्टूडेंट 1000 रुपए की फीस लेकर महीने में औसतन एक लाख रुपए की आमदनी आराम से हो जाती है। उनका हर महीने का खर्चा सिर्फ बिजली बिल और साफ-सफाई पर होता है। नगर निगम को कामर्शियल हाउस टैक्स देने के बाद भी बढिय़ा आमदनी हो जाती है। हॉस्टल में इतनी आमदनी होती नहीं है।

लखनऊ नगर निगम के अलीगंज क्षेत्र के कर अधीक्षक अनिल आनन्द का कहना है कि नगर निगम में इन लाइब्रेरियों पर अलग से टैक्स की कोई व्यवस्था नहीं है। उनका कहना है कि नगर निगम में केवल दो तरह के करों की वसूली की जाती है, आवासीय और अनावासीय। वह कहते हैं कि भवन के अनावासीय उपयोग में भी करीब 11 प्रकार के कर है। वह कहते है कि अगर किसी भवन में लाइब्रेरी का संचालन हो रहा है तो उस पर व्यवसायिक कर ही लगेगा।

अन्य राज्यों में भी फैला है लाइब्रेरी का बिजनेस

रीडिंग रूम लाइब्रेरी का चलन कई अन्य राज्यों में फैल रहा है। राजस्थान में जयपुर और कोटा में ऐसी ढेरों लाइब्रेरियां हैं जिनमें बेसिक सुविधाएं ही दी जाती हैं। बिहार और दिल्ली में भी ऐसी लाइब्रेरियों का चलन है।

चीन में तरह-तरह के रीडिंग रूम

चीन में रीडिंग रूम लाइब्रेरियों का खूब चलन है। वहां हर वर्कस्टेशन पर टेलब लैम्प, लॉकर, फुल पार्टीशन और पैंट्री (जिसमें एनर्जी ड्रिंक्स और सॉफ्ट ड्रिंक से भरे चिलर, माइक्रोवेव, कॉफी-चाय वेंडिग मशीन आदि लगे होते हैं) के अलावा बीन बैग व रिक्लाइनिंग चेयर वाले रिलैक्सेशन रूम की भी सुविधा दी जाती है।

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सीमा शर्मा लगभग ०६ वर्षों से डिजाइनिंग वर्क कर रही हैं। प्रिटिंग प्रेस में २ वर्ष का अनुभव। 'निष्पक्ष प्रतिदिनÓ हिन्दी दैनिक में दो साल पेज मेकिंग का कार्य किया। श्रीटाइम्स में साप्ताहिक मैगजीन में डिजाइन के पद पर दो साल तक कार्य किया। इसके अलावा जॉब वर्क का अनुभव है।

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