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'मन की बात' में मोदी से हक की बात करेंगे नन्हे कैंसर विजेता
कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी को हरा चुके बच्चों का एक ग्रुप कैंसर से जूझ रहे देश के अन्य बच्चों के इलाज की सुविधाएं मुहैया करने के हक पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से उनके मन की बात कार्यक्रम में सवाल पूछेंगे।
मनीष श्रीवास्तव
लखनऊ: कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी को हरा चुके बच्चों का एक ग्रुप कैंसर से जूझ रहे देश के अन्य बच्चों के इलाज की सुविधाएं मुहैया करने के हक पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से उनके मन की बात कार्यक्रम में सवाल पूछेंगे।
कैंसर विजेता इन बच्चों ने प्रधानमंत्री मोदी से बात करने के लिए उनके संसदीय क्षेत्र वाराणसी जाने का फैसला किया हैं।
बच्चों के कैंसर के क्षेत्र में कार्य करने वाली संस्था कैन किड्स किड्स कैन के सहयोग से यह नन्हे कैंसर विजेता एक जागरूकता अभियान चला रहे है।
जिसमे कैंसर पीड़ित बच्चो के लिए यूपी में कार रैली निकाल कर जागरूकता अभियान शुरू किया गया हैं। गुरुवार को किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो. एमएल भटट ने हक की बात के नाम से चलने वाले इस अभियान की शुरूआत की।
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बचपन में कैंसर से जंग जीत चुके इन नन्हे विजेताओं का कहना है कि हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्वाचन क्षेत्र में जा रहे हैं। मन की बात में हमारे प्रधानमंत्री देश के नागरिकों से अपने मन की बात करते हैं।
पीएम मोदी को देश के लोगों से बातें करता देख अच्छा लगता है
हमें यह देखकर अच्छा लगा कि देश का कोई नेता देश के नागरिकों से इस तरह खुले दिल से बात कर रहा है। हम उनसे कैंसर से जूझ रहे बच्चों के इलाज को प्राथमिकता देने और इलाज की सारी सुविधाएं मुहैया कराने पर बात करना चाहते हैं। हम उनसे अपने हक की बात करना चाहते हैं।
नन्हे कैंसर विजेताओं का कहना है कि वह प्रधानमंत्री से पूछना चाहते हैं कि कैंसर से जूझ रहे 76 हजार बच्चों से केवल 15 हजार बच्चे ही क्यों अस्पताल पहुंच पाते हैं। कैंसर के इलाज के संबंध में अस्पतालों और डॉक्टरों के पास जानकारी कम क्यों है।
इसका नतीजा यह होता है कि जब तक कैंसर पीड़ित बच्चा इलाज के लिए सही अस्पताल में पहुंचता हैं, तब तक बहुत देर हो चुकी होती है।
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पीएम मोदी से करेंगे ये सवाल
यह नन्हे कैंसर विजेता हक की बात अभियान के तहत प्रधानमंत्री के कार्यक्रम मन की बात में यह पूछना चाहते हैं कि विकसित देशों में कैंसर से जूझ रहे 90 फीसदी बच्चे ठीक हो जाते हैं मगर भारत में क्यों नहीं होते।
उन्होंने कहा कि हम यह पूछना चाहते हैं कि वह जिस शहर में पैदा हुआ, उस शहर में कैंसर के इलाज के लिए बेहतर दवाएं अस्पताल और इलाज के अच्छे संसाधन क्यों नहीं मिले।
प्रधानमंत्री से मन की बात के तहत अपने हक की बात करने के लिए नन्हे कैंसर विजेता प्रधानमंत्री से पूछेंगे कि मार्फीन न होने के कारण कैंसर से जूझ रहे बच्चों को बेमतलब का दर्द झेलना पड़ता है।
बताते चले कि भारत में कैंसर से जूझ रहे 40 फीसदी बच्चे ही कैंसर की जंग में जीत पाते हैं, जबकि दुनिया में कैंसर से पीड़ित 90 फीसदी बच्चों को जिंदगी मिल जाती है।