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इस बार आम के उत्पादन और निर्यात पर भी पड़ सकता है लॉकडाउन का असर!
कोरोना वायरस का कहर इस साल देश-विदेश में प्रख्यात दशहरी आम पर भी पड़ने कीसंभावना है। आम उत्पादकों को लॉकडाउन के चलते लागू बंदिशों की वजह से फसल केबरबाद होने की आशंका सता रही है।
लखनऊ: कोरोना वायरस का कहर इस साल देश-विदेश में प्रख्यात दशहरी आम पर भी पड़ने कीसंभावना है। आम उत्पादकों को लॉकडाउन के चलते लागू बंदिशों की वजह से फसल केबरबाद होने की आशंका सता रही है।
लॉकडाउन के कारण प्रदूषण कम होने सेआम की फसल के लिये बेहतर है, लेकिन सिंचाई और दवा वगैरह के छिड़काव के लियेमजदूर न मिल पाने की वजह से फसल खराब होने की आशंका है।
साथ ही बागवान के मालिकों को यह भी डर है कि अगर लॉकडाउन लम्बा खिंचा तो आम मंडियों तक नहींपहुंच पाएगा। तब या तो वह डाल पर ही सड़ जाएगा, या फिर कौड़ियों के भाव बिकेगा।
मैंगो ग्रोवर्स एसोसिएशन आफ इंडिया के अध्यक्ष इंसराम अली ने लॉकडाउन के कारण उपजीस्थितियों पर गहरी चिंता जाहिर करते हुए बताया कि बिजली की कमी और लॉकडाउन केकारण मजदूर न मिलने की वजह से आम की सिंचाई नहीं हो पा रही है।
पूर्णबंदी की वजह से आम को सुरक्षित रखने के लिये पेटियां बनाने वाली फैक्ट्रियां भी बंद हैं।ऐसे में जब एक जिले से दूसरे जिले तक में आम पहुंचाना मुमकिन नहीं है, तो दूसरेदेशों में उसका निर्यात करना दूर की बात है।
उन्होंने कहा कि इस बार पूरी आशंकाहै कि दुनिया के कई देश लखनवी दशहरी समेत आम की तमाम किस्मों का स्वाद नहीं लेपायेंगे। दशहरी आम अमेरिका, सऊदी अरब, कुवैत, कतर, बहरीन, सिंगापुर, ब्रिटेन,बांग्लादेश, नेपाल तथा पश्चिम एशिया के लगभग सभी देशों में निर्यात होता है।पिछले साल करीब 45 हजार मीट्रिक टन आम निर्यात हुआ था।
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इस बार आम की अच्छी फसल की उम्मीद कम
इंशराम अली ने कहा कि इस साल प्रदेश में आम का बौर आ चुका है और बहुत अच्छी फसल की उम्मीद तो नहीं है लेकिन 30-35 लाख मीट्रिक टन आम उत्पादन होने की संभावना है, हालांकि अभी आम की फसल पूरी तरह तैयार होने में एक महीना बाकी है लेकिन अगर यह आगे भी लागू हुआ और सरकार ने आम उत्पादकों के लिए कुछ राहत नहीं दी तोेहालात बहुत खराब हो जाएंगे।
तब सड़ने से बचा आम सड़कों पर फेंकना पड़ेगा,क्योंकि यह कोई सब्जी या दवा नहीं है कि लोग उसे खरीदें ही। उन्होंने सरकार सेमांग की कि वह आम उत्पादकों को भी किसानों की ही तरह लॉकडाउन में छूट दे, ताकि वे बागों में जाकर अपना काम कर सकें।
साथ ही वह गेहूं और धान की तरह आम का भी न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित कर उसे खरीदे ताकि आम के उत्पादकों को बरबाद होने से बचाया जा सके।
पूरे देश का 23 फीसदी आम उत्पादन करने वाले उत्तर प्रदेश में 15 मैंगों बेल्ट है। जिन्हें लखनऊ स्थित मलीहाबाद, बाराबंकी, प्रतापगढ़, उन्नाव के हसनगंज, हरदोई के शाहाबाद,सहारनपुर, मेरठ तथा बुलंदशहर शामिल है। इसमे भी राजधानी लखनऊ के पास स्थित महिलाबाद के दशहरी आम की कई देशों में काफी मांग रहती है।
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