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यूपी के इस विभाग पर छाया आर्थिक संकट, कार्मिकों को वेतन मिलना मुश्किल
परिवहन निगम भी उन निगमों में शामिल है जो कि सरकारी योजनाओं व कार्यक्रमों के संचालन से अपनी आमदनी अर्जित करता है। इसी आमदनी से निगम द्वारा अपने कार्मिकों के वेतन-भत्ते की भरपाई भी होती है।
मेरठ: कोरोना महामारी और उससे उपजे लाकडाउन ने उत्तर प्रदेश परिवहन निगम के आगे भी भारी वित्तीय संकट खड़ा कर दिया है। मार्च के बाद अब अप्रैल का वेतन भी किसी न किसी तरह निगम के करीब 54 हजार कार्मिकों को मिल ही जाएगा मगर इसके बाद आगे के महीनों में वेतन मिलने की दुश्वारियां खड़ी होने के पूरे आसार बन गये हैं।
परिवहन निगम को प्रदेश सरकार से आर्थिक मदद की आस
परिवहन निगम भी उन निगमों में शामिल है जो कि सरकारी योजनाओं व कार्यक्रमों के संचालन से अपनी आमदनी अर्जित करता है। इसी आमदनी से निगम द्वारा अपने कार्मिकों के वेतन-भत्ते की भरपाई भी होती है। राज्य सरकार इन कार्मिकों के वेतन भत्तों के लिए कोई आर्थिक सहयोग नहीं करती है। ताजा हालात में परिवहन निगम प्रशासन प्रदेश सरकार से आर्थिक मदद की आस लगाए है।
जाहिर है कि प्रदेश सरकार से आर्थिक मदद नही मिलने की की स्थिति में निगम प्रशासन के लिए अपने कार्मिकों को वेतन देना संभव नही होगा। सूत्रों की मानें तो परिवहन मंत्री अशोक कटियार ने बुधवार को परिवहन निगम की नाजुक हालत से प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को अवगत कराते हुए परिवहन निगम के लिए विशेष पैकेज देने का अनुरोध किया है।
परिवहन निगम को हर माह करीब 1500 करोड़ कार्मिकों के वेतन
दरअसल, लाकडाउन की वजह से सार्वजनिक परिवहन बंद है। इसलिए उत्तर प्रदेश परिवहन निगम की 13 हजार बसों के पहियों पर ब्रेक लगा हुआ है। प्रदेश के इस सबसे बड़े निगम की बसें उत्तर प्रदेश के अलावा प्रदेश की सीमाओं के आसपास स्थित दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, उत्तराखंड और मध्यप्रदेश को जोडती हैं। सरकारी आंकडों के मुताबिक, इन बसों में हर रोज करीब 30 लाख यात्री सफर करते हैं। इनसे करीब 15 करोड़ रुपए का कलेक्शन हर रोज होता है, लेकिन लॉकडाउन होने के बाद से यह कलेक्शन बंद है।
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संविदा कार्मिकों की संख्या 33 हजार के करीब
दूसरी तरफ परिवहन निगम को हर माह करीब 1500 करोड़ रुपया कार्मिकों के वेतन भत्तों पर खर्च करना पड़ रहा है। यहां गौरतलब है कि निगम में नियमित कार्मिकों की संख्या करीब 28 हजार है जबकि संविदा कार्मिकों की संख्या 33 हजार के करीब है। यहां संविदा कार्मिकों के वेतन को लेकर परेशानी यह भी है कि संविदा चालकों और परिचालकों को किमी के आधार पर वेतन का भुगतान किया जाता है। ऐसे में जबकि बसें चल ही नही रही हैं तो उनका भुगतान कैसे किया जाएगा। जबकि प्रदेश सरकार के साफ निर्देश हैं कि किसी भी कार्मिक का वेतन ना रोका जाए।
आगे के महीनों में वेतन मिलना मुश्किल
यूपी रोडवेज इम्पलाइज यूनियन के प्रान्तीय सचिव सुहेल अहमद कहते है, मार्च के बाद अब अप्रैल का वेतन भी किसी न किसी तरह निगम कार्मिकों को मिल ही जाएगा मगर इसके बाद आगे के महीनों में वेतन मिलने की दुश्वारियां खड़ी होने के पूरे आसार बन गये हैं। क्योंकि बसें तो हमारी खड़ी हुई है। लाकडाउन खुलने के बाद भी सोशल डिस्टेंसिंग के अनुपालन की अनिवार्यता के चलते निगम की इन बसों में अगले कुछ महीनों तक तो सवारियों का संकट बना रहने के पूरे आसार हैं।
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सुहेल अहमद कहते हैं, रोडवेज यूनियन की तरफ से परिवहननिगम को आर्थिक पैकेज देने के साथ ही हालात सुधरने तक प्रदेश सरकार से यात्री टैक्श माफ करने की मांग की गई है। यहां गौरतलब है कि प्रदेश सरकार रोडवेज से प्रति सीट 425 रुपये यात्री टैक्श एडवांस में वसूलती है।
बसों में निर्धारित क्षमता से आधे यात्री ही बैठाए जा सकेंगे
बकौल सुहेल अहमद, लॉकडाउन खुलने के बाद यह तय है कि सोशल डिस्टेंसिंग के अनुपालन की अनिवार्यता के चलते बसों में निर्धारित क्षमता से आधे यात्री ही बैठाए जा सकेंगे। ऐसे में सवाल यह है कि सरकार बस में सवार यात्रियों के आधार पर ही टैक्स वसूलेगी या फिर पहले की तरह यात्री टैक्स सभी सीटों पर वसूलेगी।
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अभी 3 मई तक लॉकडाउन जारी रहेगा। इसके बाद परिवहन निगम की बसों का संचालन शुरु होगा या नही इस बारे में अभी तक विभाग का कोई भी आला अफसर कुछ भी कहने की स्थिति मे नही हैं। बहरहाल कहा जा सकता है कि जाहिर है कि रोडवेज बसों के पहिएं थमंने के दिन जैसे-जैसे बढ़ेगे वैसे,वैसे परिवहन निगम का नुकसान बढ़ने के साथ-साथ उसकी दुश्वारियां भी बढ़ेगीं।
रिपोर्ट- सुशील कुमार, मेरठ