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बाबा विश्वनाथ के दरबार में नहीं रहेगा कोई भूखा, शुरु हुई 'शिव की रसोई'

रंगभरी एकादशी पर गौरा के गौने आने के साथ ही शिव की रसोई भी शुरू हो गई। श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर अन्न क्षेत्र संचालन के लिए प्रशासन ने जो खाका खींचा है, उससे यह संयोग बना है।

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Published on: 24 March 2021 6:12 PM IST
बाबा विश्वनाथ के दरबार में नहीं रहेगा कोई भूखा, शुरु हुई शिव की रसोई
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श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर का अन्नक्षेत्र का पिछले साल पीएम ने लोकार्पण किया था। इस जी प्लस फाइव मंजिला भवन को 13 करोड़ रुपये खर्च कर बनाया गया है।

वाराणसी: बाबा काशी विश्‍वनाथ दरबार स्थित अन्नक्षेत्र में रंगभरी एकादशी के दिन से अन्‍न क्षेत्र का उद्घाटन किया गया। बाबा दरबार में भोजन और प्रसाद की व्‍यवस्‍था को देखते हुए तैयारियों को पहले ही अमलीजामा पहना दिया गया था। अब बुधवार को बाबा को भोग लगाने के साथ ही अन्‍न क्षेत्र का वैदिक परंपराओं के अनुरूप उद्घाटन किया गया। साधु संतों की ओर से बाबा दरबार में अन्‍न क्षेत्र दोबारा शुरू करने की मांग लंबे समय से उठ रही थी। जबकि बीते वर्ष कुछ ही दिनों तक बाबा दरबार में अन्नक्षेत्र का संचालन हो सका था।

प्रतिदिन पांच सौ लोगों को ग्रहण कराया जाएगा अन्न प्रसाद

रंगभरी एकादशी पर गौरा के गौने आने के साथ ही शिव की रसोई भी शुरू हो गई। श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर अन्न क्षेत्र संचालन के लिए प्रशासन ने जो खाका खींचा है, उससे यह संयोग बना है। बाबा की रसोई में नित्य 500 से अधिक भक्त अन्न प्रसाद ग्रहण कर पाएंगे तो श्रद्धालुओं के लिए सेवा का योग भी बनेगा।

पहले चरण में शिव की रसोई में सिर्फ एक समय यानी दोपहर का भोजन बनेगा। इसके लिए प्रशासन की ओर से शहर के लोगों से सहयोग की अपील की गई है। इसमें न्यूनतम 11 हजार रुपये सहयोग के रूप में देने वाले परिवार के हाथ सबसे पहले प्रसाद का वितरण होगा। प्रसाद बनाने में सहयोग कर सकेंगे तो मंदिर की एक आरती में सपरिवार भाग लेने का मौका भी मिलेगा।

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पिछले साल बन कर तैयार हुआ भवन

श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर का अन्नक्षेत्र का पिछले साल पीएम ने लोकार्पण किया था। इस जी प्लस फाइव मंजिला भवन को 13 करोड़ रुपये खर्च कर बनाया गया है। इसे संचालित करने के लिए अन्न क्षेत्र संचालन करने वाली विभिन्न संस्थाओं को बुलाया जरूर गया लेकिन बात नहीं बन पायी। हालांकि कोरोना काल में जरूरतमंदों को यहां से पका भोजन वितरित किया गया। इससे पहले मंदिर परिसर में ही अन्न क्षेत्र संचालन का अस्थायी रूप से प्रयास किया गया था लेकिन वह भी कुछ ही दिनों तक चल सका था।

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रंगभरी एकादशी खास

शास्त्रीय मान्यता है कि बाबा भोले शंकर का तिलक वसंत पंचमी को चढ़ाया गया तो महाशिवरात्रि को विवाह हुआ। फागुन शुक्ल पक्ष की एकादशी यानी रंगभरी एकादशी को बाबा गौरा को गौना लाए। इसे काशी में पर्व के रूप में मनाया जाता है। बाबा की बरात निकाली जाती है और गौरा गर्भगृह में विराजमान की जाती हैैं। खास दिन पर भक्त बाबा से होली हुड़दंग की अनुमति पाकर निहाल हो जाते हैं।

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कमिश्‍नर का बयान

कमिश्नर दीपक अग्रवाल ने कहा कि 'प्रथम चरण में शिव की रसोई में दोपहर का प्रसाद बनेगा। भक्तों की चाह रहेगी तो प्रसाद दोनों वक्त भी बनेगा। इसकी शुरूआत रंग भरी एकादशी से की जा रही है। शहर के बहुतायत लोगों ने इसमें भागीदारी को हामी भरा है।'

रिपोर्ट: आशुतोष सिंह



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