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इस दिग्गज कांग्रेसी पर भड़की पार्टी, बोले- पिछले दरवाजे से हासिल की सत्ता
पार्टी में आंतरिक चुनाव के अभाव का दावा करने वाले कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा है कि अगर अध्यक्ष पद पर चुने हुए लोग नहीं आए तो अगले 50 साल तक पार्टी के सत्ता में वापस लौटने के आसार नहीं हैं।
लखनऊ: पार्टी में आंतरिक चुनाव के अभाव का दावा करने वाले कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा है कि अगर अध्यक्ष पद पर चुने हुए लोग नहीं आए तो अगले 50 साल तक पार्टी के सत्ता में वापस लौटने के आसार नहीं हैं। उनके इस बयान ने कांग्रेस कार्यकर्ताओं को भड़का दिया है। पूर्व विधान परिषद सदस्य नसीब पठान ने तो पार्टी हाईकमान से अनुरोध किया है कि अब गुलाम को आजाद कर दिया जाए।
चिट्ठी लिखने को जायज करार देते हुए नेतृत्व पर दबाव बढ़ाया
कांग्रेस पार्टी का नेतृत्व संकट अभी खत्म होता नहीं दिखाई दे रहा है। चिट्ठी लिखकर पार्टी नेतृत्व को कटघरे में खड़ा करने की कोशिश करने वाले गुलाम नबी आजाद और कपिल सिब्बल जैसे नेता कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक के बाद भी अपने तीखे तेवर का इजहार कर रहे हैं। बैठक के बाद भी दोनों नेताओं ने अपने सार्वजनिक टिप्पणियों में चिट्ठी लिखने को जायज करार देते हुए नेतृत्व पर दबाव बढ़ाया है कि वह चिट्ठी में उठाए गए मुद्दों को संगठन सुधार प्रक्रिया का हिस्सा बनाएं।
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कांग्रेस में ऐसे अध्यक्ष जिनको 1% कार्यकर्ताओं का भी समर्थन हासिल नहीं-आजाद
गुलाम नबी आजाद ने एक इंटरव्यू में यह कहकर और हंगामा मचा दिया है कि कांग्रेस में ऐसे बहुत सारे लोग अध्यक्ष बन जाते हैं जिनको 1% कार्यकर्ताओं का भी समर्थन हासिल नहीं है। ऐसे लोग केवल दिल्ली का चक्कर लगाते रहते हैं और ज्यादातर कार्यकर्ताओं की भावनाओं के विपरीत पद हासिल करने में कामयाब हो जाते हैं उन्होंने कहा कि अगर पार्टी में आंतरिक चुनाव होगा तो उन लोगों को अध्यक्ष बनने का मौका मिलेगा जो 51% कार्यकर्ताओं का समर्थन रखते हैं। उन्होंने यह चेतावनी भी दी कि अगर पार्टी नेतृत्व में यह व्यवस्था लागू नहीं की तो आने वाले 50 सालों तक कांग्रेस पार्टी की सत्ता में वापसी नहीं हो पाएगी।
पार्टी कार्यकर्ताओं को भड़का को भड़काने वाला दिया बयान
गुलाम नबी आजाद के इस बयान ने पार्टी कार्यकर्ताओं को भड़का दिया है। उत्तर प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व विधान परिषद सदस्य नसीब पठान ने खुला बयान जारी किया है और कहा कि आंतरिक लोकतंत्र की वकालत करने वाले गुलाम नबी आजाद तो कभी लोकतांत्रिक तरीके से चुने ही नहीं गए। उन्होंने जब विधानसभा का चुनाव लड़ा तो 320 वोट हासिल कर पाए थे।
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पिछले दरवाजे से ही सत्ता की राजनीति
इसके बाद उन्होंने पूरे जीवन पिछले दरवाजे से ही सत्ता की राजनीति की। जो बात वक्त अन्य नेताओं के लिए कह रहे हैं दरअसल वह उन्हीं पर सटीक है। वह हमेशा मनोनीत होकर ही राज्यसभा के सदस्य बनते रहे। कांग्रेस ने हमेशा उन्हें ज्यादा सम्मान दिया। जम्मू कश्मीर का मुख्यमंत्री बनाने से लेकर केंद्र सरकार में मंत्री बनाना और राज्यसभा में बार-बार सदस्य के तौर पर भेजने का काम कांग्रेस ने किया।
आजाद को अब कांग्रेस से आजाद कर दिया जाए-नसीब पठान
वह संगठन में भी कभी कार्यकर्ताओं की मर्जी से नहीं चुने गए। सबसे पहले उन्हें अपना पद छोड़ कर हटना चाहिए और अगर उनमें कूवत है। कार्यकर्ताओं का समर्थन हासिल है तब वह पार्टी के पदों के लिए चुने जाएं। उन्होंने कहा कि जब कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ता सोनिया गांधी और राहुल गांधी के नेतृत्व में देश की तानाशाही मोदी सरकार और सांप्रदायिक भारतीय जनता पार्टी से दो-दो हाथ कर रहे हैं तो गुलाम नबी आजाद जैसे लोग कांग्रेस कार्यकर्ताओं के संघर्ष में साथी बनने के बजाय अलग ही एजेंडा चला रहे हैं। ऐसे में पार्टी नेतृत्व से मेरा अनुरोध है कि गुलाम नबी आजाद को अब कांग्रेस से आजाद कर दिया जाए।
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संगठन में बदलाव कर भाजपा के खिलाफ संघर्ष तेज करें-सोनिया
विधान परिषद में कांग्रेस दल के नेता रहे नसीब पठान का यह भी कहना है कि जब सोमवार की कार्यसमिति बैठक में राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी ने चिट्ठी लिखने की बात को भूलकर आगे बढ़कर कांग्रेस के लिए काम करने की बात कही थी। कार्यसमिति ने सर्वसम्मति से कांग्रेस अध्यक्ष को संगठन में बदलाव कर भाजपा के खिलाफ संघर्ष तेज करने का अधिकार दिया था तो अब चिट्ठी लिखने वाले नेताओं का बारी-बारी से बयान आना उचित नहीं है। कांग्रेस कार्यकर्ता इससे आहत महसूस कर रहे हैं ऐसे नेताओं से मुक्ति मिलने जरूरी है। कई दशक से संगठन के पदों पर कुंडली मारकर बैठे नेताओं को हटाकर नए लोगों को मौका दिया जाना चाहिए।
रिपोर्ट- अखिलेश तिवारी