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बचना मुश्किलः लखनऊ केआतिशबाजों ने घोला सांसों में जहर, हवा जहरीली
लखनऊ वालों के पटाखों के मोह ने सांस के मरीजों और बुजुर्गों को बड़े खतरे में डाल दिया है। क्योंकि प्रदूषण के इस अति खतरनाक स्तर को सामान्य होने में कम से एक हफ्ता का समय लगेगा। इसके चलते श्वास के मरीजों की दिक्कतें बढ़ सकती हैं।
लखनऊः लखनऊ में हवा में प्रदूषण का स्तर आज सुबह 5 बजे खतरनाक स्तर पर 427 एक्यूआई पर पहुंच गया है। हवा में प्रदूषण के स्तर को देखते हुए ही दीपावली पर पटाखों पर लखनऊ समेत 18 शहरों में प्रतिबंध लगाया गया था। लेकिन दीपावली की रात आठ बजे तक तो यह लगा कि लखनऊ वाले इस बार मान गए हैं और बिना पटाखों के दीपावली मना रहे हैं। लेकिन रात आठ बजे के देर रात तक लखनऊ का आसमान आतिशबाजी के धमाकों से गूजता रहा। आतिशबाजी की सिलसिलेवार तड़तड़ाहट आसमान का सीना चीरती रही।
जिसका नतीजा सुबह सामने आया। प्रदूषण के स्तर के लिहाज से महानगर व मदेहगंज में जहां 234 एक्यूआई वायु का स्तर दर्ज किया गया वहीं गोमती नगर में 265 रहा। लेकिन इसके बाद नाका हिंडोला, कैसरबाग व लालबाग में प्रदूषण का स्तर 450 एक्यूआई पहुंच गया। जबकि राजाजीपुरम ने तो सारे रिकार्ड तोड़ते हुए 752 का स्तर छू लिया। यानी राजाजीपुरम की हवा कत्तई सांस लेने योग्य नहीं रह गई।
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लखनऊ वालों के पटाखों के मोह ने सांस के मरीजों और बुजुर्गों को बड़े खतरे में डाल दिया है। क्योंकि प्रदूषण के इस अति खतरनाक स्तर को सामान्य होने में कम से एक हफ्ता का समय लगेगा। इसके चलते श्वास के मरीजों की दिक्कतें बढ़ सकती हैं।
प्रशासनिक चूक
ये कहा जा सकता है कि हर साल से कम आतिशबाजी दगी लेकिन इस मामले में प्रशासन की बड़ी चूक सामने आई जिसमें रोक लगने से पहले बिके पटाखों का हिसाब नहीं रखा गया। वैसे दुकानें लगवाने की जिम्मेदारी इस बार थानों को सौंपी गई थी और राजधानी लखनऊ में किसी भी प्रमुख सड़क पर कहीं भी पटाखों की दुकानें नहीं सजी थीं।
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बावजूद इसके गलियों के इस शहर में पुराने लखनऊ में लोग आतिशबाजी से मोह नहीं छोड़ पाए और पहले से तैयार माल बाजार में खपाने में लगे लोगों को मौका मिल गया। चोरी से ही सही लोगों को दीपावली मनाने भर का बारूद मिल गया।