TRENDING TAGS :
शुरू हुई ई-ओपीडी: ऐसे हो रहा नॉन कोविड मरीजों का इलाज, की गई ये व्यवस्था
एसजीपीजीआई के नेफ्रोलॉजी विभाग के प्रो. अमित गुप्ता ने कहा कि कोरोना संक्रमण के कारण गुर्दामरीजों को डायलिसिस करने में दिक्कत आ रही थी।
लखनऊ: यूपी में कोरोना का प्रकोप कम होने का नाम नहीं ले रहा है। सभी अस्पतालों में मरीजों को भर्ती करने से पहले कोरोना प्रोटोकाल का पालन किया जा रहा है। इसके साथ ही कोरोना के अलावा अन्य रोगों के मरीजों की परेशानी को देखते हुए सभी अस्पतालों में ई-ओपीडी भी चालू की गई है। ऐसे में किडनी और हद्य रोगजैसे गंभीर मरीजों के इलाज में भी दिक्कत न आये इसके लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा सभी अस्पतालों को कहा गया है कि वह किडनी और ह्रदय रोग के मरीजों की जांच ट्रू-नेट मशीन से करें। ट्रू नेट मशीन से कोरोना की जांच किए जाने पर दो घंटे में रिपोर्ट आ जाती है। इस दौरान मरीज का इलाज चालू कर दिया जाता है।
कोरोना के चलते इस तरह हो रहा अन्य मरीजों का इलाज
अगर कोरोना रिपोर्ट पाजिटिव आती है तो मरीज को लोकबंधु या केजीएमयू जैसे अस्पतालों में रेफर कर दिया जाता है, जहां ऐसे कोविड मरीजों के इलाज की व्यवस्था है। एसजीपीजीआई के नेफ्रोलॉजी विभाग के प्रो. अमित गुप्ता ने कहा कि कोरोना संक्रमण के कारण गुर्दामरीजों को डायलिसिस करने में दिक्कत आ रही थी। कोरोना संक्रमित गुर्दा मरीजोंके डायलिसिस के लिए यहां राजधानी अस्पताल में अलग से व्यवस्था की गई है। उन्होंने बताया कि इसके लिए यहां चार डायलिसिस ट्रेंड नर्सों और टेक्नीशियन की टीम डायलिसिस के लिए लगायी गई है। डॉ. गुप्ता के मुताबिक यहां 10 डायलिसिस मशीने लगाई गई हैं।
ये भी पढ़ें- 250 मदरसें अलर्ट पर: गृह मंत्रालय की कड़ी नजर, यहां हो सकते हैं आतंकी
कोरोना के चलते नॉन कोविड मरीजों के इलाज में दिक्कत फाइल फोटो)
उन्होंने बताया कि डायलिसिस के लिए जरूरी शुद्ध पानी के लिए एक पोर्टेबेल आरओ मशीन भी लगायी गई है। डॉ गुप्ता ने बताया कि स्थिर हालात वाले मरीजों को आइसोलेशन में और गंभीर बीमारी वाले मरीजों को आईसीयू में भर्ती करने की व्यवस्था की गई है। उन्होंनेबताया कि पूरे प्रदेश के विभिन्न जिलों से काफी ऐसे मरीज आ रहे हैं जिन्हें कोरोना और गुर्दा रोग दोनों ही है। ऐसे मरीजों को डायलिसिस की आवश्यकता पड़ती है। उन्होंने बताया कि अभी तक संस्थान में कोविड और गुर्दा संक्रमण के करीब 100 मरीजों को भर्ती किया जा चुका है और इनमें से ज्यादातर मरीजों को इलाज के बाद कोविड की निगेटिव रिपोर्ट आने के बाद डिस्चार्ज किया जा चुका है।
ऐसे शुरू की गई ओपीडी
कोरोना के चलते नॉन कोविड मरीजों के इलाज में दिक्कत फाइल फोटो)
एसजीपीजीआई के डॉ संजय बिहारी ने बताया कि कोविड-19 संक्रमण के कारण संस्थान के सामने एक बड़ी चुनौती अपने पुराने मरीजों तथा अन्य संस्थानों या शहरों से इलाज के लिए पीजीआई रेफर किए गए मरीजों को समयानुसार ओपीडी के जरिए उपयुक्त चिकित्सापरामर्श देना था। कोरोना के कारण ओपीडी बंद थी तो बीती 11 मई को संस्थान के टेली मेडिसिन और बायोमेडिकल इनफार्मेटिक्स विभाग की पहली मंजिल पर 22 विभागों की ओपीडी शुरू की गई।
ये भी पढ़ें- तबाही से हिले सीएम: लाखों परिवार बर्बाद, बाढ़ से जूझ रही करोड़ों की आबादी
जिसमें सुबह 9:30 बजे से दोपहर 1:30 बजे तक रोगियों की समस्याओं को फोन द्वारा सुनकर चिकित्सकों द्वारा उनका निराकरण कियाजा रहा है और उन्हें उचित परामर्श दिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि मई माह में कुल 6020 ,जून में 10353, जुलाई माह में 8922 और अगस्त में 3572 रोगियों को इलेक्ट्रानिक ओपीडी के जरिए चिकित्सीय परामर्श प्रदान किया।