TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

UP में पहले से ही हो रहा नई शिक्षा नीति की दिशा में काम: बेसिक शिक्षा मंत्री

शिक्षा मंत्री ने बताया कि यूपी के बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा नीति के लिए भारत सरकार को कुछ सुझाव भेजे गये थे जिन्हें स्वीकार किया गया है।

Newstrack
Published on: 30 July 2020 8:23 PM IST
UP में पहले से ही हो रहा नई शिक्षा नीति की दिशा में काम: बेसिक शिक्षा मंत्री
X

लखनऊ: यूपी के बेसिक शिक्षा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ सतीश चन्द्र द्विवेदी ने भारत सरकार द्वारा घोषित राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 का स्वागत करते हुए कहा है कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति राष्ट्र एवं उत्तर प्रदेश को एक नई दिशा में सफलता की ऊंचाइयों तक ले जाएगी। उन्होंने बताया कि यूपी के बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा नीति के लिए भारत सरकार को कुछ सुझाव भेजे गये थे जिन्हें स्वीकार किया गया है। उन्होंने कहा कि यूपी में इस नई नीति को लेकर पहले से ही काम किया जा रहा है और यूपी में ‘स्कूल चलो अभियान‘ व्यापक स्तर पर हर साल चला कर 06-14 आयुवर्ग के शत-प्रतिशत छात्र-छात्राओं के नामांकन का लक्ष्य पूरा कर लिया है।

प्रदेश में बुनियादी शिक्षा को मजबूत करने पर दिया जा रहा जोर- शिक्षा मंत्री

बेसिक शिक्षा मंत्री ने गुरुवार को कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में बुनियादी शिक्षा पर अत्यधिक बल दिया गया है और इसके लिए नेशनल मिशन फॉर फाउंडेशन लिट्रेसी एंड न्यूमरेसी की घोषणा की गयी है। उन्होंने कहा कि निजी प्रबन्धतंत्र द्वारा संचालित गैर-अनुदानित स्वतंत्र विद्यालयों द्वारा छात्र-छात्राओं से लिये जाने वाले शुल्क के विनियमन के लिए राज्य सरकार द्वारा उत्तर प्रदेश स्ववित्त पोषित स्वतंत्र विद्यालय (शुल्क विनियमन) अधिनियम 2018 पारित करते हुए लागू किया जा चुका है। डॉ द्विवेदी ने कहा कि यूपी में पिछले साल ही प्रेरण मिशन को लागू किया जा चुका है, जिसमे बुनियादी शिक्षा, उपचारात्मक शिक्षा तथा शैक्षणिक सामग्री पर प्रदेश में विशेष ध्यान केन्द्रित किया जा रहा है।

ये भी पढ़ें- नई शिक्षा नीति: कांग्रेस नेता ने राहुल गांधी से मांगी माफी, किया था ये कांड

Satish Dwivedi

इस दिशा में शिक्षकों के उपयोगार्थ आधारशिला माड्यूल, ध्यानाकर्षण माड्यूल तथा शिक्षण संग्रह माड्यूल शिक्षाविदों की सहायता से तैयार किये गये हैं और सभी शिक्षकों को उपयोगार्थ उपलब्ध कराये जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि इसके अतिरिक्त छात्र-छात्राओं के लिए ग्रेडेड बुक्स, रीडिंग बुक्स, लाइब्रेरी बुक्स, खेलकूद साजसज्जा आदि उपलब्ध कराने की व्यवस्था की गयी है। प्रदेश में छात्र-छात्राओं के लर्निंग आउटकम्स में सुधार के लिए विशेष बल दिया जा रहा है। छात्र-छात्राओं के उपलब्धि स्तर के आंकलन के लिए त्रैमासिक परीक्षाएं आयोजित करायी गयी हैं। प्रेरणा लक्ष्यों के सापेक्ष कक्षावार और विषयवार छात्र-छात्राओं के लर्निंग आउटकम्स की प्रगति की मानीटरिंग के लिए सभी कक्षा-कक्षों में प्रेरणा तालिकाएं चस्पा कराई जा रही हैं।

शिक्षा मंत्री ने दी छात्र-छात्राओं के लिए चलाई जा रहीं योजनाओं की जानकारी

Satish Dwivedi

बेसिक शिक्षा मंत्री ने बताया कि त्रैमासिक परीक्षाओं में प्राप्त परिणामों के आधार पर प्रत्येक छात्र-छात्रा को रिपोर्ट कार्ड वितरित किया जा रहा है और छात्र-छात्रा की प्रगति अभिभावकों से साझा की जा रही है। शैक्षिक रूप से पिछड़ रहे छात्र-छात्राओं के लर्निंग आउटकम्स में वृद्धि लाने के लिए रेमेडियल टीचिंग की व्यवस्था की गयी है और इसके लिए विद्यालय के समय-सारिणी में उपचारात्मक शिक्षण पीरियड सम्मिलित किया गया है। छात्र-छात्राओं के लर्निंग आउटकम्स के स्वतंत्र आंकलन के लिए थर्ड पार्टी एसेसमेन्ट की व्यवस्था भी की गयी है। समग्र शिक्षा द्वारा आईसीडीएस से विचार-विमर्श कर ‘पहल‘ पुस्तिका विकसित की गयी है। इसी क्रम में इस वर्ष लर्निंग किट्स तैयार करने की कार्ययोजना है और प्रदेश में बच्चों के लिए ‘स्कूल रेडीनेस‘ की कार्ययोजना को अन्तिम रूप दिया जा रहा है।

ये भी पढ़ें- यात्रियों को बड़ा तोहफा देने जा रहा रेलवे: पूरी हो चुकी है तैयारी, जल्द होगा एलान

डॉ द्विवेदी ने बताया कि 06-14 वर्ष के आउट ऑफ स्कूल बच्चों को शिक्षा की मुख्य धारा में लाने के लिए प्रदेश में ‘शारदा‘ कार्यक्रम संचालित किया जा रहा है। आउट ऑफ स्कूल बच्चों को विद्यालय में प्रवेश दिलाकर उन्हें छह माह का विशेष प्रशिक्षण देकर उनके स्तर के अनुरूप विद्यालय की उपयुक्त कक्षा की मुख्य धारा में सम्मिलित किया जाएगा। इन बच्चों के संबंध में विभिन्न सूचनाएं प्राप्त करने तथा बच्चों की ट्रैकिंग करने के लिए ‘शारदा पोर्टल‘ विकसित करते हुए क्रियाशील बनाया गया है। दिव्यांग बच्चों की समावेशी शिक्षा के लिए राज्य सरकार द्वारा विस्तृत गाइडलाइन्स जारी की गयी हैं, जिनके तहत ‘समर्थ‘ कार्यक्रम संचालित किया जा रहा है। इस कार्यक्रम के अन्तर्गत अधिक से अधिक दिव्यांग बच्चों को चिन्हित कर आरबीएसके के सहयोग से उनका चिकित्सीय परीक्षण तथा विद्यालयों में नामांकित कराये जाने की कार्यवाही प्राथमिकता के आधार पर की जा रही है।

कक्षा 1-8 में एनसीईआरटी का पाठ्यक्रम लागू करने का निर्णय- डॉ सतीश द्विवेदी

UP School

राज्य बेसिक शिक्षा मंत्री ने बताया कि राज्य सरकार द्वारा कक्षा 1-8 में एनसीईआरटी का पाठ्यक्रम व पाठ्यपुस्तकें लागू करने निर्णय लिया गया है और इस दिशा में चरणबद्ध रूप में छात्र-छात्राओं के लिए एनसीईआरटी की पाठ्यपुस्तकें उपलब्ध कराने की कार्यवाही चल रही है। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति में शिक्षा के अन्तर्गत टेक्नोलॉजी को अपनाये जाने पर बल दिया गया है। इसी के मद्देनजर यूपी में दीक्षा पोर्टल‘ पर हाई क्वालिटी की विषय-वस्तु उपलब्ध कराये गए है। जिसका प्रयोग शिक्षक कक्षा-शिक्षण के दौरान कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि रटने वाली शिक्षा को कम करने के लिए इन्ट्रेक्टिव लर्निंग क्लासेस तथा एक्सपरेटिंयल लर्निंग को बढ़ावा दिया जा रहा है।

ये भी पढ़ें- मिड-डे मील खाने वाला प्रधानाध्यापक: ग्रामीणों ने रंगे हाथों पकड़ा, शुरू हुई जांच

बुनियादी शिक्षा के अन्तर्गत छात्र-छात्राओं के लिए भाषा तथा गणित पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि योग्य अध्यापकों की उपलब्धता के लिए टीईटी व्यवस्था और डायट को और मजबूती दी जा रही है। उन्होंने कहा कि जेण्डर एजुकेशन को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश में 350 कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों का कक्षा-12 तक उच्चीकरण किया जा रहा है जिससे कमजोर वर्गों की बालिकाओं को कक्षा-12 तक की निशुल्क आवासीय शिक्षा की सुविधा उपलब्ध हो जायेगी।



\
Newstrack

Newstrack

Next Story