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112 UP की पहलः पुलिसवालों का ये दर्द, दूर कर रहे मनोवैज्ञानिक

लखनऊ विश्वविद्यालय का मनोविज्ञान विभाग पुलिसकर्मियों की मानसिक समस्याओं को दूर करने के लिए उनसे बात कर सुलझाने में मदद कर रहा है।

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Published on: 24 Aug 2020 4:08 PM GMT
112 UP की पहलः पुलिसवालों का ये दर्द, दूर कर रहे मनोवैज्ञानिक
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UP Police 112

लखनऊ: उत्तर प्रदेश पुलिस विभाग ‘UP 112' (पुलिस की आपातकालीन सेवा) परिवार से दूर रहकर, लम्बी ड्यूटी, ऊपर से कोरोना महामारी के बीच काम कर रहे पुलिसकर्मियों का मनोबल बढ़ाए रखने व उन्हें मानसिक मजबूती देने के लिए ''मन संवाद'' कार्यक्रम के जरिये मनोवैज्ञानिकों की मदद ले रहा है। इस कार्यक्रम के तहत समस्या कैसी भी हो मनोवैज्ञानिक पुलिस कर्मियों की मदद कर रहे हैं। देश भर में 27 काउंसलर काउंसलिंग कर रहे हैं।

अब तक 500 पुलिसकर्मियों की हो चुकी काउंसलिंग

लखनऊ विश्वविद्यालय का मनोविज्ञान विभाग पुलिसकर्मियों की मानसिक समस्याओं को दूर करने के लिए उनसे बात कर सुलझाने में मदद कर रहा है। इसके लिए उन्हें प्रेरणादायक वीडियो भी भेजा जाता है। अभी तक करीब पांच सौ पुलिसकर्मी इस कार्यक्रम की मदद से मानसिक परेशानियों से उबर चुके हैं। ‘UP 112' आपातकालीन सेवाओं के अपर पुलिस महानिदेशक असीम अरूण ने बताया कि मुख्यालय में करीब 1500 पुलिसकर्मी तैनात हैं। जबकि पुलिस की पीआरवी की 4500 गाड़ियों पर करीब 32 हजार पुलिसकर्मी तैनात हैं। कोविड-19 के दौरान लगातार काम करने से कई पुलिस कर्मी मानसिक तनाव में रहने लगे थे।

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जिसका असर उनके काम पर पड़ रहा था। इसके समाधान के लिये लखनऊ विश्वविद्यालय के मनोविज्ञान विभाग से संपर्क किया गया और पुलिसकर्मियों के लिये 'मन संवाद' कार्यक्रम बनाया गया। इसमें पुलिसकर्मी मनोवैज्ञानिकों से फोन पर अपनी समस्यायें बता रहे हैं। उनकी काउंसलिंग की जा रही है। एक अधिकारी ने बताया, ‘‘पीआरवी वाहन पर ड्यूटी करने वाले एक जवान ने कहा कि आज कल उन्हें छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा आ जाता है। एक महिला कर्मी ने अपने काउंसलर को बताया कि आज कल उन्हें नीद नहीं आने की समस्या है।''

कोविड-19 के चलते बढ़े ड्यूटी के घंटे

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एक अन्य कर्मी ने बताया कि परिवार वाले जब इस बीमारी से किसी पुलिस कर्मी की मृत्यु की खबर देखते हैं तो वे परेशान हो जाते हैं। इससे वह भी अवसादग्रस्त होने लगा है। पुलिसकर्मियों की समस्याओं के आधार पर विभाग उनका निराकरण भी कर रहा है। लम्बी ड्यूटी की समस्या को दूर करते हुए पीआरवी कर्मियों की आठ-आठ घंटे की तीन शिफ्ट की गयी हैं। पहले 12-12 घंटे की ड्यूटी होती थी। घर से दूर ड्यूटी कर रहे कर्मियों के परिजनों की मदद के लिए अलग से एक हेल्प लाइन नंबर शुरू किया गया है। महामारी को देखते हुए 55 वर्ष से अधिक आयु के कर्मियों को ‘फ्रंट' ड्यूटी से हटा दिया गया है। ताकि उनको संक्रमण का खतरा कम रहे।

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जिले में पुलिस कर्मियों की तैनाती ऐसे की गयी है कि वे अपने घरों के करीब रह सकें। मन संवाद कार्यक्रम शुरू होने पर कर्मी कुछ सशंकित थे। उन्हें डर था कि उनकी समस्याओं और शिकायतों की जानकारी होने पर अधिकारी नाराज़ हो सकते हैं। काउंसलर और कर्मी के बीच हुए संवाद को लेकर पूरी गोपनीयता बरती जाती है। अधिकारियों के अनुसार अब तक 112 पुलिसकर्मियों ने मनोवैज्ञानिकों की मदद ली है, जबकि 286 ने फोन कर समस्याओं से अवगत कराया है। असीम अरूण ने बताया कि ‘112' कर्मी ऑनलाइन फार्म भर के मनोवैज्ञानिकों से संपर्क करते हैं। इसके लिए उनके मोबाइल फोन पर फार्म का लिंक साझा किया गया है। काउंसलिंग के लिए दिल्ली, लखनऊ, बेंगलुरु आदि शहरों के काउंसलर की मदद ली जा रही है।

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