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Lucknow News: लखनऊ में नकली नोट बनाने वाली गैंग, पकड़े गए तो सामने आई चौकाने वाली सच्चाई
Lucknow News: पुलिस ने एक ऐसे इंटरस्टेट गिरोह का भंडाफोड़ किया है, जिसका नेटवर्क देश के कई राज्यों में फैला हुआ था। सोशल मीडिया के जरिए नकली नोटों की खेप एक राज्य से दूसरे राज्य पहुंचाई जाती थी।
Lucknow News: देश में नोटबंदी कर नए करेंसी नोट के लाने का एक मकसद अर्थव्यवस्था में घूम रही जाली करेंसी पर रोक लगाना भी था। शुरू में सरकार की ओर से इसका खूब प्रचार-प्रसार भी किया गया। लेकिन जाली नोट के कारोबार में लिप्त गिराहों ने जल्द इसकी भी काट निकाल ली और बाजार में नए करेंसी जैसे मिलते-जुलते नोट भी मिलने लगे। जाली नोटों के मिलने का सिलसिला जारी है। ताजा मामला राजधानी लखनऊ का है।
पुलिस ने एक ऐसे इंटरस्टेट गिरोह का भंडाफोड़ किया है, जिसका नेटवर्क देश के कई राज्यों में फैला हुआ था। सोशल मीडिया के जरिए नकली नोटों की खेप एक राज्य से दूसरे राज्य पहुंचाई जाती थी। इन राज्यों में यूपी, हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, राजस्थान से लेकर बिहार, पश्चिम बंगाल और झारखंड तक शामिल हैं। पुलिस ने इस गैंग के पांच सदस्यों को दबोचा है। इनके पास तीन लाख रूपये मूल्य के जाली नोट और साथ ही फेक करेंसी बनाने वाले उपकरण बरामद किए गए हैं।
मुखबिर की सूचना पर हुई कार्रवाई
लखनऊ पुलिस को काफी समय से इलाके में फेक करेंसी को लेकर खुफिया इनपुट मिल रहे थे। सोमवार को इससे जुड़ी एक पुख्ता जानकारी हाथ लगी। सूचना को कंफर्म करने के बाद एक पुलिस टीम गठित की गई। डीसीपी उत्तरी एसएम कासिम आब्दी ने इस पूरे ऑपरेशन की जानकारी देते हुए बताया कि मडियांव थाना पुलिस और क्राइम ब्रांच की टीम ने घैला पुल के पास होंडा अमेज कार में सवार तीन शख्स को गिरफ्तार किया।
गिरफ्तार लोगों की पहचान प्रतापगढ़ के विकास दुबे, नई दिल्ली के विकास भारद्वाज और इटौंजा नारायणपुर के विकास सिंह के रूप में हुई । बाद में पुलिस ने इन्हीं के निशानदेही पर विभूतिखंड स्थित पार्क व्यूइन होटल से रवि प्रकाश पांडेय और उत्कर्ष द्विवेदी के नाम से दो अन्य शख्स को गिरफ्तार किया। होटल से ही नकली नोट छापने के उपकरण भी बरामद किए गए।
गिरोह के अन्य सदस्य अब भी फरार
पुलिस का कहना है कि कई राज्यों में नेटवर्क वाले इस गिरोह में कुछ और लोग भी शामिल हैं। जो इनकी गिरफ्तारी के बाद से अंडरग्राउंड हो गए हैं। गिरफ्तार आरोपियों से गिरोह के अन्य सदस्यों के बारे में जानकारी हासिल करने की कोशिश की जा रही है।
पुलिस ने जांच में पाया कि यह गिरोह सोशल मीडिया की मदद से नकली नोट खपाने के लिए कस्टमर खोजते थे। जल्द से जल्द पैसा कमाने की चाह रखने वाले कुछ लालची प्रवृति के लोग इनके झांसे में आ जाते थे और इस काले धंधे में शामिल हो जाते थे।