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Lucknow News: अंतर्राष्ट्रीय एमएसएमई दिवस पर पूर्व मुख्य सचिव बोले- सरकारी योजनाओं के बारे में लोगों को नहीं है जानकारी

Lucknow News: सिविल लाइन स्थित मर्चेट चेंबर ऑफ उत्तर प्रदेश के कार्यालय में आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल उप्र सरकार के पूर्व मुख्य सचिव आलोक रंजन ने कहा कि सरकार की तरफ से बहुत सारी योजनाएं चलाई जा रही है।

Durgesh Bhatt
Published on: 27 Jun 2023 8:56 PM IST
Lucknow News: अंतर्राष्ट्रीय एमएसएमई दिवस पर पूर्व मुख्य सचिव बोले- सरकारी योजनाओं के बारे में लोगों को नहीं है जानकारी
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(Pic: Newstrack)

Lucknow News: अंतर्राष्ट्रीय एमएसएमई दिवस के अवसर पर मर्चेट चेंबर ऑफ उत्तर प्रदेश, स्माल इंडस्ट्रीज मैन्यूफेक्चर एसोसिएशन (सीमा) और सिडबी के सहयोग से एक दिवसीय परिचर्चा का आयोजन किया गया। चर्चा का विषय एमएसएमई इज ऑफ डूइंग बिजनेस रखा गया। इसमें पूरे प्रदेश से आए उद्यमियों ने अपनी बात रखी और बताया कि सरल तरीके से कैसे व्यापार किया जाता है।

सिविल लाइन स्थित मर्चेट चेंबर ऑफ उत्तर प्रदेश के कार्यालय में आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल उप्र सरकार के पूर्व मुख्य सचिव आलोक रंजन ने कहा कि सरकार की तरफ से बहुत सारी योजनाएं चलाई जा रही है। लेकिन उन योजनाओं के बारे में लोगों के पास जानकारी ही नहीं है। यह सब बातें उनको रिटायर होने के बाद पता चली। उन्होंने कहा कि इसके लिए विशेष अभियान चलाया जाना चाहिए। इसमें योजनाओं के बारे में जानकारी और इसका लाभ दिलाने की पहल हो। इसके लिए शासन के साथ - साथ एमएसएमई संगठनों की जिम्मेदारी भी बनती है कि वह इसका प्रचार- प्रसार करे।

उन्होंने कहा कि माइक्रो इंडस्ट्री को लेकर अलग से सेल बननी चाहिए। जिससे कि इस पर ज्यादा से ज्यादा फोकस हो सके। हालांकि अलग विभाग होने की बात से उन्होंने असहमति जताई। कहा कि इससे आपस में सामंजस्य बैठाने में परेशानी आती है। उन्होंने कहा कि इज ऑफ डूंइग के लिए माइंड सेट को बदलने की जरूरत है। सरकारी अधिकारी और एमएसएमई दोनों को एक दूसरे पर ट्रस्ट करना होगा। इसमें जो गलत होंगे उसके खिलाफ कार्रवाई करने की जरूरत है।

सुधांशु मणि ने वंदे भारत एक्सप्रेस बनाने का अनुभव शेयर किया

कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के तौर पर शामिल वंदे भारत एक्सप्रेस बनाने वाले सुंशाशु मणि ने ट्रेन के निर्माण के सफर को लेकर अपना अनुभव शेयर किया। उन्होंने बताया कि सबसे पहले वर्क स्थल पर बेहतर लोगों की टीम के लिए काम किया गया। इस दौरान कुछ सख्त निर्णय भी लेना पड़ा और ढ़ाई साल के अंदर 165 लोगों को नौकरी से भी निकाला गया। बताया कि चैयरमैन से दो गाड़ी की अनुमति के लिए उन्होंने उनके पैर तक पकड़ने की बात कही थी। उन्होंने कहा कि इतनी सफल ट्रेन का प्रोजेक्ट बिना इंडियन इंडस्ट्री के लोगों के सहयोग के बिना संभव नहीं था। इस दौरान उन्होंने हिंदी और उर्दू के कई शेर भी कार्यक्रम में सुनाए।

एमएसएमई के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत

कार्यक्रम के दौरान वक्ताओं ने एमएसएमई के लिए ठोस कदम उठाने की मांग की। एसोचैम यूपी के लिए बलराम नरूला ने कहा कि चर्चा बहुत होती है लेकिन ठोस कदम नहीं उठता है। व्यवहारिक समस्याओं की तरफ सरकार का ध्यान बढे इस पर काम होना चाहिए। वहीं हरदीप सिंह राका ने कहा कि माइक्रो इंडस्ट्री के बिना कोई बड़ी इंडस्ट्री नहीं चल सकती है। उन्होंने कहा कि कानपुर को अगर समर्थन मिले तो एक बार फिर यह शहर मैनचेस्टर बन सकता है। शैलेन्द्र श्रीवास्तव ने कहा कि मौजूदा समय लक्ष्य, हौसला और जुनून सबसे ज्यादा एमएसएमई के लोगों में है। बताया कि ऑन लाइन सिस्टम में अप्लाई करने के बाद मौजूदा समय जानकारी देने वाला कोई नहीं है।

सचिन सिंह ने सिडबी के माध्यम से लोन की जानकारी शेयर की

सिडबी के एजीएम सचिन सिंह ने इस दौरान पीपीटी प्रजेंटेंशन के माध्यम से कई तरह की योजनाओं के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि मौजूदा समय तीन मुख्य योजनाओं से लाखों लोगों को इसका लाभ मिल रहा है। इसमें एक्सप्रेस वन प्वाइंट जीरो और एक्सप्रेस टू प्वाइंट जीरो एराइज और स्थापना के बारे में बताया। सिडबी की पूरी कार्यशैली डिजिटल हो गई है। उन्होंने कहा कि मौजूदा समय किसी को भी लोन के लिए कार्यालय आने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि उद्योग शुरू करने के लिए सबसे कम ब्याज दर पर सिडबी ही लोन दे रहा है। सरकार की सभी योजनओं का लाभ सिडबी के माध्यम से लिया जा रहा है। बताया कि 10 लाख से लेकर 20 करोड़ रुपए तक की आर्थिक मदद सिडबी करता है। मौजूदा पूरे देश में 10 रिजनल और 82 ब्रांच है। सिडबी इसके लिए महज 0.5 से एक प्रतिशत तक प्रॉसेसिंग चार्ज लिया जाता है।

इनको मिला सम्मान

इस दौरान अपने - अपने सेक्टर में बेहतर काम करने वाले उद्यमियों को सम्मानित किया गया। इसमें मनु भाटिया, राम जी गुप्ता, हरबीर सिंह राकड़ा, सीमा लाहोटी, पूजा गुप्ता, अदिति सारस्वत, शिल्पी कनोडिया और सोनल अग्रवाल शामिल हैं।

प्रमुख सुझाव

कानपुर में MSME का समर्पित स्टॉक एक्सचेंज खुलना चाहिए। ऐसा होता है तो कानपुर एक बार फिर से व्यापार और वित्त का केंद्र बनेगा। उत्तर प्रदेश में कुल MSME के लगभग 96 फीसदी प्रोपराइटर फॉर्म में हैं। स्टॉक एक्सचेंज खुलने से वह भी कॉर्पोरेट फॉर्म में आने की कोशिश करेंगे। जिससे उनके अनमैप होने की समस्या है वह ख़त्म होगी और इससे सरकार का राजस्व बढ़ेगा।

पार्टनरशिप एमएसएमई फर्म को 15 फीसदी की आयकर की रियायत की दर की सुविधा दी जाए। माइक्रो उद्योग के लिए अलग से प्रकोष्ठ बनाने की जरूरत है। साल 2020 में तत्कालीन एमएसएमई केंद्रीय मंत्री प्रताप सारंगी ने इसको लेकर सहमति भी दी है। एमएसएमई का बहुत पैसा बकाया रहता है। तमाम नियम के बावजूद इसके लिए एक सेपरेट भुगतान वसूली ट्रिब्यूनल की स्थापना करनी चाहिए। जिससे कि समय से भुगतान हो सके।

उद्योग शुरू करने के लिए उद्यमी को सस्ते रेट पर जमीन उपलब्ध कराया जाए। जिससे कि वह उद्योग स्थापित कर जीएसटी और अन्य टैक्स ज्यादा जमा करे और सरकार को इससे मुनाफा होगा। औद्योगिक लीजहोल्ड प्लॉट को फ्रीहोल्ड में बदलना चाहिए। इससे मॉर्गेज कर ऋण का विकल्प व्यापारियों को मिलेगा।



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