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Lucknow News: लखनऊ नगर निगम में बड़ा गोलमाल, मोबाइल का यूज नहीं, बिल आया करोड़ों का
Lucknow Nagar Nigam Sam: नगर निगम ने अपने कर्मचारियों की हाज़िरी लगाने के लिए दस लाख रुपये महीने का अनुबंध एक कंपनी से किया।
Lucknow News: हर नगर निगम अपनी आर्थिक स्थिति को लेकर रोना रोता रहता है। उसी निगम को उसकी कार्यदायी संस्थाओं ने सिर्फ एक घोटाले में करोड़ों की चपत लगाई है। दरअसल यहां चार महीने से मोबाइल हाजिरी बंद है, लेकिन इसके बाद भी हर महीने लाख रुपये तक का मोबाइल का बिल आ रहा है। वहीं, पिछले एक साल तक का बिल जमा ही नहीं किया गया है। जिसके बाद यह बिल बढ़कर अब 1.46 करोड़ रुपये हो गया है। ग़ौरतलब है कि नगर निगम ने अपने कर्मचारियों की हाज़िरी लगाने के लिए दस लाख रुपये महीने का अनुबंध एक कंपनी से किया।
फर्जीवाड़े को रोकने के लिए शुरू हुई थी व्यवस्था
इससे पहले कार्यदायी संस्थाएं कम कर्मचारी लगाकर अधिक कर्मचारियों का भुगतान लेकर निगम को लाखों की चपत लगा रही थीं। इस फर्जीवाड़े को रोकने के लिए निगम ने दो साल पहले स्मार्ट मोबाइल से हाजिरी लगाने की व्यवस्था शुरू की थी। जिसमें फिर निगम को करोड़ों की चपत लग गई।
निगम में उस समय कार्यदायी संस्थाओं के करीब 10 हजार सफाईकर्मी तैनात थे। ऐसे में दो चरणों में मोबाइल खरीदे जाने की बात कही गई। पहले चरण में सात हजार नए मोबाइल खरीदे गए थे। जिसमें एक मोबाइल करीब करीब सात हजार रुपये का पड़ा था। दूसरे चरण में मोबाइल खरीदे जाने से पहले ही फर्जीवाड़ा सामने आ गया और यह व्यवस्था बंद करनी पड़ी।
कार्यदायी संस्थाओं से पैसा लेकर खरीदे गए मोबाइल
जिन तत्कालीन अधिकारियों ने यह व्यवस्था शुरू की थी, उन्होंने कार्यदायी संस्थाओं से पैसा लेकर उतने ही मोबाइल खरीदे थे, जितने संस्था के पास कर्मचारियों का ठेका था। उस समय निगम प्रशासन सफाई कार्य में काम आने सामान के लिए कार्यदायी संस्थाओं को 5 प्रतिशत अतिरिक्त लॉजिस्टिक मद देता था। इसी मद से कार्यदायी संस्थाओं को मोबाइल का बिल जमा करना होता था। लेकिन करीब एक साल पहले जांच में सामने आया कि संस्थाएं लॉजिस्टिक मद से पैसा तो ले रही हैं, लेकिन बिल नहीं जमा कर रही थीं।
गलत बिल भेज रही है सेवा प्रदाता कंपनी
इस पूरे मामले में नगर आयुक्त इंद्रजीत सिंह का कहना है कि स्मार्ट फोन से हाजिरी की व्यवस्था बंद होने के बाद सेवा प्रदाता कंपनी से सिम डिएक्टिवेट करने के लिए कहा गया था। लेकिन इसके बाद भी कंपनी बिल भेज रही है। इसे लेकर कंपनी से बात की जाएगी और जांच के बाद पुराने बिल का भुगतान किया जाएगा।