×

Banda News: शिला के रूप में प्रकट हुई थीं मां माहेश्वरी देवी, भक्तों में है ये ख़ास मान्यता

Banda News: जनपद मुख्यालय बांदा के मध्य में मां महेश्वरी देवी का विशाल मंदिर स्थित है। यह मंदिर देवी मां के 51 शक्तिपीठों में से एक है, यहां मां माहेश्वरी देवी पत्थर की शिला के रूप में प्रकट हुई थीं।

Anwar Raja Ranu
Published on: 24 March 2023 1:37 AM IST
Banda News: शिला के रूप में प्रकट हुई थीं मां माहेश्वरी देवी, भक्तों में है ये ख़ास मान्यता
X
बांदा: शिला के रूप में प्रकट हुई थीं मां माहेश्वरी देवी, भक्तों में है ये ख़ास मान्यता

Banda News: जनपद मुख्यालय बांदा के मध्य में मां महेश्वरी देवी का विशाल मंदिर स्थित है। यह मंदिर देवी मां के 51 शक्तिपीठों में से एक है, यहां मां माहेश्वरी देवी पत्थर की शिला के रूप में प्रकट हुई थीं। जिनके दर्शन के लिए सैकड़ों की संख्या में लोग आते हैं। शारदीय व चैत्र नवरात्र में यहां विशाल मेला लगता है, मनोकामना पूर्ण होने पर माथा टेकने आते हैं। गुरूवार को नवरात्रि के दूसरे दिन यहां भक्तों ने विधिवत पूजा-अर्चना करके मां के स्तुति गीत गाये।

कभी था यहां घना जंगल

जहां आज प्रसिद्ध महेश्वरी देवी मंदिर है, वहां पहले बलखण्ड पाताल नाम का घना जंगल था। उस समय बांदा के नाम पर छोटी बाजार, खुटला व अर्दली बाजार था। बाकी स्थान पर जंगल ही जंगल था। जहां आज कलेक्टरगंज है वहां एक तालाब था। कुम्हार इसी तालाब से बर्तन बनाने को मिट्टी ले जाते थे। कहा जाता है कि एक कुम्हार को मिट्टी की खुदाई करते समय देवी की प्रतिमा प्राप्त हुई थी। जो एक शिला के रूप में थी और शिला काफी गहराई में दबी थी। जहां की चारों तरफ से मिट्टी हटाई गई। इसी चमत्कारिक देवी प्रतिमा की लोग पूजा करने लगे। नवरात्रि में अष्टमी और नवमी में देवी भक्ति के जो गीत गाये जाते हैं, उसमें एक देवी गीत में इस स्थान का उल्लेख मिलता है।

यह है मान्यता

बताते है कि महेश्वरी नामक एक हिन्दू कारीगर था। जो सारा दिन मस्जिद में कार्य करता था। जो सामग्री निर्माण कार्य में बचती थी, उसे लेकर वह खुले आसमान के नीचे रखी देवी प्रतिमा के लिए मढ़िया बनाने में जुट जाता था। उस समय अर्दली बाजार कटरा में बेगम साहब की सराय में बेगम रहती थीं। एक दिन जब बांदा नवाब बलखण्ड पाताल जंगल से गुजर रहे थे, तब दीये की रोशनी में महेश्वरी को मंदिर के निर्माण में लीन देखा।

उन्होंने महेश्वरी से कहा कि कल से तुम पहले इस मंदिर का निर्माण करो, मस्जिद निर्माण का कार्य बाद में करना। इस तरह बांदा नवाब ने मंदिर निर्माण कराकर शहर में हिंदू-मुस्लिम एकता की नींव डाली। हालांकि कुछ दिनोबाद आंधी-पानी में महेश्वरी कारीगर का बनाया मंदिर ध्वस्त हो गया था। इसके बाद चौधरी पहलवान सिंह के परिवार ने मंदिर का पुनर्निर्माण कराया। कहा जाता है कि मंदिर में श्रद्धा व आस्था से पूजन अर्चन करने वालों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। यहां पर मनोकामनाओं के पूरा होने पर लोग घंटा, छत्र आदि चढ़ाते हैं। यहां मां महेश्वरी का 24 घंटे अखंड दीप प्रज्ज्वलित रहता है।

Anwar Raja Ranu

Anwar Raja Ranu

Next Story