Mafia Don Mukhtar Ansari: जेल चाहे जो हो चलती तो मुख्तार की ही थी, माफिया का रुतबा ऐसा कि इशारे पर चलते थे सीसीटीवी!

Mafia Don Mukhtar Ansari: कैद में रहते हुए माफिया पर दर्ज हुए थे मर्डर के 8 केस। जेल से चलाता रहा था गैंग। मार्च 2023 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक शूटर की जमानत पर सुनवाई करते हुए मुख्तार गैंग को देश का सबसे खतरनाक गिरोह कहा था।

Ashish Pandey
Published on: 30 April 2023 7:06 PM GMT (Updated on: 1 May 2023 7:17 AM GMT)
Mafia Don Mukhtar Ansari: जेल चाहे जो हो चलती तो मुख्तार की ही थी, माफिया का रुतबा ऐसा कि इशारे पर चलते थे सीसीटीवी!
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माफिया डान मुख्तार अंसारी: Photo- Social Media

Mafia Don Mukhtar Ansari: जेल चाहे जो भी हो चलती तो मुख्तार की थी। जेल में उसका रुतबा हमेशा कायम रहा। माफिया डान मुख्तार अंसारी जिस जेल में रहा, उसे अपने मन मुताबिक बना लिया। चाहे वह गाजीपुर जेल हो, बांदा या पंजाब की रोपड़ जेल हो। जेलर कोई भी हो, चली तो मुख्तार की ही। ये बात रिटायर्ड पुलिस अफसर और जेलर भी मानते हैं। माफिया मुख्तार अंसारी को पंजाब की रोपड़ जेल से अप्रैल 2021 में यूपी की बांदा जेल शिफ्ट किया गया। मुख्तार का असर इस कदर था कि कोई जेलर इस जेल का चार्ज लेने के लिए ही तैयार नहीं हुआ। बाद में दो जेल अधिकारियों विजय विक्रम सिंह और एके सिंह को भेजा गया। मुख्तार जेल से ही अपनी गैंग का संचालन करता रहा।

मार्च 2023 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक शूटर की जमानत पर सुनवाई करते हुए मुख्तार गैंग को देश का सबसे खतरनाक गिरोह कहा था। मुख्तार अंसारी 18 साल से जेल में कैद है। उस पर 61 मामले दर्ज हैं। इनमें 8 हत्या के केस तो जेल में रहते समय दर्ज हुए। यहां हम आपको जेल में मुख्तार के रुतबे की कुछ कहानियों के बारे में बताने जा रहे हैं।

आइए जानते हैं माफिया के जेल में रुतबे की कुछ कहानियों के बारे में-

कहानी नंबर एक-

जब मछलियां खाने के लिए डाॅन ने गाजीपुर जेल में खुदवा दिया तालाब-

यूपी की जेलों में मुख्तार का कितना रुतबा था यह समझा सकता है गाजीपुर जेल तो एक नमूना है। 2005 में मऊ में हिंसा भड़कने के बाद मुख्तार अंसारी ने सरेंडर कर दिया था। उसे गाजीपुर जेल में रखा गया। मुख्तार तब विधायक था। उसने ताजी मछलियां खाने के लिए गाजीपुर जेल में ही तालाब खुदवा दिया था। बीजेपी से राज्यसभा सांसद और पूर्व डीजीपी बृजलाल ने भी इस बात को माना था। मुख्तार अंसारी उस समय गाजीपुर जेल में डीएम समेत बड़े अधिकारियों के साथ बैडमिंटन खेला करता था। गाजीपुर जेल की कहानी तो एक नमूना मात्र है। आगे भी वह जिस जेल में रहा वहां भी उसी की चली।

कहानी नंबर दो-

बांदा जेल पहुंचा तो डेढ़ साल खाली रही जेलर की कुर्सी-

माफिया मुख्तार अंसारी को पंजाब की रोपड़ जेल से अप्रैल 2021 में यूपी की बांदा जेल शिफ्ट किया गया। मुख्तार का असर इस तरह था कि कोई जेलर इस जेल का चार्ज लेने के लिए ही तैयार नहीं हुआ। बाद में दो जेल अधिकारियों विजय विक्रम सिंह और एके सिंह को भेजा गया। जिला प्रशासन ने जून 2021 में बांदा जेल में छापा मारा तो देखा गया कि कई जेल कर्मचारी मुख्तार की सेवा में लगे मिले। तत्कालीन डीएम अनुराग पटेल और एसपी अभिनंदन की जॉइंट रिपोर्ट पर डिप्टी जेलर वीरेश्वर प्रताप सिंह और 4 बंदी रक्षक सस्पेंड कर दिए गए थे।

कहानी नंबर तीन-

बैरक से बाहर आते ही बंद हो जाते थे जेल के सीसीटीवी कैमरे -

माफिया मुख्तार की बांदा जेल में अलग से बैरक बनी हुई है। इसी बैरक में वह कुर्सी लगाकर बैठता है। इसी दौरान वो जेल अधिकारी और दूसरे कैदियों से मिलता है। बांदा जेल में मुख्तार की अलग से बैरक बनी है। इसी में वह कुर्सी लगाकर बैठता है और इसी दौरान वो जेल अधिकारी और दूसरे कैदियों से मिलता है। मुख्तार दो साल से यूपी की बांदा जेल में है। सूत्रों की मानें तो बांदा जेल में मुख्तार को स्पेशल हाई सिक्योरिटी सेल में रखा गया है। उसकी बैरक दूसरे कैदियों से अलग है। बैरक जेल के बीच वाले गेट के पास ही बनी है। गेट के पास ही मुख्तार हर दिन घंटे-दो घंटे कुर्सी डालकर बैठता है। वहीं जेल अधिकारी और दूसरे कैदियों से मिलता है। मुख्तार जब तक वहां बैठता है, तब तक कोई उस गेट से आ-जा नहीं सकता था। मुख्तार जितनी देर अपनी बैरक से बाहर रहता है, तब तक जेल के उस हिस्से के सीसीटीवी बंद रहते हैं, ताकि वह किससे मिल रहा है, यह किसी को पता न चले।

कहानी नंबर चार-

डाॅन की बैरक में मिले थे दशहरी आम, बाहर का खाना-

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद मुख्तार अंसारी को पंजाब की रोपड़ जेल से यूपी की बांदा जेल लाया गया था। मुख्तार का रुतबा इतना था कि वह जो सुविधा चाहता, वह उसे जेल की बैरक में ही मिलती थी। जून, 2022 में बांदा जेल में जिलाधिकारी ने छापा मारा था। सूत्र बताते हैं कि तब मुख्तार की बैरक में दशहरी आम के साथ-साथ होटल का खाना मिला था। बताया जाता है कि मुख्तार जब पंजाब के रोपड़ जेल से ट्रांसफर होकर बांदा जेल आया, तो उसके गुर्गे जेल के आसपास किराए पर कमरा लेकर रहने लगे थे।

2005 में दंगों का आरोपी बना डान, तभी से है जेल में-

यूपी के मऊ में मुगल काल से रामायण के प्रसंग भरत मिलाप की परंपरा चली आ रही है। इसकी शुरुआत बादशाह औरंगजेब की बेटी जहांआरा ने कराई थी। 2005 में भरत मिलाप के दौरान मऊ में दंगा भड़क गया था। ये करीब एक महीने चला। तब यूपी में सपा की सरकार थी। मुख्तार को दंगे के मामलों में आरोपी बनाया गया। 25 अक्टूबर 2005 को उसने गाजीपुर में सरेंडर कर दिया। तभी से माफिया मुख्तार जेल में है। दंगे के समय मुख्तार का एक वीडियो सामने आया था, जिसमें वह जिप्सी से दंगे वाले इलाकों में घूमता दिख रहा था। उसके साथ हथियारों से लैस उसके गुर्गे भी थे।

पूर्वांचल की राजनीति में अंसारी परिवार की तूती बोलती रही है-

पूर्वांचल की राजनीति में अंसारी परिवार की हमेशा से तूती बोलती रही है। इसका असर मऊ, गाजीपुर, जौनपुर, बलिया और बनारस तक है। मुख्तार के दादा मुख्तार अहमद अंसारी आजादी की लड़ाई में गांधीजी के सहयोगी रहे तो उनके नाना मोहम्मद उस्मान आर्मी में ब्रिगेडियर और महावीर चक्र विजेता थे, पिता सुभानउल्ला अंसारी राजनीतिज्ञ और रिश्ते में चाचा हामिद अंसारी देश के उपराष्ट्रपति रहे हैं। मुख्तार अंसारी खुद भी उत्तर प्रदेश की मऊ सीट से लगातार 5 बार विधायक चुना गया।

केस, जिसके लिए मुख्तार और अफजाल को मिली सजा...

कृष्णानंद राय हत्याकांड, फिर शुरू हुआ मुख्तार का बुरा वक्त-

मुख्तार अंसारी के बड़े भाई अफजाल अंसारी ने गाजीपुर की मोहम्मदाबाद विधानसभा सीट से 1985 से 1996 तक लगातार 5 बार चुनाव जीतकर विधायक बने और विधानसभा पहुंचते रहे। 2002 के चुनाव में बीजेपी के कृष्णानंद राय ने अफजाल अंसारी को हरा कर जीत दर्ज की। कृष्णानंद राय की जीत को अंसारी बंधु पचा नहीं पाए और तीन साल बाद 29 नवंबर 2005 को कृष्णानंद राय की हत्या कर दी गई। कृष्णानंद एक क्रिकेट टूर्नामेंट का उद्घाटन करने गए थे। लौटते समय शूटर्स ने कृष्णानंद राय की कार को चारो तरफ से घेरकर एके-47 से 400 से ज्यादा गोलियां चलाई थीं। जिसमें कृष्णानंद और उनके साथ मौजूद 6 लोग मारे गए। मुख्तार उस समय जेल में था, इसके बावजूद उसे इस हत्याकांड में नामजद किया गया।

नंदकिशोर रूंगटा हत्याकांड-

कोयला कारोबारी को डील के बहाने उठाया और मर्डर-

वाराणसी के भेलूपुर में 1997 में कोयला कारोबारी नंद किशोर रूंगटा का अपहरण कर लिया गया और उसके बाद उनकी हत्या कर दी गई थी। नंद किशोर के भाई महावीर प्रसाद रूंगटा ने दिसंबर 1997 में भेलूपुर थाने में मामला दर्ज कराया था। उनका आरोप था कि 5 नवंबर 1997 को शाम 5 बजे मुख्तार अंसारी ने टेलीफोन पर धमकी दी थी। उनसे 5 करोड़ की रंगदारी मांगी गई थी। इसमें से डेढ़ करोड़ रुपए वे दे चुके थे।

महावीर प्रसाद ने मुख्तार और अताउर रहमान उर्फ बाबू के खिलाफ मामला दर्ज करवाया था। आरोप था कि नंद किशोर की हत्या मुख्तार के सबसे भरोसेमंद शूटर अताउर रहमान ने की थी। रहमान ने कोयला कारोबारी बनकर नंद किशोर को डील के बहाने बुलाया और उनकी हत्या कर शव प्रयागराज में ठिकाने लगा दिया।

माफिया जेल से ही चलाते रहे हैं गैंग...

मुख्तार का बेटा अब्बास चित्रकूट जेल में पत्नी से मिलता रहा-

मुख्तार का बेटा अब्बास अंसारी चित्रकूट की रगौली जेल में बंद था। स्टाफ की मदद से अब्बास की पत्नी निखत बिना एंट्री कराए जेल में आती रही। दोनों जेल में ही अलग कमरे में 4 से 5 घंटे साथ रहते। इसके बदले अब्बास जेल अफसरों को महंगे गिफ्ट देता था। ये सब 85 दिन तक चला। जब मामला पकड़ में आया तो सुपरिन्टेंडेंट और जेलर समेत 7 अधिकारियों को सस्पेंड कर दिया गया और अब्बास को कासगंज जेल ट्रांसफर कर दिया और उसकी पत्नी को गिरफ्तार कर लिया गया।

जेल में बाहुबलियों को मिलती है हर सुविधा-

सूत्रों की मानें तो जिस जेल में बाहुबली रहते हैं, उन्हें मनचाहा खाना और मोबाइल फोन की सुविधा मिलती है। विदेशों में जेलों में जगह-जगह पर सीसीटीवी लगे होते हैं जिसमें कैदी की गतिविधियां दिखती रहती हैं, लेकिन हमारी जेलों में इतनी सीसीटीवी कवरेज नहीं है। जहां है भी उसे अपंग बना दिया गया है। जहां मोबाइल जैमर हैं, उन्हें बंद कर देते हैं।

यूपी के माफिया और पूर्व विधायक मुख्तार अंसारी को गाजीपुर की एमपीएमएलए कोर्ट ने 29 अप्रैल को 10 साल की सजा सुनाई। उसके भाई बीएसपी सांसद अफजाल को भी 4 साल जेल में बिताने होंगे। दोनों के खिलाफ विधायक कृष्णानंद राय की हत्या और कारोबारी नंदकिशोर रूंगटा की किडनैपिंग में गैंगस्टर एक्ट में केस दर्ज किया गया था।

Ashish Pandey

Ashish Pandey

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