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लौटा दो देश की मिट्टी: विदेश में युवक का हुआ ये हाल, रो रो कर बेहाल परिवार

अखिलेश पांडे अपने तीनों भाइयों में सबसे छोटे हैं और विदेश में रहकर अपने माता-पिता के साथ साथ अपने बड़े भाई के परिवार का भरण पोषण करते थे।

Aradhya Tripathi
Published on: 15 May 2020 12:23 PM IST
लौटा दो देश की मिट्टी: विदेश में युवक का हुआ ये हाल, रो रो कर बेहाल परिवार
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गोरखपुर: बेटे की वतन की वापसी और न्याय की गुहार लगा रहा है एक परिवार। गोरखपुर क्षेत्र के बजही टोला के एक परिवार जिसके बेटे को मौखिक रूप से इल्जाम लगाने के जुर्म में दुबई में गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया गया। युवक यूनाइटेड अरब अमीरात दुबई में टेक्निकल ऑफिसर के पद पर विगत 10 वर्षों से कार्यरत था। दो भारत के एक पाकिस्तानी और एक सुडानी नागरिकों ने ईशनिंदा के झूठे आरोप में अखिलेश पांडे को केस में फंसा दिया।

झूंठे कथित आरोप लगाकर भेजा जेल

अखिलेश पर झूंठे आरोप लगाते हुए उसे जेल में डाल दिया गया है। भारतीय युवक अखिलेश पांडे इलाज्म है कि वो इस्लाम के खिलाफ टिप्पणी करते हैं। झूठे मामले में उसे बिना किसी सबूत के मौखिक तौर पर इल्जाम लगा कर जेल भेज दिया गया। अखिलेश पांडे अपने तीनों भाइयों में सबसे छोटे हैं और विदेश में रहकर अपने माता-पिता के साथ साथ अपने बड़े भाई के परिवार का भरण पोषण करते थे।

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जेल में जाने के बाद भरण पोषण पर भी ग्रहण लग गया है। अखिलेश पांडेय की रिहाई के लिए उनके पिता खेत बेचकर अब तक 15 लाख रुपये खर्च कर चुके है। वहीं अखिलेश की पत्नी अपनी एक 2 वर्षीय बेटी को लेकर इस समय दुबई में न्याय की गुहार के लिए मारी मारी फिर रही हैं। वहीं अखिलेश पांडे का परिवार जो गोरखपुर क्षेत्र के बसई टोला गांव में रहता है। उनका रो रो कर बुरा हाल है।

मीडिया के माध्यम से गृह मंत्रालय से गुहार

अखिलेश के माता-पिता और भाई रो-रो कर अपने बेटे और भाई की वतन वापसी के लिए मीडिया के माध्यम से विदेश मंत्रालय से गुहार लगा रहे हैं। जिससे कि चैनल के माध्यम से यह बात विदेश मंत्रालय तक पहुंचे। जिससे उनके निर्दोष पुत्र की वतन वापसी हो सके। अखिलेश के पिता अरुण कुमार पांडेय का कहना है कि हमारे तीनों पुत्रों में यह सबसे छोटा बेटा था।

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जो पूरे घर की जिम्मेदारी संभालता था। लेकिन कुछ युवकों ने मौखिक रूप से मेरे बेटे को फसा दिया है। हम आपके माध्यम से अपने बेटे की वतन वापसी की मांग करते हैं। जल्द से जल्द हमारा बेटा अपने वतन भारत चला आए।

गौरव त्रिपाठी

Aradhya Tripathi

Aradhya Tripathi

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