Manipur Violence Protest: लम्बे समय से चल रही मणिपुर हिंसा के खिलाफ लखनऊ में हो रहें धरना प्रदर्शन

Protest Against Manipur Violence: लखनऊ विश्विद्यालय के बाहर पीएम नरेंद्र मोदी का फूंका गया पुतला। पीएम मोदी का पुतला लखनऊ विश्विद्यालय के बाहर समाजवादी पार्टी के छात्र द्वारा फूंका गया। यह पुतला 100 दिनों से अधिक समय से चल रही मणिपुर हिंसा के खिलाफ फूंका गया है।

Vertika Sonakia
Published on: 22 July 2023 8:12 AM GMT
Manipur Violence Protest: लम्बे समय से चल रही मणिपुर हिंसा के खिलाफ लखनऊ में हो रहें धरना प्रदर्शन
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Protest Against Ongoing Manipur Violence (Photo: Ashutosh Tripathi)

Protest Against Manipur Violence: लखनऊ विश्विद्यालय के बाहर पीएम नरेंद्र मोदी का फूंका गया पुतला। पीएम मोदी का पुतला लखनऊ विश्विद्यालय के बाहर समाजवादी पार्टी के छात्र द्वारा फूंका गया। यह पुतला 100 दिनों से अधिक समय से चल रही मणिपुर हिंसा के खिलाफ फूंका गया है। समाजवादी पार्टी के सभी छात्रों ने विश्वविद्यालय के बाहर भाजपा सरकार के खिलाफ नारेबाजी की।

मणिपुर के सीएम के इस्तीफे की छात्रों ने की मांग

लखनऊ विश्विद्यालय के समाजवादी पार्टी छात्रों ने 100 दिनों से अधिक समय से चल रही मणिपुर हिंसा के खिलाफ प्रदर्शन में मणिपुर राज्य के सीएम एन बिरेन सिंह के जल्द इस्तीफे की मांग की है। लम्बे समय से चल रही हिंसा के खिलाफ सीएम के कुछ न कर पाने के खिलाफ और दिन पर दिन बिगड़ते हालातों को देखते हुए देश के सभी हिस्सों में लोग भड़के हुए है और चाहते है की इतनी बड़ी हिंसा के बाद बिरेन सिंह को हटाकर नए सीएम की नियुक्ति हो।

क्या है मणिपुर हिंसा काण्ड

उत्तर-पूर्वी राज्य मणिपुर में पिछले दिनों हुए जातीय दंगे के कारण माहौल तनावपूर्ण बना हुआ है। आदिवासी और गैर – आदिवासी समुदाय के बीच हुए टकराव ने आधे मणिपुर को हिंसा की आग में झोंक दिया। तकरीबन तीन दिनों तक राज्य के आदिवासी बहुल जिलों में हिंसा का जमकर नंगा नाच हुआ। दंगाईयों और उपद्रवियों ने चीज़ो को तबाह करने में कोई कसर बाकी नहीं रखी। हिंसा की शुरूआत चूराचांदपुर जिले से हुई, जो देखते ही देखते बाकी जिलों में भी फैल गई।

मणिपुर में हिंसा का कारण मैतेई और जनजातीय समुदाय नागा और कुकी के बीच हुए टकराव का नतीजा है। उनका राज्य की महज 10 फीसदी जमीन पर ही कब्जा है। दूसरी ओर आदिवासी समुदायों की आबादी करीबन 40 फीसदी है लेकिन उनका जमीन के एक बड़े हिस्से पर कब्जा है। मैतेई समुदाय के लोग जमीन पर कब्जा के लिए खुद को ट्रायबल घोषित करने की मांग लंबे समय से कर रहे हैं। जिसका जनजातिय वर्ग की ओर से शुरू से ही विरोध देखने को मिला है।

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