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सोनभद्र का बुरा हाल: जहर बना नगर पालिका का दूषित पानी, कई बीघा खेती बर्बाद

सजौर ग्राम पंचायत में लगभग 50 से 60 बीघा जमीन जलभराव के चलते डूब गई है। जहां दर्जनों किसान उस जमीन पर खेती नहीं कर पा रहे हैं। वही जल जमाव के चलते हैंडपम्प व कुओं का पानी पूरी तरीके से दूषित हो चुका है।

Shraddha Khare
Published on: 29 Jan 2021 5:14 PM IST
सोनभद्र का बुरा हाल: जहर बना नगर पालिका का दूषित पानी, कई बीघा खेती बर्बाद
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सोनभद्र का बुरा हाल: जहर बना नगर पालिका का दूषित पानी, कई बीघा खेती बर्बाद

सोनभद्र: सोनभद्र की इकलौती नगर पालिका के दूषित पानी से कई गांव प्रभावित हो रहे हैं । किसानों का कहना है वह 20 वर्षों से जल जमाव के चलते 50 से 60 बीघा खेती नही हो पा रही है। जल जमाव की समस्या को लेकर जिले के अधिकारी के साथ मुख्यमंत्री से भी कई बार शिकायत की गई, लेकिन स्थिति जस की तस बनी हुई है ।

50 से 60 बीघा जमीन जलभराव से है डूबी

जिले की नगर पालिका के दूषित पानी का दंश ग्रामीण क्षेत्रों के किसान 20 वर्षो से झेलने के लिए विवश हैं । नगर पालिका के 25 वार्डो के गंदे पानी का जमाव रॉबर्ट्सगंज के आस-पास के गांवों में भी हो रहा है । सजौर ग्राम पंचायत में लगभग 50 से 60 बीघा जमीन जलभराव के चलते डूब गई है। जहां दर्जनों किसान उस जमीन पर खेती नहीं कर पा रहे हैं। वही जल जमाव के चलते हैंडपम्प व कुओं का पानी पूरी तरीके से दूषित हो चुका है। किसानों का कहना है कि उन्होंने नगर पालिका व जिलाधिकारी से लेकर मुख्यमंत्री तक तक गुहार लगाई है। लेकिन पिछले 20 वर्षों से लेकर आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई । वहीं दूसरी तरफ नगर पालिका के अधिशासी अधिकारी का कहना है कि करोड़ों की लागत से ड्रेनेज सिस्टम तैयार किया जा रहा है।

डूबी जमीन, नहीं हो पा रही खेती

जिले के सजौर गांव के किसान बीबी चौबे ने बताया कि लगभग पिछले 20 वर्षों से यही स्थिति बनी हुई है । नगर पालिका के पानी के जमाव के चलते आस-पास के गांव के लगभग दर्जनों किसान इन जमीनों पर खेती नहीं कर पा रहे हैं। वहीं जल जमाव के चलते हैंडपम्प व कुँओं का पानी दूषित हो चुका है। नगर पालिका समेत उच्च अधिकारियों से कई बार शिकायत के बाद भी आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।

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अधिकारी से मिला आश्वासन

सोनभद्र नगर पालिका के अधिशासी अधिकारी प्रदीप गिरी ने बताया कि वर्ष 2016- 17 में एक नाले का निर्माण किया जा रहा था, लेकिन यह निर्माण धन की कमी के चलते पूरा नहीं हो पाया. जलभराव की समस्या के समाधान के लिए 30 करोड़ की लागत से एक योजना बनाई गई है, जिसकी मंजूरी भी मिल गई है. जैसे ही शासन से धन का आवंटन हो जाता है, ड्रेनेज सिस्टम बनाने का काम शुरू कर दिया जाएगा ।अधिशासी अधिकारी ने बताया कि अगले वित्तीय वर्ष तक किसानों की समस्या का समाधान कर दिया जाएगा ।

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रिपोर्ट- ज्ञान प्रकाश चतुर्वेदी

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