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भारत और नाइजेरिया में होती है विश्व की एक तिहाई मातृ मृत्यु, ऐसे मिलेगी निजात

रजोनिवृत्ति, बांझपन, और घरेलु हिंसा का विस्तृत जानकारी देते हुए डॉ. खान ने कहा का हर दिन 800 महिलाओं की मातृ मृत्यु होती है। विश्व की एक तिहाई मातृ मृत्यु भारत और नाइजेरिया में होती है।

Shreya
Published on: 20 March 2021 1:02 PM GMT
भारत और नाइजेरिया में होती है विश्व की एक तिहाई मातृ मृत्यु, ऐसे मिलेगी निजात
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भारत और नाइजेरिया में होती है विश्व की एक तिहाई मातृ मृत्यु

जौनपुर: भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय द्वारा प्रायोजित एवं व्यवसाय प्रबंधन विभाग, वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय और सेंटर फॉर एकेडमिक लीडरशिप एंड एजुकेशन मैनेजमेंट, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालया के द्वारा सात दिवसीय ऑनलाइन एकडमिक नेतृत्व प्रशिक्षण कोर्स के पांचवे दिन महिला प्रजनन स्वास्थ्य एवं लिंग और भाषा बिषय पर चर्चा हुई।

हर दिन 800 महिलाओं की होती है मातृ मृत्यु

पहले सत्र में अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय की जे. एन. मेडिकल कॉलेज की ऑब्जत्रेटिक्स एवं गायनाइकलॉजी विभाग की पूर्व चेयरपर्सन डॉ. तमकीन खान ने गर्भावस्था और बच्चे का जन्म के दौरान होने वाले चिकित्सकीय समस्याओं के बारे में विस्तार से जानकारी दी। रजोनिवृत्ति, बांझपन, और घरेलु हिंसा का विस्तृत जानकारी देते हुए डॉ. खान ने कहा का हर दिन 800 महिलाओं की मातृ मृत्यु होती है।

भारत और नाइजेरिया में होती है विश्व की एक तिहाई मातृ मृत्यु

विश्व की एक तिहाई मातृ मृत्यु भारत और नाइजेरिया में होती है। विलम्ब निर्णय, विलम्ब परिवहन, एवं विलंबित चिकित्सालय सुविधा मिलना इसके कारकों में शामिल है। मातृ मृत्यु के मुख्य तीन कारण है। सही प्रस्तुति ज्ञान, चिकित्सालय में प्रस्तुति को बढ़ावा देना एवं प्रस्तुति सम्बंधित समस्याओं को परिवार और समाज को जागरूक करना जैसे कदमों से मातृ मृत्यु में कमी आएगी।

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Maternal-death (सांकेतिक फोटो- सोशल मीडिया)

दूसरे सत्र में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की अंग्रेजी विभाग की प्रोफेसर आयेशा मुनीर रशीद ने लिंग एवं भाषा का सम्बन्ध के बारे में अपना विचार व्यक्त किया। उन्होंने कहा की बचपन से ही बच्चियों को प्रशिक्षण दिया जाता है की वो कम बोले और धीरे आवाज में बोलेl स्त्री को हमेशा मधु भाषी माना जाता है।

बेहतर समाज की कल्पना

इससे असमान रोजगार के अवसर, पदोन्नति में विलम्ब, अपने हक़ के लिए खड़े होने में बधाएं आती है। स्कूल और कॉलेज के पाठ्यक्रमों में तटस्थ लिंग भाषा का होना, घर एवं कार्यालयों में ऐसे भाषा का प्रयोग करना और सामाजिक उत्तरादायित्व को इनमें शामिल करने से बेहतर समाज का कल्पना किया जा सकता है।

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कार्यक्रम के समन्वयक, डॉ मुराद अली ने संचालन किया एवं सैय्यद मज़हर ज़ैदी ने धन्यवाद ज्ञापन दिया। इस अवसर पर डॉ. ओम प्रकाश मिश्रा, डॉ. राजेंद्र प्रसाद गुप्ता, डॉ. संतोष कुमार सिंह, डॉ. विक्रांत उपाध्याय, डॉ. योगेश चंद्र, डॉ. मुकुल लावण्या, प्रदीप सिंह आदि उपस्थित रहे।

रिपोर्ट- कपिल देव मौर्य

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