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Ghosi By Election 2023: घोसी में चुनावी शोर थमा, आखिरी दिन भाजपा-सपा ने झोंकी ताकत, जानिए क्या है इस सीट का समीकरण
Ghosi By Election 2023: घोसी विधानसभा सीट पर हो रहे उपचुनाव के लिए चुनाव प्रचार ख़त्म हो गया। इस सीट पर 5 सितंबर को मतदान होने वाला है। चुनाव प्रचार के आखिरी दिन भाजपा और सपा के दिग्गज नेताओं ने चुनावी बाजी जीतने के लिए प्रचार में पूरी ताकत झोंक दी।
Ghosi By Election 2023: घोसी विधानसभा सीट पर हो रहे उपचुनाव के लिए चुनावी शोर आज शाम पांच बजे थम गया। इस सीट पर 5 सितंबर को मतदान होने वाला है। चुनाव प्रचार के आखिरी दिन भाजपा और समाजवादी पार्टी के दिग्गज नेताओं ने चुनावी बाजी जीतने के लिए प्रचार में पूरी ताकत झोंक दी। इस विधानसभा सीट पर सपा छोड़कर भाजपा का दामन थामने वाले दारा सिंह चौहान और समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी सुधाकर सिंह के बीच कड़ा मुकाबला हो रहा है। दोनों दलों ने इस उपचुनाव को प्रतिष्ठा की जंग बना लिया है। दारा सिंह चौहान के इस्तीफे के बाद यह विधानसभा सीट रिक्त घोषित की गई थी।
घोसी विधानसभा सीट पर हो रहे इस उपचुनाव को भाजपा की अगुवाई वाले गठबंधन एनडीए और विपक्षी दलों के गठबंधन इंडिया के बीच लिटमस टेस्ट माना जा रहा है। दारा सिंह चौहान की जीत सुनिश्चित करने के लिए भाजपा नेताओं के साथ ही सुभासपा मुखिया ओमप्रकाश राजभर और अन्य सहयोगी दलों के नेताओं ने कमान संभाल रखी है। दूसरी ओर सुधाकर सिंह को जीत दिलाने के लिए पूरा यादव कुनबा घोसी में जुटा हुआ है। सपा प्रत्याशी को कांग्रेस और माकपा का समर्थन भी हासिल है। इस कारण इस उपचुनाव को एनडीए और इंडिया गठबंधन का मुकाबला माना जा रहा है और इस जंग से 2024 के लिए बड़ा संदेश निकलेगा।
प्रचार के आखिरी दिन पूरी ताकत झोंकी
घोसी में चुनाव प्रक्रिया शुरू होने के साथ ही दोनों खेमों ने प्रचार में पूरी ताकत झोंक दी थी। आज प्रचार के आखिरी दिन दोनों खेमों के दिग्गज नेताओं ने मतदाताओं का रोक अपने पक्ष में करने के लिए जोरदार प्रचार अभियान चलाया। प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव अपने-अपने प्रत्याशियों की जीत सुनिश्चित करने के लिए क्षेत्र में चुनावी सभा कर चुके हैं। दोनों नेताओं ने अपनी चुनावी सभाओं के दौरान एक-दूसरे पर तीखा हमला करते हुए मतदाताओं का समर्थन हासिल करने का प्रयास किया।
घोसी का जातीय समीकरण
घोसी विधानसभा सीट का जातीय समीकरण काफी उलझा हुआ है। इसलिए सियासी जानकारी भी क्षेत्र के चुनावी नतीजे के संबंध में कोई ठोस दावा अभी तक नहीं कर पा रहे हैं। इस विधानसभा क्षेत्र में मतदाताओं की संख्या करीब 4.25 लाख है। इनमें मुस्लिम मतदाताओं की संख्या सबसे ज्यादा करीब 90 हजार है। इनमें करीब 70 फ़ीसदी यानी 63,000 पसमांदा मुसलमान हैं और पसमांदा मुसलमान में पैठ बनाने के लिए भाजपा की ओर से काफी मेहनत की गई है।
चुनाव प्रचार के दौरान अल्पसंख्यक मोर्चा के पदाधिकारी समेत मंत्रियों को भी उतारा गया था। इसके साथ ही जगह-जगह प्रबुद्ध सम्मेलन का आयोजन भी किया गया। क्षेत्र में दलित मतदाताओं की संख्या करीब 70,000 है और बसपा उम्मीदवार के मैदान में न होने के कारण दलित मतदाताओं का रुख काफी महत्वपूर्ण हो गया है।। घोसी विधानसभा क्षेत्र में करीब 56,000 यादव, 52,000 राजभर और 46,000 चौहान वोटर भी उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला करने में बड़ी भूमिका निभाएंगे।
जातीय समीकरण के लिहाज से सपा अपने प्रत्याशी सुधाकर सिंह की स्थिति को मजबूत मान रही है जबकि भाजपा प्रत्याशी दारा सिंह चौहान की लोनिया और चौहान बिरादरी में मजबूत पकड़ मानी जाती रही है। राजभर मतदाताओं का वोट भाजपा प्रत्याशी को दिलाने के लिए सुभासपा मुखिया ओमप्रकाश राजभर ने क्षेत्र में काफी मेहनत की है।
एनडीए और इंडिया का लिटमस टेस्ट
घोसी का उपचुनाव सपा मुखिया अखिलेश यादव के लिए प्रतिष्ठा की जंग माना जा रहा है। यही कारण है कि रामपुर और आजमगढ़ में हुए उपचुनावों में प्रचार से दूर रहने वाले अखिलेश यादव घोसी में अपनी पार्टी के प्रत्याशी सुधाकर सिंह के चुनावी संभावनाओं को मजबूत बनाने के लिए सभा करने पहुंचे। इस दौरान उन्होंने भाजपा पर तीखा हमला बोला।
दूसरी ओर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने घोसी के मतदाताओं को मऊ दंगे की याद दिलाते हुए प्रदेश के विकास के लिए भाजपा को जीत दिलाने की अपील की।
घोसी उपचुनाव के नतीजे से विपक्षी दलों के गठबंधन इंडिया की ताकत का मूल्यांकन भी किया जाएगा। यही कारण है कि इंडिया में शामिल विपक्षी दलों ने इस उपचुनाव में पूरी ताकत झोंक दी है। 2022 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान समाजवादी पार्टी ने घोसी में भाजपा से आए दारा सिंह चौहान को उतारा था।
दारा सिंह चौहान चुनाव जीतने में तो कामयाब रहे मगर बाद में उन्होंने पाला बदलते हुए एक बार फिर अपनी पुरानी पार्टी बीजेपी का दामन थाम लिया। अब सपा मुखिया अखिलेश यादव दारा सिंह चौहान से हिसाब बराबर करके उन्हें करारा झटका देना चाहते हैं।
अखिलेश के निशाने पर ओपी राजभर
सपा मुखिया अखिलेश यादव के निशाने पर सिर्फ दारा सिंह चौहान ही नहीं बल्कि सुभासपा मुखिया ओमप्रकाश राजभर भी हैं। राजभर ने अखिलेश यादव को झटका देते हुए भाजपा से हाथ मिला लिया है। घोसी के इलाके में राजभर की मजबूत पकड़ मानी जाती है और इसी कारण राजभर भी घोसी में डेरा डालकर दारा सिंह चौहान की जीत सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहे हैं। समाजवादी पार्टी की जीत के जरिए अखिलेश यादव यह साबित करना चाहते हैं कि पूर्वांचल में 2022 में सपा को अपने दम पर जी हासिल हुई थी, ओमप्रकाश राजभर के दम पर नहीं।
घोसी के उपचुनाव में जहां सपा जातीय समीकरण साधकर भाजपा प्रत्याशी को घेरने की कोशिश में जुटी हुई है तो दूसरी ओर भाजपा नेताओं को जातीय समीकरण के साथ ही पीएम मोदी और योगी के विकास के मॉडल पर पूरा भरोसा है। पार्टी नेताओं का कहना है कि क्षेत्र के मतदाताओं का समर्थन एक बार फिर दारा सिंह चौहान को हासिल होगा। अब सबकी निगाहें 5 सितंबर को होने वाले मतदान पर टिकी हुई है।
239 मतदान केंद्रों पर होगा मतदान
जिला निर्वाचन अधिकारी अरुण कुमार ने बताया की 5 सितंबर को होने वाले मतदान के लिए सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। उन्होंने बताया कि विधानसभा क्षेत्र में 239 मतदान केंद्र और 455 मतदेय स्थल बनाए गए हैं। उन्होंने बताया कि शांतिपूर्ण मतदान के लिए कड़े सुरक्षा बंदोबस्त के साथ ही सभी एटी प्रबंध किए गए हैं। पोलिंग पार्टियां सोमवार को मतदेय स्थल के लिए रवाना होंगी और 8 सितम्बर को गिनती होगी। अड सभी को चुनाव नतीजे का बेसब्री से इंतजार है।
वहीं, सपा का डेलीगेशन चुनाव आयोग दफ्तर पहुंचा। राजेंद्र चौधरी के नेतृत्व में 4 सदस्यीय दल ने घोसी उपचुनाव में गड़बड़ी की आशंका जताई। राज्य निर्वाचन अधिकारी से शिकायत करते हुए कार्रवाई की मांग भी की है।