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Mayawati News: मायावती के भाई-भाभी को 261 फ्लैट की बिक्री, ऑडिट रिपोर्ट में उठे सवाल
Mayawati News: मई 2023 की एक ऑडिट रिपोर्ट में कंपनी के अस्तित्व में आने से लेकर उसके दिवालिया होने की कगार तक पहुंचने के 12 सालों का लेखाजोखा सामने आया है।
Mayawati News: बसपा सुप्रीमो मायावती को सत्ता गँवाये भले ही दस साल से अधिक होगे हों पर उनके भ्रष्टाचार के कारनामें रूकने का नाम नहीं ले रहे हैं,। तक़रीबन दो तीन सीबीआई जाँचें झेल रही मायावती के बार में एक खुलासे में दावा किया गया है कि जब वह मुख्यमंत्री थीं तब उनके रिश्तेदारों को नोएडा में बहुत सस्ते में और नियम विरुद्ध 261 फ्लैट आवंटित किए गए थे।
द इंडियन एक्सप्रेस में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार, आधिकारिक दस्तावेज़ों की जांच से पता चला है कि नोएडा में रियल एस्टेट कंपनी लॉजिक्स इन्फ्राटेक प्राइवेट लिमिटेड द्वारा डेवलप किये गए हाउसिंग कॉम्प्लेक्स में मायावती के भाई और भाभी को कम से कम 261 फ्लैट 'ग़लत तरीके से', 'धोखाधड़ी' के ज़रिए और बेहद 'कम क़ीमत' पर आवंटित किए गए थे।
ऑडिट रिपोर्ट
मई 2023 की एक ऑडिट रिपोर्ट में कंपनी के अस्तित्व में आने से लेकर उसके दिवालिया होने की कगार तक पहुंचने के 12 सालों का लेखाजोखा सामने आया है। इसमें इस मामले में हुई अनियमिताओं के बारे में भी जानकारी मिलती है। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में कहा गया है कि उसने इस मामले में आधिकारिक रिकॉर्ड और रिपोर्टों की जांच की है।
- मई 2010 में लॉजिक्स इंफ्राटेक प्राइवेट लिमिटेड का गठन किया गया था। मायावती तब उत्तर प्रदेश की राजनीति में शीर्ष पर थीं और मई 2007 से मुख्यमंत्री के रूप में कार्यरत थीं।
- दो महीने बाद लॉजिक्स ने मायावती के भाई आनंद कुमार और उनकी पत्नी विचित्र लता के साथ अपने नोएडा प्रोजेक्ट, ब्लॉसम ग्रीन्स में लगभग दो लाख वर्ग फुट जगह बेचने के लिए समझौता किया। आनंद कुमार के लिए खरीद मूल्य 46.02 करोड़ रुपये था, और विचित्र लता के लिए, यह ₹ 46.93 करोड़ रुपये था।
- सितंबर 2010 में नोएडा प्राधिकरण ने ब्लॉसम ग्रीन्स में 22 टावरों के विकास के लिए लॉजिक्स इंफ्राटेक को 1,00,112.19 वर्ग मीटर या 24.74 एकड़ भूमि पट्टे पर दी थी।
- सितंबर 2010 से 2022-23 तक, लॉजिक्स ने ब्लॉसम ग्रीन्स में 2,538 आवासीय इकाइयों में से कुल 2,329 इकाइयां बेचीं। 944 फ्लैटों वाले आठ टावरों के बेचने की पेशकश की गई जिसमें से केवल 848 खरीदारों ने कब्जा लिया है। शेष 14 टावर अपने सिविल ढांचे के पूरा होने के बावजूद अभी पजेशन के लिए तैयार नहीं हैं।
- 4 अप्रैल, 2016 को आनंद कुमार को 135 अपार्टमेंट आवंटित किए गए, जबकि विचित्र लता को शेष 126 अपार्टमेंट मिले। उन्होंने क्रमशः 28.24 करोड़ और 28.19 करोड़ रुपये का 'अग्रिम' भुगतान किया।
- 15 फरवरी, 2020 को लॉजिक्स इंफ्राटेक को निर्माण कंपनी अहलूवालिया कॉन्ट्रैक्ट्स (इंडिया) लिमिटेड से पहला नोटिस मिला, जिसमें 7.72 करोड़ रुपये के बकाए की मांग की गई थी। अहलूवालिया कॉन्ट्रैक्ट्स को ब्लॉसम ग्रीन्स के लिए 259.80 करोड़ रुपये के सिविल और संरचनात्मक कार्यों का ठेका दिया गया था।
- अक्टूबर 2020 में, लॉजिक्स ने नोटिस का जवाब दिया और अहलूवालिया कॉन्ट्रैक्ट्स के बकाये का भुगतान करने में असमर्थता के लिए कोरोना जैसे कारणों का हवाला दिया गया।
- 29 सितंबर, 2022 को, नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल ने कंपनी द्वारा बकाया धन की वसूली के लिए कॉर्पोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया की शुरुआत करते हुए, लॉजिक्स के खिलाफ दिवालियापन की कार्यवाही का आदेश दिया।
- दिवाला मानदंडों के अनुसार, एनसीएलटी ने एक अंतरिम समाधान पेशेवर (आईआरपी) नियुक्त किया, जिसने लॉजिक्स के खातों के ऑडिट का आदेश दिया। मई 2023 में आईआरपी को सौंपी गई ट्रांजैक्शन ऑडिट रिपोर्ट, जिसके बारे में द इंडियन एक्सप्रेस ने कहा कि उसने इसकी समीक्षा की है, इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि आनंद कुमार और विचित्र लता को बेची गई इकाइयों का मूल्यांकन नहीं किया गया था और लेनदेन को धोखाधड़ी माना गया था।
- आनंद कुमार को 2,300 रुपये प्रति वर्ग फुट का बिल भेजा गया था, जबकि अन्य खरीदारों को औसत शुद्ध दर 4,350.85 रुपये प्रति वर्ग फुट थी। रिपोर्ट में कहा गया है कि ये अंडरवैल्यूड ट्रांजेक्शन इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी एक्ट 2016 की धारा 45 का उल्लंघन करते हैं। इसके अलावा, ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार, आनंद कुमार को आवंटित 36 इकाइयां पहले से ही अन्य पार्टियों के कब्जे में थीं, जो आवंटन प्रक्रिया में संभावित गलत बयानी या धोखे का संकेत देती हैं।