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शिकंजे में माया: भाई आनंद कुमार 400 करोड़ रुपए का बेनामी प्लॉट जब्त

raghvendra
Published on: 19 July 2019 9:13 AM GMT
शिकंजे में माया: भाई आनंद कुमार 400 करोड़ रुपए का बेनामी प्लॉट जब्त
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लखनऊ: पूर्व मुख्यमंत्री और बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती की मुसीबत और बढ़ सकती है। इनकम टैक्स विभाग ने मायावती के भाई आनंद कुमार और उनकी पत्नी विचित्र लता के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है और उनका एक विशाल बेनामी प्लॉट जब्त किया है। नोएडा स्थित इस प्लॉट की कीमत 400 करोड़ रुपए बताई जा रही है। सात एकड़ के इस भूखंड को जब्त करने का अस्थायी आदेश दिल्ली स्थित बेनामी निषेध इकाई (बीपीयू) ने 16 जुलाई को जारी किया था। आनंद कुमार को लोकसभा चुनाव के दौरान मायावती ने बसपा का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया था।

आयकर विभाग के मुताबिक 2007 से 2014 के बीच आनंद कुमार की संपत्ति में 18 हजार फीसदी इजाफा हुआ है। 2007 में आनंद कुमार की संपत्ति 7.1 करोड़ थी, जो 2014 में 1300 करोड़ हो गई। आयकर विभाग की नजरें उन 12 कंपनियों पर भी है, जिनसे आनंद कुमार बतौर निदेशक जुड़े थे।

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जांच में पता चला है कि 2007 से 2012 तक जब मायावती उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री थीं, तब पांच कंपनियों फैक्टर टेक्नोलॉजीज, होटल लाइब्रेरी, साची प्रॉपर्टीज, दीया रियल्टर्स और ईशा प्रॉपर्टीज के जरिए अधिकांश पैसा इकट्ठा किया गया। आयकर विभाग ने अनुमान लगाया है कि आनंद कुमार के पास 870 करोड़ रुपए से अधिक की अचल संपत्ति है। इसके अलावा तमाम बेनामी संपत्तियां भी हैं।

पहले भी हुई है पूछताछ

2017 में भी आनंद कुमार से आयकर विभाग ने पूछताछ की थी जिसमें बेनामी संपत्ति की जानकारी मिली थी। इनकम टैक्स विभाग का कहना है कि आनंद कुमार ने दिल्ली के बिजनेसमैन एस.के.जैन के सहयोग से कई हजार करोड़ की बेनामी संपत्ति इकठ्ठा की थी। जैन को बोगस कंपनी मामले में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा गिरफ्तार किया गया था। आयकर विभाग दिल्ली और नोएडा में आनंद कुमार और उनकी पत्नी से जुड़ी महंगी संपत्तियों और दोनों की कंपनियों में किए गए निवेश से जुड़े एक मामले की जांच कर रहा है।

कौन है आनंद

आनंद कुमार १९९६ में नोएडा प्राधिकरण में जूनियर असिस्टेंट के पद पर नियुक्त हुआ था। मासिक वेतन था मात्र महज 700 रुपए। यही कर्मचारी कुछ ही सालों में अकूत संपत्ति का मालिक बन गया। उसने सेक्टर-44 में 450 वर्गमीटर का एक प्लाट खरीदा था जिसे लेकर आयकर विभाग ने पहली बाहर आनंद पर उंगली उठाई। आनंद को यह प्लाट सरेंडर करना पड़ा था। 2003 में आनंद को प्राधिकरण ने बाहर का रस्ता दिखा दिया। सात साल की नौकरी और उसके बाद भी आनंद ने खूब प्रापर्टी बनाई।

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जानकारी मिली कि अकेले नोएडा में हर बड़ी प्रापर्टी से इनका संबंध है। अधिकांश प्रापर्टी बसपा शासनकाल में आवंटित की गई। बसपा शासनकाल में ही ग्रुप हाउसिंग भू आवंटन के नियमों में बदलाव किया गया था। बिल्डरों को पहले भू आवंटन के दौरान 30 प्रतिशत पैसा जमा करना होता था, लेकिन बसपा शासनकाल में इसे 10 प्रतिशत कर दिया गया। मायावती के भाई आनंद कुमार ने इसका जमकर फायदा उठाया। नेताओं, उनके रिश्तेदारों और बिल्डर्स के साथ आनंद का पुराना मेल-जोल है। ऐसे ही दोस्तों के साथ मिलकर उसने तमाम कंपनियां खोलीं। उस पर फर्जी कंपनी बनाकर करोड़ों रुपए लोन लेने का आरोप भी लगा था।आनंद कुमार नवंबर 2016 में नोटबंदी के दौरान भी चर्चा में आए जब उनके खाते में अचानक 1.43 करोड़ रुपए जमा हुए थे।

सात साल में 18 हजार फीसदी बढ़ गई संपत्ति

आयकर विभाग के मुताबिक आनंद कुमार की 1,300 करोड़ रुपए की संपत्ति की जांच चल रही है। आरोप है कि आनंद कुमार की संपत्ति में 2007 से 2014 तक 18,000 फीसदी की वृद्धि हुई है। उनकी संपत्ति 7.1 करोड़ रुपए से बढक़र 1,300 करोड़ रुपए हो गई। 12 कंपनियां आयकर विभाग की जांच के दायरे में है, जिनमें आनंद कुमार निदेशक हैं।

49 कंपनियां खोल डालीं

2007 में मायावती के सत्ता में आने के बाद आनंद कुमार ने एक के बाद एक लगातार 49 कंपनियां खोलीं। फिर रियल एस्टेट के धुरंधरों जेपी, यूनिटेक और डीएलएफ के साथ 2012 तक 760 करोड़ का बिजनेस किया। इनमें से ज्यादातर कंपनियां शेयर के नाम पर पैसे बटोरने के लिए बनाई गई थीं, जो फर्जी थीं। इन्हें अडवांस पेमेंट और इन्वेस्टमेंट के लिए इस्तेमाल किया जाता था। 2007 से पहले भी आनंद की एक कंपनी थी, जिसका नाम होटल लाइब्रेरी क्लब प्राइवेट लिमिटेड था।

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इसका हेडक्वॉर्टर मसूरी में था। मसूरी में इसका खुद का एक होटल शिल्टन भी था। आनंद इस कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर हुआ करते थे और खुद को 1.2 करोड़ रुपए सालाना की सैलरी देते थे। मार्च 2012 तक इस कंपनी का बैंक बैलेंस 320 करोड़ रुपए था। इसकी तीन और फर्में थीं, जिनमें से एक का नाम रेवोल्यूशनरी रिएल्टर्स था। इस कंपनी ने 2011-12 में 60 करोड़ रुपए कमाए। रेवोल्यूशनरी रिएल्टर्स से निकली एक ब्रांच थी तमन्ना डेवलपर्स। मार्च 2012 तक यह 160 करोड़ रुपए कमा चुकी थी।

यादव सिंह पर भी ईडी का शिकंजा

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के लखनऊ जोन कार्यालय ने हाल में नोएडा के पूर्व मुख्य अभियंता यादव सिंह और उनके परिवार की 89 लाख की संपत्ति भी जब्त की थी। अब तक यादव सिंह व उनके सहयोगियों की 21.5 करोड़ रुपये मूल्य की संपत्ति जब्त की जा चुकी है। यह कार्रवाई प्रिवेंशन आफ मनी लांड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) के तहत की गई है। जब्त की गई संपत्तियों में एक आवासीय, एक व्यावसायिक व एक कृषि भूमि है। इसके अलावा बैंक में जमा धन को भी जब्त किया गया है। पीएमएलए के तहत ईडी ने यह कार्रवाई सीबीआई की ओर से 30 जुलाई 2015 को यादव सिंह और उसके सहयोगियों के विरुद्ध दर्ज की गई एफआईआर को आधार बनाकर शुरू की थी।

सीबीआई ने यादव सिंह और उनके परिवार के सदस्यों के विरुद्ध आय से अधिक संपत्ति के मामले में भी कोर्ट में आरोप पत्र भी दाखिल किया था। इसमें एक अप्रैल 2004 से 4 अगस्त 2015 के बीच उनकी संपत्ति घोषित आय से 512.66 प्रतिशत अधिक पाई गई थी। इस तरह 4,51,64,232 रुपये की आय के विपरीत उनके पास 23,15,41,514 रुपये की चल-अचल संपत्ति पाई गई थी। ईडी के अनुसार उनकी यह अवैध कमाई ट्रस्ट में लिए गए डोनेशन से भी थी, जो यादव सिंह के नियंत्रण में थे। इसी तरह उनके परिवार के सदस्यों के नाम पर भी धन एकत्र किया गया था। इस तरह की अवैध कमाई से दिल्ली व नोएडा में आवासीय व व्यावसायिक संपत्तियां बनाई गईं। र्ईडी की जांच के बाद ऐसी ही 89 लाख कीमत की संपत्तियों को जब्त किया गया है।

हवाला के जरिए लगाया गया पैसा

दीपांकर जैन

नोएडा: आनंद कुमार की जिस बेनामी संपत्ति को जब्त किया गया वह सेक्टर-94 में प्लाट नंबर 2ए है। प्राधिकरण ने इस प्लाट का आवंटन ‘बीपीटीपी इंटरनेशनल ट्रेड सेंटर प्राइवेट लिमिटेड’ के नाम से किया था। 20 फरवरी 2009 को प्राधिकरण ने इस कंपनी को प्लाट पर कब्जा दिया था। प्लाट का साइज करीब 35 हजार वर्गमीटर है। इस प्लाट से जुड़े कई और प्लाट हैं। इसका क्षेत्रफल करीब 14.2 एकड़ है जिस पर ‘कैपिटल सिटी’ नामक परियोजना का निर्माण किया जा रहा है।

बताया गया है कि कैपिटल सिटी में बीपीटीपी के अलावा बेनामीदार के रूप में जिन कंपनियों की पहचान की गयी है उनमें विजन टाउन प्लानर्स प्राइवेट लिमिटेड, यूरो एशिया मर्केंटाइल प्राइवेट लिमिटेड, सनी कास्ट एंड फोर्ज प्राइवेट लिमिटेड, करिश्मा इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड और एड-फिन कैपिटल सर्विसेज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड शामिल हैं। इसके अलावा कई डमी कंपनिया इसमें शामिल हैं। बताया जाता है कि दिल्ली से हवाला के पैसों का प्रयोग कर इस संपत्ति को खरीदा गया। इन कंपनियों के जरिए किए गए बहुस्तरीय बेनामी लेन-देन के लाभार्थी सिर्फ आनंद कुमार और विचित्र लता हैं। वर्तमान में जहां कैपिटल सिटी नाम से परियोजना का निर्माण किया जा रहा है उस जमीन पर कब्जा व आवंटन बसपा शासन काल में हुआ था। दरअसल, बसपा शासन काल में ही नोएडा में भूखंड आवंटन की दर को 30 प्रतिशत से घटाकर 10 प्रतिशत कर दिया गया था। इसका लाभ इन डमी कंपनियों के जरिए लिया गया।

प्लाट खरीदने के लिए छह कंपनियों ने एक साझा समझौता किया। जिसमें बीपीटीपी को आगे रखा गया और उसी के नाम से ही प्लाट खरीदा गया। पैसा पांच कंपनियों व डमी कंपनियों की तरफ से लगाया गया।

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राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

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