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मेरठ में दर्दनाक कांड: पिता-पुत्र ने खाया जहर, बेटे की मौत, जांच में जुटी फोरेंसिक टीम

थाना कंकरखेड़ा इंस्पेक्टर तपेश्वर सागर के अनुसार, साउथ दिल्ली के नारायणा विलेज निवासी नितिन तंवर पिता राजपाल के साथ कंकरखेड़ा क्षेत्र स्थित श्रद्धापुरी फेज-2 में रहते थे।

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Published on: 14 March 2021 2:39 PM IST
मेरठ में दर्दनाक कांड: पिता-पुत्र ने खाया जहर, बेटे की मौत, जांच में जुटी फोरेंसिक टीम
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मेरठ: पिता-पुत्र ने जहर खाया, बेटे की मौत, फोरेंसिक टीम कर रही घटनास्थल की जांच (PC: social media)

मेरठ: उत्तर प्रदेश के मेरठ शहर के थाना कंकरखेड़ा क्षेत्र में पिता-पुत्र ने जहर खा लिया। बेटे की मौके पर ही मौत हो गई।पिता को गंभीर हालत में उपचार के लिए नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराया गया है। मौके पर पहुंची पुलिस को कमरे से कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है। फोरेंसिक टीम द्वारा घटनास्थल का मौका मुआयना किया जा रहा है।

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थाना कंकरखेड़ा इंस्पेक्टर तपेश्वर सागर के अनुसार

थाना कंकरखेड़ा इंस्पेक्टर तपेश्वर सागर के अनुसार, साउथ दिल्ली के नारायणा विलेज निवासी नितिन तंवर पिता राजपाल के साथ कंकरखेड़ा क्षेत्र स्थित श्रद्धापुरी फेज-2 में रहते थे। रविवार सुबह दोनों के जहर खाने की सूचना पुलिस को मिली। पुलिस मौके पर पहुंची। नितिन का शव बेड पर पड़ा था। उसकी मौत हो चुकी थी। मुंह से झाग निकल रहे थे जबकि राजपाल की सांसें चल रही थीं। पुलिस ने राजपाल को हॉस्पिटल में भर्ती कराया।

इंस्पेक्टर ने बताया कि कमरे से सल्फास के खाली पैकेट मिले हैं

इंस्पेक्टर ने बताया कि कमरे से सल्फास के खाली पैकेट मिले हैं। घर से तलाकनामा मिला है। इसके अनुसार, 12 मार्च को नितिन का पत्नी से तलाक हो चुका है। वह मुजफ्फरनगर में रतनपुरी थाना क्षेत्र की रहने वाली है। पुलिस उससे भी संपर्क करने का प्रयास कर रही है।

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लॉकडाउन के बाद से जिले में के मामलों में वृद्धि हुई है। बता दें कि अभी कुछ दिन पहले ही थाना टीपी नगर क्षेत्र में नौकरी जाने से आहत एक युवक ने शराब में सल्फास खाकर जान दे दी थी। पिछले छह महीने में एक दर्जन से भी अधिक खुदकुशी के मामले सामने आ चुके हैं। खुदकुशी की घटनाएं बढ़ने के मामले में मनोचिकित्सक का कहना है कि लाकडाउन के दौरान लोग घरों में रहे। साथ ही काम, धंधे भी प्रभावित हुए। इसके अलावा सोशल मीडिया, टेलीविजन पर हर समय कोरोना से जुड़ी खबरों में काफी निगेटिविटी मिली। जिससे लोगों में डिप्रेशन बढ़ा और वह भविष्य को लेकर चिंतित हुए। यही वह समय होता है जब आदमी कुछ न कर पाने पर हताश भी होकर ऐसा कदम उठाता है।

रिपोर्ट- सुशील कुमार

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