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कोरोना के खिलाफ जारी देशव्यापी जंग: मददगार बन रहा मेरठ

कोरोना के खिलाफ जारी देशव्यापी जंग में भी मेरठ एक मजबूत स्तंभ के तौर पर उभर रहा है। कोरोना से निपटने और कोरोना संक्रमितों तक पहुंचने के लिए जिस पीपीई किट, सैनिटाइजर और मास्क की जरूरत पड़ती है मेरठ में उसका बड़े पैमाने पर उत्पादन हो रहा है।

suman
Published on: 24 April 2020 10:08 PM IST
कोरोना के खिलाफ जारी देशव्यापी जंग: मददगार बन रहा मेरठ
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सुशील कुमार

मेरठ कोरोना के खिलाफ जारी देशव्यापी जंग में भी मेरठ एक मजबूत स्तंभ के तौर पर उभर रहा है। कोरोना से निपटने और कोरोना संक्रमितों तक पहुंचने के लिए जिस पीपीई किट, सैनिटाइजर और मास्क की जरूरत पड़ती है मेरठ में उसका बड़े पैमाने पर उत्पादन हो रहा है। सैनिटाइजर बनाने के काम में मेरठ मंडल की शुगर मिलें लगी हैं। उप- गन्ना आयुक्त राजेश मिश्र कहते हैं कि प्रदेश में 12 शुगर इंडस्ट्री घराने सैनिटाइजर और एक्स्ट्रा न्यूट्रल अल्कोहल तैयार कर रहे हैं। इन मिलों के पास देश की जरूरत का सैनिटाइजर तैयार करने की क्षमता है। दौराला और ब्रजनाथपुर मिल सैनिटाइजर का उत्पादन कर रही है। मवाना शुगरमिल एक्स्ट्रा न्यूट्रल अल्कोहल तैयार करने में लगी है। अकेले मेरठ की दौराला शुगर मिल अब तक ३० हजार लीटर से अधिक सैनिटाइजर का उत्पादन कर चुकी है। मिल के महाप्रबंधक संजीव कुमार खाटियान का दावा है कि मिल ने केन्द्र सरकार को १० हजार और प्रदेश सरकार को २० हजार लीटर सैनिटाइजर मुफ्त उपलब्ध कराया है। यहाँ ‘दौराला केयर’ के नाम से सैनिटाइजर का निर्माण किया जा रहा है। फिलहाल मिल द्वारा अभी 5 से 35 लीटर के पैक बनाकर सरकार को दिये जाएंगे और जल्द ही बाजार में छोटे पैक उपलब्ध कराये जाएंगे।

दरअसल,कोरोना के बढ़ते वैश्विक संक्रमण को देखते हुए हाल के कुछ महीनों से सैनिटाइजर की मांग में बेतहाशा वृद्धि हुई है। इस कमी को पूरा करने के लिए प्रदेश सरकार ने शुगरमिलों को सैनिटाइजर बनाने के लाइसेंस दिए थे। हापुड़ जनपद की ब्रजनाथपुर शुगरमिल ने भी आठ हजार लीटर सैनिटाइजर प्रतिदिन बनाने का लाइसेंस लिया था। अब तक करीब डेढ़ लाख लीटर सैनिटाइजर का उत्पादन हो चुका है। दौराला मिल द्वारा क्षेत्र के एक दर्जन से भी अधिक गांवों और सरकारी कार्यालयों को अपने संसाधनों से सैनिटाइज कराया है।

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पीपीईऔर मास्क

मेरठ में ३० से अधिक इकाइयां स्वास्थ्य कर्मियों के लिए अतिआवश्यक पीपीई और मास्क बना रही हैं। इन यूनिटों ने अपनी कार्यशालाओं को पीपीई मैन्युफैक्चरिंग सेंटर में तब्दील कर दिया है। यहां रोजाना २० हजार से अधिक किट बन रही हैं, जिसकी सप्लाई देशभर में हो रही है। रेलवे ने मेरठ में 30 साल से स्पो‌र्ट्स वियर बनाने वाली अग्रणी कंपनी वत्स स्पो‌र्ट्स को बड़ी संख्या में किट बनाने का आर्डर दिया है। ये किट डीआरडीओ से भी मान्यता प्राप्त है। कंपनी के निदेशक लोकेश वत्स ने बताया कि रोजाना करीब 500 किट बनाई जा रही है। पीपीई किट के लिए विशेष कपड़े का प्रयोग होता है, जो रेलवे देती है। देशभर में सिर्फ 19 कंपनियां इस कपड़े से किट बना रही हैं।

इसके अलावा मेरठ स्थित हंस इंजीनियरिंग वर्क्स द्वारा भी पीपीई किट तैयार किया जा रहा है। कंपनी ने फिलहाल दिल्ली स्थित एम्स को 80 हजार पीपीई किट की सप्लाई की थी। देश के कई शहरों के लिए भी किट तैयार की जा रही है। पीपीई यानी पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट का उपयोग स्वास्थ्यकर्मी और डाक्टर्स कोरोना संक्रमितों से संपर्क के दौरान करते हैं। कोरोना संक्रमित इलाके में जाने के लिए भी पुलिसकर्मियों को भी इसकी काफी जरूरत होती है।

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