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Meerut News: आउटसोर्सिंग वाले कंप्यूटर आपरेटर बन गए सरकारी मेट, पीडब्ल्यूडी में बड़ी गड़बड़ी
Meerut News: मिली जानकारी के अनुसार पीडब्ल्यूडी में सालों से कार्यरत ये आउटसोर्स कंप्यूटर आपरेटर विनियमितीकरण की मांग कर रहे थे। विनियमितीकरण नियमावली 2016 के तहत नियुक्ति की मांग करते हुए हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी।
Meerut News: लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) में आउटसोर्सिंग (ठेके) पर काम करने वाले सात कंप्यूटर आपरेटरों को 11 मई 2021 को नियम विरुद्ध मेट बनाया दिया गया। मामले का खुलासा होने पर मेरठ और प्रयागराज के इन मामलों का खुलासा होने पर संबंधित की नियुक्ति तो रद्द कर दी गई। लेकिन, गड़बड़ी करने वालों पर अभी तक कार्रवाई नहीं हुई है।
मिली जानकारी के अनुसार पीडब्ल्यूडी में सालों से कार्यरत ये आउटसोर्स कंप्यूटर आपरेटर विनियमितीकरण की मांग कर रहे थे। विनियमितीकरण नियमावली 2016 के तहत नियुक्ति की मांग करते हुए हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। अदालत ने मामले के निस्तारण के निर्देश दिया तो 11 मई 2021 को अधीक्षण अभियंता एके द्विवेदी ने कंप्यूटर आपरेटर संजय श्रीवास्तव, शैलेंद्र श्रीवास्तव, शबीहुल हसन और सैयद अब्बास को मेट बना दिया। मेरठ में भी तीन कंप्यूटर आपरेटर मेट बना दिए गए। वैसे विनियमितीकरण नियमावली का लाभ उन दैनिक वेतनभोगी, संविदा कर्मियों मिलना था, जो विभाग में 2001 से पहले से कार्यरत थे।
मेट बनाए गए आपरेटर आउटसोर्सिंग वाले थे, इसलिए मुख्य अभियंता मुख्यालय-2 वीके जैन ने अधीक्षण अभियंताओं से स्पष्टीकरण तलब किया। मामला मीडिया में पहुंचा तो विभाग में हडपंच मच गया। पता चला कि इस मामले को 12 जुलाई 2017 को तत्कालीन अधीक्षण अभियंता विनय प्रकाश ने निस्तारित करते हुए लिखा था कि आउटसोर्सिंग आपरेटरों को सरकारी कर्मचारी का दर्जा नहीं दिया जा सकता है। यह भी कहा गया कि इस नियमावली का लाभ उन्हीं को मिलेगा जो 2001 से पहले विभाग में दैनिक वेतनभोगी हैं। यह तथ्य छुपाकर संबंधितों ने अधीक्षण अभियंता एके द्विवेदी के सामने फाइल पेश की। यह बात सामने आने बाद अधीक्षण अभियंता ने इनकी नियुक्ति रद कर दी है।
सूत्रों का कहना है कि नियुक्ति दिलाने के लिए विभाग के जिस बड़े बाबू ने फाइल अधीक्षण अभियंता के सामने पेश की थी उनके खिलाफ विभाग द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई। फिलहाल वह विभाग से रिटायर भी हो चुके हैं। बहरहाल,घटना का खुलासा होने के बाद अब सातों आपरेटरों की सरकारी सेवा समाप्त की जा चुकी है। यह भी पता चला है कि इस मामले में संजीव भारद्वाज तत्कालीन अधीक्षण अभियंता मेरठ के खिलाफ अपने पदीय दायित्वों का सम्यक निर्वहन न करते हुए गंभीर लापरवाही अनियमितता बरतने पर जांच के आदेश विभाग के विशेष सचिव द्वारा दिए गए हैं।