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राममंदिर निर्माण के लिए अयोध्या में बैठक शुरू, नई डिजाइन पर लगेगी मुहर
21 व 22 जनवरी को मंदिर निर्माण समिति की चार चरण में हो रही बैठक के पहले चरण में ट्रस्ट व निर्माण कार्य से जुड़े अधिकारी राम जन्मभूमि परिसर पहुंचे हैं।
लखनऊ: अयोध्या में बनने वाले श्रीराम जन्मभूमि बनने के लिए श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के पदाधिकारियों की बैठक शुरू हो चुकी है। इस बैठक में मंदिर निर्माण को लेकर विचार विमर्श किया जा रहा है। बैठक के दौरान पदाधिकारियों के सामने मंदिर निर्माण के लिए पुरानी पद्धति से अलग हटकर इंजीनियर नई डिजाइन रखेगें।
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अधिकारी राम जन्मभूमि परिसर पहुंचे हैं
21 व 22 जनवरी को मंदिर निर्माण समिति की चार चरण में हो रही बैठक के पहले चरण में ट्रस्ट व निर्माण कार्य से जुड़े अधिकारी राम जन्मभूमि परिसर पहुंचे हैं। अयोध्या के विश्वामित्र आश्रम में इस महत्वपूर्ण बैठक में कार्यदाई संस्था लार्सन एंड टूब्रो कंपनी के अलावा टाटा कंसल्टेंसी के इंजीनियरों के साथ यह बैठक हो रही है। बैठक में शामिल होने के लिए आर्किटेक्ट सोनपुरा भी अयोध्या धाम पहुंचे हैं।
शामिल हुए ये लोग
राममंदिर निर्माण समिति की बैठक में नृपेंद्र मिश्र, ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय, ट्रस्टी गोविंददेव गिरि, डॉ. अनिल मिश्र, बिमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र, एके मित्तल, जगदीश एस अफले , राममंदिर के आर्किटेक्ट आशीष सोमपुरा सहित टाटा, एलएंडटी, एनजीआरआई हैदराबाद सहित मंडलायुक्त, डीएम व नगर आयुक्त भी शामिल हैं।
ram-temple (PC: social media)
दोपहर बाद सर्किट हाउस में ट्रस्ट के पदाधिकारियों और टाटा कंसल्टेंसी और एलएनटी के इंजीनियरों के साथ एक अलग बैठक भी होगी। राम मंदिर निर्माण समिति के चेयरमैन पूर्व आईएएस नृपेंद्र मिश्र बैठक करने के लिए 20 जनवरी की रात को अयोध्या पहुंचें। उन्होंने रामलला व हनुमानगढ़ी में दर्शन-पूजन भी किया।
दोनों निर्माण कंपनी टीसी व एलएनटी ने तैयार कर लिया है डिजाइन
कहा जा रहा है कि राम मंदिर निर्माण की कार्यदायी संस्था एलएंडटी सहित टाटा कंसलटेंट इंजीनियर्स और आइआइटी चेन्नई, मुंबई, दिल्ली आदि संस्थाओं सहित नेशनल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट के विशेषज्ञों ने अब नए सिरे से नींव की डिजाइन तय की है। नींव डिजाइन दोनों निर्माण कंपनी टीसी व एलएनटी ने तैयार कर लिया है।
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उल्लेखनीय है कि अयोध्या में भव्य राममंदिर की मजबूती को लेकर ट्रस्ट की ओर से कई दौर की बैठकें हो चुकी हैं, जिसमें विभिन्न पहलुओं पर विचार किया जा चुका है। मंदिर निर्माण की नींव के लिये कई बार परीक्षण होने के बाद कहा गया कि कि जमीन के नीचे भुरभुरी बालू और पानी होने के कारण सीमेंट के पिलर्स का इस्तेमाल उचित नहीं है।
रिपोर्ट- श्रीधर अग्निहोत्री
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