×

अयोध्या में मेगा लोक अदालत का आयोजन, इतने वादों का किया गया निस्तारण

अयोध्या में जनपद स्तर पर राष्ट्रीय मेगा लोक अदालत का आयोजन किया गया, जिसमें 2788 वादों का निस्तारण कर लोक अदालत के आयोजन को सफल बनाया गया।

Newstrack
Published on: 12 Dec 2020 8:36 PM IST
अयोध्या में मेगा लोक अदालत का आयोजन, इतने वादों का किया गया निस्तारण
X
अयोध्या में मेगा लोक अदालत का आयोजन, इतने वादों का किया गया निस्तारण

अयोध्या: जनपद स्तर पर राष्ट्रीय मेगा लोक अदालत का आयोजन किया गया, जिसमें 2788 वादों का निस्तारण कर लोक अदालत के आयोजन को सफल बनाया गया। जनपद न्यायाधीश ज्ञान प्रकाश तिवारी एवं अन्य न्यायिक अधिकारियों द्वारा दीप प्रज्जवलन कर मां सरस्वती के चित्र पर पुष्प अर्पित कर फैजाबाद जिला विधिक सेवा प्रधिकरण द्वारा मेगा लोक अदालत का शुभारम्भ किया गया।

इस अवसर पर जनपद न्यायाधीश ने अपने संवोधन में कहा कि लोग अदालत का उद्देश्य मुकदमों के बोझ को कम करना एवं आपसी समझौते के आधार पर वादों का निस्तारण करना है।

नागरिकों को न्याय के समान अवसर उपलब्ध कराने के उद्देश्य

इसका मुख्य उद्देश्य है सभी नागरिकों को न्याय के समान अवसर उपलब्ध कराने के उद्देश्य से भारतीय संविधान के अनुच्छेद-39-क में प्राविधानिक नीति निर्देशों सिद्वान्तों को प्रभावी ढंग से लागू किये जाने के उद्देश्य से वर्ष 1995 में संसद द्वारा पारित विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम 1987 लागू किया जाना तथा सुदूरवर्ती ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले समाज के अपवंचित एवं निर्धन व्यक्तियों को इस योजना का लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से केन्द्र स्तर पर राष्ट्रीय विधित सेवा प्राधिकरण, राज्य स्तर पर राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, माननीय उच्च न्यायालय स्तर पर उच्च न्यायालय विधिक सेवा समिति, जिला स्तर पर जिला विधिक सेवा प्राधिकरण एवं तहसील स्तर पर तहसील विधिक सेवा समिति का गठन किया गया है।

ये भी पढ़ें: झांसी में बोले पूर्व कृषि मंत्री राधामोहन सिंह, मोदी सरकार ने बढ़ाई MSP और खरीद

निःशुल्क विधिक सेवा उपलब्ध कराना...

ताकि कोई भी नागरिक आर्थिक अक्षमता या अन्य कारणों से न्याय प्राप्त करने के समान अवसर से वंचित न रह जायें, जिसमें मुख्यतः पात्र व्यक्तियों को निःशुल्क विधिक सेवा उपलब्ध कराना, लोक अदालतों का आयोजन करके पारस्परिक सद्भावना के अधीन आपसी सुलह समझौते के माध्यम से विवादों का निपटारा कराना, विधिक सेवा उपलब्ध कराने हेतु अत्यधिक प्रभावी एवं कम खर्चीली योजनाएं तैयार करके उन्हें क्रियान्वित करना, ग्रामीण क्षेत्रों, गरीब तथा श्रमिक बस्तियों में समाज के कमजोर एवं अपवंचित वर्गो को उनके विधिक अधिकारों की जानकारी देने हेतु विधिक साक्षरता शिविर का आयोजन करना, पारिवारिक व अन्य विवादों को सुलह-समझौते के आधार पर निपटाने हेतु परामर्श एवं सुलह-समझौता केन्द्रों का संचालन करना, प्रिलिटिगेशन विवादों के निस्तारण हेतु लोक अदालतें आयोजित कराना।

न्यायालय की शरण में आने वाले हर व्यक्ति को मिले न्याय

लोक अदालत का मुख्य उद्देश्य उन वर्गों के लिए विशेष तौर पर आयोजित होता है जो आर्थिक, पाारिवारिक एवं विभिन्न समस्याओं से ग्रसित होते हैं, वे सभी लोक अदालत में अपनी समस्याओं का निस्तारण विधिक अनुसार करा लेते हैं। इसका सबसे बड़ा मुख्य कारण यह है कि कई बार देखा गया है कि समाज के प्रताड़ित व आर्थिक रूप से कमजोर व्यक्ति न्याय से वंचित रह जाते है, व गलत कदम की ओर अग्रसारित हो जाते है। हम सभी का सबसे पहला कर्तव्य है कि न्यायालय की शरण में आने वाले हर व्यक्ति को न्याय सुलभ हो सकें, जिसके लिए राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन कर प्रताड़ित व आर्थिक रूप से कमजोर व्यक्तियों को विधि अनुसार न्याय मिल सके।

2788 मामलो का निस्तारण किया गया

मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट डा0 सुनील कुमार सिंह ने बताया कि लोक अदालत में कुल 2788 मामलो का निस्तारण किया गया लोक अदालत में महिलाओ, दिव्यांगो, वरिष्ठ नागरिको, समाज के विभिन्न वर्ग के लोगो के अलावा पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति, जन जाति आदि समाज के लोग लाभान्वित हुए। लोक अदालत में निःशुल्क एलोपैथिक एवं होम्यो पैथिक चिकित्सा शिविर तथा कोविड प्रोटोकाल के तहत कोविड डेस्क भी बनाये गये थे। न्यायाधीश श्री भूदेव गौतम द्वारा मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण द्वारा परिवहन एक्ट के तहत 28 वाद निस्तारित किये गये जिस पर कुल कुल रू0 1,16,56,000 धनराशि की क्षतिपूर्ति निर्धारित की गई रिपेमेन्ट के कुल 15 केस निस्तारित हुए जिसमें कुल 71,00,660 रू0 की वसूली की गई।

बैंक रिकवरी से संबंधित 795 प्री लिटिगेशन वाद निस्तारित किये गये जिसमें बैंक संबंधी ऋण मु0 कुल 36500100.00 रू0 वसूल किये गये। परिवारिक न्यायलयो द्वारा 49 मुकदमो को निस्तारित किया गया।

ये भी पढ़ें: अयोध्या में कड़ाके की ठंड: रामलला ने ओढ़ी रजाई, पहली बार हुआ ऐसा

न्यायिक मजिस्ट्रेट न्यायालयो द्वारा 1627 फौजदारी वादो को निस्तारित किया गया इसके एवज में कुल 212330.00 रू0 अर्थ दण्ड अधिरोपित किया गया। सिविल न्यायालयो द्वारा कुल 30 मामलो का निस्तारण किया गया जिसमें कुल 1538066 रू0 का उत्तराधिकार प्रमाण-पत्र जारी किया गया। राजस्व न्यायालयो/उप जिला मजिस्ट्रेटो द्वारा विभिन्न न्यायालयो में 222 राजस्व वाद निस्तारित किये गये। प्रभारी सचिव विधिक सेवा संजीव त्रिपाठी ने बताया कि अन्य लोक अदालतो की अपेक्षा इस में ज्यादा उत्साह देखा गया और कुल लगभग आज की राष्ट्रीय मेगा लोक अदालत में लगभग 2788 वादो को निस्तारित किया गया।

नाथ बख्श सिंह

Newstrack

Newstrack

Next Story