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यहां खाने के पैकेट्स को लेकर प्रवासी मजदूरों में जमकर चलें लात और घूंसे, कई घायल

ताजा मामला यूपी के कानपुर का है। कानपुर रेलवे स्टेशन पर श्रमिक स्पेशल ट्रेन के पहुँचते ही मजदूरों के बीच खाने के पैकेट्स को लेकर मारपीट शुरू हो गई। इस दौरान कई मजदूरों को चोटें भी आई। लॉकडाउन के नियमों का बिल्कुल भी पालन नहीं हुआ।

Aditya Mishra
Published on: 23 May 2020 8:05 AM GMT
यहां खाने के पैकेट्स को लेकर प्रवासी मजदूरों में जमकर चलें लात और घूंसे, कई घायल
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कानपुर: देश भर के अलग-अलग राज्यों में लॉकडाउन के दौरान फंसे प्रवासी मजदूरों का धैर्य धीरे-धीरे जवाब देने लगा है। प्रवासी मजदूरों भारी संख्या में सड़कों पर प्रदर्शन करते नजर आ रहे हैं। मारपीट से लेकर हंगामे की खबरें अब रोज की बात हो गई है।

ताजा मामला यूपी के कानपुर का है। कानपुर रेलवे स्टेशन पर श्रमिक स्पेशल ट्रेन के पहुँचते ही मजदूरों के बीच खाने के पैकेट्स को लेकर मारपीट शुरू हो गई। इस दौरान कई मजदूरों को चोटें भी आई। लॉकडाउन के नियमों का बिल्कुल भी पालन नहीं हुआ।

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मारपीट की घटना को देखकर मौके पर मौजूद रेलकर्मी वहां से घबरा कर दूर हट गए। जिसके बाद रेलवे परिसर के अंदर जगह-जगह खाने के पैकेट्स और खाना फर्श पर बिखरे पड़े दिखाई दिए।

दरअसल श्रमिक स्पेशल ट्रेन गुजरात के अहमदाबाद से सीतामढ़ी जा रही थी। यह ट्रेन शुक्रवार शाम लगभग 4 बजकर 15 मिनट पर कानपुर सेंट्रल के प्लैटफॉर्म नम्बर 8 पर पहुंची। ट्रेन की सूचना के बाद आईआरसीटीसी के कर्मचारी ट्रॉली लेकर प्लैटफॉर्म पर पहुंचे। इसी बीच यात्री ज्यादा से ज्यादा पैकेज उठाने लगे। यह देख कर्मचारियों ने मना किया तो श्रमिक हाथापाई करने लगे।

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ट्रेनों और बसों के जरिए करीब आठ लाख श्रमिक अपने घरों को पहुंचे

मुख्यमंत्री ने कहा कि उप्र देश का पहला राज्य है जिसने दूसरे प्रदेशों में रह रहे अपने श्रमिकों एवं कामगारों की सुरक्षित और सम्मानजनक वापसी की शुरुआत की। मार्च के अंतिम हफ्ते से राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र से शुरू यह सिलसिला जारी है। अब तक विभिन्न राज्यों से ट्रेनों और बसों के जरिए करीब आठ लाख श्रमिक लाए जा चुके हैं।

उम्मीद है कि कुल 20 लाख प्रवासी इस दौरान अपने घरों को लौटेंगे। इन सबको स्थानीय स्तर पर उनके हुनर के अनुसार रोजगार देने को हम प्रतिबद्ध हैं। इसके लिए दीर्घकालीन और अल्पकालीन दोनों तरह की योजनाएं सरकार के पास हैं। हर हालात में हम कोरोना जनित इस संकट को अवसर में बदलेंगे। इसके लिए हमने श्रम कानूनों में संसोधन भी किया है।

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Aditya Mishra

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