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समझौता के बाद भी आपराधिक केस चालू रखना न्यायिक प्रक्रिया का दुरूपयोगः हाईकोर्ट

इस आशय का हलफनामा भी कोर्ट में दाखिल किया गया है। इसके बावजूद मुकदमा समाप्त नहीं किया जा रहा है। जबकि दोनों पक्ष केस समाप्त करने पर सहमत है जिस पर यह याचिका दाखिल की गयी थी।

Shivakant Shukla
Published on: 1 May 2019 2:23 PM GMT
समझौता के बाद भी आपराधिक केस चालू रखना न्यायिक प्रक्रिया का दुरूपयोगः हाईकोर्ट
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प्रतीकात्मक फोटो

प्रयागराज: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कहा है कि घरेलू विवाद में दोनों पक्षों के बीच समझौता होने के बाद भी आपराधिक मुकदमा खत्म न कर चालू रखना न्यायिक प्रक्रिया का दुरूपयोग है।

सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा है कि अपराध गम्भीर व समाज पर प्रभाव डालने वाला नहीं हो और पक्षों में समझौता हो गया हो तो मुकदमे को जारी रखने का औचित्य नहीं है।

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कोर्ट ऐसे मामलों में अपनी अंतर्निहित शक्तियों का प्रयोग न्यायहित में कर सकती है। कोर्ट ने झाँसी की अदालत में विचाराधीन राज्य बनाम वरुण वाल्मीकि केस की कार्यवाही रद्द कर दी है।

यह आदेश न्यायमूर्ति के.एन. बाजपेयी ने बबीना झाँसी के शंकर बाल्मीकि व अन्य की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है। याची अधिवक्ता ए.के. ओझा का कहना था कि आपराधिक मामले के दोनों पक्षों के बीच समझौता हो चुका है।

इस आशय का हलफनामा भी कोर्ट में दाखिल किया गया है। इसके बावजूद मुकदमा समाप्त नहीं किया जा रहा है। जबकि दोनों पक्ष केस समाप्त करने पर सहमत है जिस पर यह याचिका दाखिल की गयी थी।

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Shivakant Shukla

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