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5000 से ज्यादा औद्योगिक इकाईयों को झटका, एक महीने में तेजी से बढ़े भाव

जनपद में करीब 5000 औद्योगिक इकाईयां है। जिनमे उत्पाद बनाने की निर्भरता प्लास्टिक दाना पर है और लगभग उतनी ही 5000 फैक्ट्रियां है जो प्लास्टिक दानों को उपयोग करने वाली फैक्ट्रियों पर ही निर्भर है।

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Published on: 19 Nov 2020 12:25 PM GMT
5000 से ज्यादा औद्योगिक इकाईयों को झटका, एक महीने में तेजी से बढ़े भाव
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5000 से ज्यादा औद्योगिक इकाईयों को झटका, एक महीने में तेजी से बढ़े भाव (Photo by social media)

नोएडा: कोरोना काल में जनपद की होम अप्लाएंस, इलेक्ट्रॉनिक सामान, क्रॉकरी, तार कवर, प्लास्टिक फर्नीचर सहित अन्य उत्पाद बनाने वाली औद्योगिक इकाईयों को तगड़ा झटका लगा है। इसकी वजह प्लास्टिक दाने का आयात में कमी और दामों में तेजी से बढ़ोतरी होना है। महज 30 दिन में 140 किलोवाला दाना का भाव 280 रुपए किलो तक पहुंच गया। एमएसएमई इंडस्ट्रियल एसोसिएशन नोएडा ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर मामले की गंभीरता से अवगत कराया।

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जनपद में करीब 5000 औद्योगिक इकाईयां है

जनपद में करीब 5000 औद्योगिक इकाईयां है। जिनमे उत्पाद बनाने की निर्भरता प्लास्टिक दाना पर है और लगभग उतनी ही 5000 फैक्ट्रियां है जो प्लास्टिक दानों को उपयोग करने वाली फैक्ट्रियों पर ही निर्भर है। जनपद में आने वाला अधिकांश दाना आयातित किया जाता है। यहा एबीएस प्लास्टिक जापाना कोरिया, थाईलैंड और साउदीअरब से करीब 50 से 60 प्रतिशत दाना आयातित किया जाता है। कोरोना काल में आयातित किए जाने वाले दाने की आयात ड्यूटी 1000डालर से बढ़कर 2200 डालर तक हो गई बताई जा रही है।

इसका सीधा असर फैक्ट्रियों पर पड़ा है। विगत एक महीने पहले 140 किलो आने वाला दाना अब 280 रुपए किलो मिल रहा है। एक महीने और कोरोना काल में इतना बड़ा आर्थिक बोझ झेलने के लिए उद्यमी तैयार नहीं है। एमएसएमई इंडस्ट्रियल एसोसिएशन के जिलाअध्यक्ष सुरेंद्र नाहटा ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर प्लास्टिक दाना के बढ़ते दामों पर नियंत्रित करने का आग्रह किया है। उन्होंने बताया कि कंटेनर की कमी इसकी बहुत बड़ी वजह है।

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कोरोना काल के चलते एक तो जो माल 20 से 22 दिन में आ जाना चाहिए

कोरोना काल के चलते एक तो जो माल 20 से 22 दिन में आ जाना चाहिए। उसे आने में करीब 2 महीने का समय लग रहा है। आयातित कंपनियां हमसे कंटेनर की डिमांड करती है। यहा शिपमेंट में कंटेनर नहीं है। कंटेनर के लिए भी वसूली की जा रही है या पहले के मुकाबले अधिक पैसा लिया जा रहा है। कालाबाजारी के इस खेल में बगैर प्लास्टिक दाने के उद्योगों का संचालन कैसे किया जाए। इसका सीधा असर रोजगार, राजस्व भी दिखेगा।

रिपोर्ट- दीपांकर जैन

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