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मुख्तार अंसारी के इस सच को जानकर आप भी रह जाएंगे हैरान

माफिया मुख्तार अंसारी आज भय और आतंक का ऐसा पर्याय बन चुका है, जिसका नाम आते ही लोग उसके आपराधिक इतिहास के बारे में चर्चा करने लगते हैं।

Raghvendra Prasad Mishra
Published on: 1 April 2021 12:25 PM IST (Updated on: 1 April 2021 12:32 PM IST)
Mukhtar Ansari
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Mukhtar Ansari, Photo- Social Media

लखनऊ। माफिया मुख्तार अंसारी आज भय और आतंक का ऐसा पर्याय बन चुका है, जिसका नाम आते ही लोग उसके आपराधिक इतिहास के बारे में चर्चा करने लगते हैं। जेल में बंद होने के बावजूद मुख्तार अंसारी की अगर चर्चा काफी तेज है तो इसका भी कारण उसका रसूख ही है। मुख्तार का रसूख राजनीति में किस कदर हावी है इसका उदाहरण पंजाब में कांग्रेस सरकार के तौर पर सबके सामने है। मुख्तार अंसारी को पंजाब के रोपड़ जेल से उत्तर प्रदेश की जेल में शिफ्ट करने के बीच पंजाब जेल प्रशासन की तरफ से इतना अड़ंगा लगाया गया कि यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने मुख्तार अंसारी को दो सप्ताह में उत्तर प्रदेश की जेल में शिफ्ट करने का आदेश दिया है। वहीं सर्वोच्च न्यायालय के इस आदेश के बाद मुख्तार के परिजनों को उसके एनकाउंटर किए जाने का भय सताने लगा है।

पत्नी ने लगाई सुरक्षा की गुहार

मुख्तार अंसारी की पत्नी ने राष्ट्रपति को पत्र लिखकर पंजाब से उत्तर प्रदेश लाने के दौरान मुख्तार की सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम सुनिश्चित करने की गुहार लगाई है। जबकि सूत्रों की मानें तो मुख्तार समर्थक भी मुख्तार की गाड़ी के साथ—साथ चलने की तैयारी में हैं। पंजाब से उत्तर प्रदेश के बीच पड़ने वाले सभी टोल नाकों पर मुख्तार के समर्थक बड़ी संख्या में मौजूद रहेंगे और जिस गाड़ी में मुख्तार को लाया जाएगा उसकी वह लोग वीडियोग्राफी भी करेंगे। कहते है अच्छाई पर बुराई हावी हो जाती है। व्यक्ति का अतीत कितना भी गौरवशाली क्यों न रहा हो, लेकिन वर्तमान अगर खराब है तो उसकी पहचान वर्तमान से ही होगी। ठीक इसी तरह मुख्तार अंसारी का भी वर्तमान है, जिसके चलते उसके अतीत के बारे में कोई नहीं जानना चाहता। जबकि मुख्तार के परिवार का गौरवशाली इतिहास रहा है।


Mukhtar Ansari and former Vice President Hamid Ansari


मुख्तार के नाना ने नौशेरा की लड़ाई में दिलाई थी जीत

बाहुबली मुख्तार अंसारी के दादा डॉ. मुख्तार अहमद अंसारी स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन के दौरान वष्र 1926—27 में इंडियन नेशनल कांग्रेस के अध्यक्ष रहे। वह महात्मा गांधी के काफी करीबी माने जाते थे। वहीं मुख्तार के नाना महावीर चक्र विजेता तो उनके चाचा हामिद अंसारी देश के उपराष्ट्रपति रह चुके हैं। महावीर चक्र विजेता मुख्तार अंसारी के नाना ब्रिगेडियर उस्मान वर्ष 1948 की जंग में नौशेरा की लड़ाई लड़ी और भारत को जीत भी दिलाई। खैर वह इस जंग में शहीद हो गए थे। वहीं सैन्य विशेषज्ञों की मानें तो वह अगर शहीद न हुए होते तो शायद भारत के पहले मुस्लिम थल सेनाध्यक्ष भी होते। ब्रिगेडियर उस्मान ऐसे भारतीय सैनिक थे, जिनके सिर पर पाकिस्तान ने 50,000 रुपए का इनाम घोषित कर रखा था। यह राशि उस जमाने की सबसे बड़ी रकम होती थी।

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पिता ने आगे बढ़ाई राजनीतिक विरासत

कम्युनिस्ट विचारधारा के नेता मुख्तार के पिता सुब्हानउल्लाह अंसारी अपनी साफ—सुथरी छवि के लिए जाने जाते थे। उनको इसी साफ—सुथरी छवि का लाभ वर्ष 1971 में मिला और नगर पालिक चुनाव में उन्हें निर्विरोध चुन लिया गया। वही भारत के पूर्व उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी रिश्ते में मुख्तार के चाचा लगते हैं। बताते चले मुख्तार अंसारी पर हत्या, अपहरण और एक्सटॉर्शन जैसी दर्जनों संगीन मामलों में मुख्तार अंसारी पर 40 से अधिक मुकदमे दर्ज हैं। मुख्तार अंसारी मऊ निर्वाचन विधानसभा क्षेत्र से लगातार 5वीं बार विधायक चुना गया है। वर्ष 1996 में बसपा के टिकट पर मुख्तार ने विधायकी का चुनाव लड़ा ओर जीत भी हासिल की। इसी के बाद वह इस सीट से लगातार चुनाव जीतता आ रहा है।

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