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मुंडेरवा और पिपराइच मिलों से अब मिलेगी ऐसी चीनी, CM आज करेंगे शुभारंभ
सीएम योगी आदित्यनाथ ने पूर्वांचल के गन्ना किसानों को बस्ती के मुंडेरवा और गोरखपुर के पिपराइच में चीनी मिलों का तोहफा दिया है। लंबे समय से बंद इन चीनी मिलों को योगी सरकार के कार्यकाल में दोबारा संचालित कराया गया है।
लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार के चीनी एवं गन्ना विकास निगम की मिलों से भी अब सल्फरलेस चीनी का उत्पादन किया जाएगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आज बुधवार को सल्फरलेस चीनी उत्पादन की शुरुआत करने जा रहे हैं। मुंडेरवा और पिपराइच चीनी मिलों को 25-25 करोड़ के आधुनिक संयंत्रों के माध्यम से सल्फरलेस उत्पादन के लिए तैयार किया गया है।
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सीएम ने इन दोनों मिलों में चीनी उत्पादन शुरू कराया था
सीएम योगी आदित्यनाथ ने पूर्वांचल के गन्ना किसानों को बस्ती के मुंडेरवा और गोरखपुर के पिपराइच में चीनी मिलों का तोहफा दिया है। लंबे समय से बंद इन चीनी मिलों को योगी सरकार के कार्यकाल में दोबारा संचालित कराया गया है। मुख्यमंत्री ने इन दोनों मिलों में चीनी उत्पादन शुरू कराया था और अब ये दोनों मिलें चीनी उत्पादन के क्षेत्र में एक नया सोपान जोड़ने जा रही हैं।
पिपराइच व मुंडेरवा चीनी मिलें अब आज से सल्फरलेस चीनी का उत्पादन करेंगी। उत्तर प्रदेश राज्य चीनी एवं गन्ना विकास निगम लिमिटेड की दोनों चीनी मिलों में सल्फरलेस शुगर प्लांट लगाया गया है। चीनी मिलों में करीब 25-25 करोड़ रुपये के अत्याधुनिक प्लांट लगाए गए हैं। बुधवार को मुख्यमंत्री इन दोनों चीनी मिलों के नए प्लांट का शुभारंभ करेंगे। इस दौरान प्रदेश के गन्ना विकास व चीनी मिल विभाग के मंत्री सुरेश राणा भी मौजूद रहेंगे।
सीएम योगी का तोहफा हैं दोनों चीनी मिलें
उत्तर प्रदेश सरकार की कमान संभालने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पूर्वांचल के गन्ना किसानों को दोनों चीनी मिलों को तोहफा दिया थ। गोरखपुर-बस्ती मंडल की पिपराइच व मुंडेरवा चीनी मिलों का पेराई का लक्ष्य 65 लाख क्विंटल है, दोनों ही मिलों की 50-50 हजार क्विंटल गन्ना पेराई प्रतिदिन की क्षमता है।
25-25 करोड़ रुपये की लागत की टरबाइन
सल्फरलेस चीनी बनाने के लिए पिपराइच व मुंडेरवा की चीनी मिलों में अत्याधुनिक टरबाइन लगाई गई है। इनके निर्माण पर तकरीबन 25-25 करोड़ रुपये की लागत आई है। नई टरबाइन में चीनी की सफाई के लिए कार्बन-डाई-ऑक्साइड का इस्तेमाल होगा। यह कार्बन डाई-आक्साइड चीनी मिलों को डिस्टिलरियों से मुफ्त मिल जाएगी। उत्तर प्रदेश में पहली बार निगम क्षेत्र में सल्फरलेस चीनी का उत्पादन होने जा रहा है। सल्फरलेस तैयार की जाने वाली चीनी की निर्यात की संभावनाएं अधिक होती है।
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स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह है सल्फऱ
चीनी उत्पादन की परम्परागत तकनीक में गन्ने के रस को साफ करने के लिए चूने के साथ ही सल्फर डाई ऑक्साइड का इस्तेमाल होता है। चीनी बनने के बाद भी सल्फर का कुछ अंश इसमें रह जाता है, जो स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह है। इसकी वजह से विदेशों में सल्फरयुक्त चीनी प्रतिबंधित है।
रिपोर्ट- अखिलेश तिवारी
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