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किसान आंदोलन का पैकअप! भारतीय किसान यूनियन ने कहा- आंदोलन से होगें बाहर
नरेश टिकैत की माने, तो किसान तो वे थे नही, किसानों के रूप में एक भेड़िया ही कहेंगे। दिल्ली में हुए हिंसा को देखते हुए किसान काफी शर्मिंदा हुए हैं। वहीं लाल किले पर संगठन का झंडा फहराने को लेकर उन्होंने जांच की मांग की है।
मुजफ्फरनगर: 26 जनवरी को किसान आंदोलन की आड़ में दिल्ली में हुई हिंसा के बाद अब किसान आंदोलन भी कमज़ोर पड़ता दिखाई दे रहा है। कई किसान संगठनों ने इस आंदोलन से अपना नाता ख़त्म कर दिया है, जिसके बाद अब भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश टिकैत ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि जब 40 संगठन है उसमें से निकल जाएंगे तो रही क्या जाएगा। हम भी हटा लेंगे। जब ऐसे उसमें किसान भाग रहे हैं तो हम ही उसमें अकेले क्या करेंगे।
दिल्ली हिंसा से शर्मिंदा हुए आम किसान
नरेश टिकैत की माने, तो किसान तो वे थे नही, किसानों के रूप में एक भेड़िया ही कहेंगे। दिल्ली में हुए हिंसा को देखते हुए किसान काफी शर्मिंदा हुए हैं। वहीं लाल किले पर संगठन का झंडा फहराने को लेकर उन्होंने जांच की मांग की है। नरेश टिकैत ने कहा है कि वह कौन आदमी है और उनसे किसके कहने पर ये सब किया और ऐसा कार्य करके निकल गया। उस व्यक्ति पर अब FIR क्यों नहीं हुआ? वह कहां पर है, किसके कब्जे में है, क्या उसका उद्देश्य था जैसे तमाम सवाल उठ रहे हैं। उस हिंसा ने पूरी किसान बिरादरी को बदनाम कर दिया है।
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हिंसा की हो जांच
टिकैत के मुताबिक, कुछ ट्रैक्टर तो वहां पकड़ रखे हैं उनकी जांच होनी चाहिए। वे कहां के ट्रैक्टर हैं उसकी पूरी जानकारी निकाली जाए और जो कार्यवाही बनती होगी और जो केस राकेश पर होगा, वह भी तैयार रहेगा। परंतु हमारे पर किस बात का केस बनाया जा रहा है। हम तो जनता के लिए ही तो कर रहे हैं हमारा तो कोई निजी मामला नहीं है और ना ही सरकार का हमारा कोई विरोध नहीं है। हम सरकार की नीतियों का विरोध कर रहे है और इसका विरोध हम करते रहेंगे।
हम कदम ले लेंगे पीछे- नरेश
नरेश टिकैत ने आगे कहा कि बीएम सिंह भी घर के ही आदमी है। ऐसे समय में उन्होंने हाथ खींच लिया। जब 40 संगठन है उसमें से निकल जाएंगे तो रही क्या जाएगा। हम भी अपना कदम पीछे ले लेंगे। हमारे ही कौन सी थिप रही है। जब ऐसे उसमें किसान भाग रहे हैं तो हम ही उसमें अकेले क्या करेंगे।
'4 साल से गन्ने का रेट नहीं बढ़ा'
वहीं टिकैत ने रहा कि चुनाव को लेकर किसान क्या निर्णय लेते हैं। 4 साल से गन्ने का रेट नहीं बढ़ा, बिजली महंगी हो गई है तो किसानों के मन में कहीं ना कहीं जगह है। पंचायत तो होती है। मायावती वाले मामले में भी हुई थी। पंचायत में जरूर कोई फैसला लिया जाएगा। ऐसा नहीं है कि कोई भी फंदा अपने गले में डलवा लेंगे गिरफ्तारी होने दो तो देखेंगे। उन्होंने कहा कि हमारे किसान सीधे-साधे हैं। उन्हें इतना नहीं पता कि वह किस तरह की बात होगी, कितने दिनों से प्लान बन रहा था, क्या होगा मामला का, क्यों 26 जनवरी का ही दिन चुना गया। इसमें तो कुछ ना कुछ गंभीर समस्या है। पर्दे के पीछे कुछ और ही बात है।
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रिपोर्ट- अमित कल्यान
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