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हुए रोटी को मोहताज: यहां फंसे हुए हैं नेपाली परिवार, मदद की लगाई गुहार
किराए के मकानों में रह रहे 30 से ज्यादा नेपाली परिवार सर्दियों के मौसम में मसाले, जड़ी-बूटियां, हींग, कपड़े आदि बेचने के लिए आए थे।
सहारनपुर: केंद्र की मोदी सरकार प्रवासी श्रमिकों को लगातार घर वापस भेज रही है। इसके लिए बाकायदा श्रमिक स्पेशल एक्सप्रेस ट्रेनें भी चलाई गई हैं। परिवहन निगम की बसों का भी सहारा लिया जा रहा है। वहीं दूसरी ओर पिछले दो महीने से लॉकडाउन में फंसे हुए नेपाली परिवार अपने देश जाने की सरकार से गुहार लगा रहे हैं। जिले में 30 से ज्यादा नेपाली परिवार न सिर्फ आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं, बल्कि भूखमरी के कगार पर पहुंच गए हैं।
150 से ज्यादा नेपाली नागरिक खाने को मोहताज
इन परिवारों ने बताया कि नगर निगम से मिलने वाले खाने के पैकेट की आपूर्ति भी बंद हो गई है। पैसे खत्म होने से मकान मालिक भी घर से निकालने की धमकी दे रहे हैं। महिलाओं बच्चो के साथ एक वक्त खाना खाकर गुजर बसर करने को मजबूर हैं। दरअसल थाना नगर कोतवाली इलाके के शोहराब रोड़ पर किराए के मकानों में रह रहे 30 से ज्यादा नेपाली परिवार सर्दियों के मौसम में मसाले, जड़ी-बूटियां, हींग, कपड़े आदि बेचने के लिए आए थे।
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सर्दियां खत्म होते ही कोरोना वायरस की वजह से 22 मार्च को जनता कर्फ्यू और 25 मार्च से लॉकडाउन के बीच फंस गए। नेपाली महिलाएं, पुरुष और बच्चों समेत 150 से ज्यादा नेपाली नागरिक लॉकडाउन में फंस कर रह गए।
नेपाल बॉर्डर तक पहुँचने की लगाई गुहार
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दो महीने घरों में कैद रहने के बाद इनके पास जमा पूंजी और खाने-पीने का राशन भी खत्म हो गया। जैसे-तैसे नगर निगम की ओर से कुछ लोगों को खाने के पैकेट मिलने से थोड़ी राहत जरूर मिली। लेकिन कुछ दिन बाद वे भी बंद हो गए। जिससे नेपाली परिवारों के सामने आर्थिक संकट की स्थिति पैदा हो गई। 60 दिन से ज्यादा लॉकडाउन में रहने के बाद बेबस नेपालियों के सब्र का बांध टूट गया और इन्होंने घरों से बाहर निकलकर अपने देश नेपाल बॉर्डर तक भिजवाने की गुहार लगाई।
नीना जैन