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निर्जला एकादशी का व्रत आज, इस एकादशी का व्रत साल की 24 एकादशियों के बराबर है
गंगा दशहरा के बाद आने वाली एकादशी को निर्जला एकादशी कहा जाता है। हिंदू धर्म में निर्जला एकादशी का व्रत सबसे कठिन मान जाता है। क्योंकि इस दिन आपको भोजन के साथ पानी का भी त्याग करना पड़ता है।
नई दिल्ली: गंगा दशहरा के बाद आने वाली एकादशी को निर्जला एकादशी कहा जाता है। हिंदू धर्म में निर्जला एकादशी का व्रत सबसे कठिन मान जाता है। क्योंकि इस दिन आपको भोजन के साथ पानी का भी त्याग करना पड़ता है।
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धर्म शास्त्रों के अनुसार इस व्रत को करने से व्यक्ति के जीवन के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। इस दिन पूरे विधिविधान से भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। आज निर्जला एकादशी है ऐसी मान्यता है कि आज के दिन इस व्रत को पूरे विधिविधान से रखने से आपके जीवन के हर संकट दूर हो जाएंगे और जीवन में खुशहाली आएगी। ऐसे में हम आपको पूजा का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और कथा के बारे में बताने जा रहे हैं।
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निर्जला एकदशी का महत्व
हिंदू पंचांग के मुताबिक, साल में 24 एकादशियां पड़ती हैं, लेकिन निर्जला एकादशी का सबसे अधिक महत्व है। इसे पवित्र एकादशी माना जाता है। मान्यता है कि इस एकादशी का व्रत रखने से सालभर की 24 एकादशियों के व्रत का फल मिल जाता है, इस वजह से इस एकादशी का व्रत बहुत महत्व रखता है।
निर्जला एकादशी का शुभ मुहूर्त
एकादशी 12 जून को शाम 06:27 से शुरू होगी
एकादशी 13 जून को 04:49 समाप्त हो जाएगी
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निर्जला एकादशी व्रत कथा
पौराणिक कथा के अनुसार पांडवों के दूसरे भाई भीमसेन खाने-पीने के बड़े शौकीन थे। वह अपनी भूख पर नियंत्रण नहीं रख पाते थे। उन्हें छोड़कर सभी पांडव और द्रौपदी एकादशी का व्रत किया करते थे। इस बात से भीम बहुत दुखी थे कि वे ही भूख की वजह से व्रत नहीं रख पाते हैं। उन्हें लगता था कि ऐसा करके वह भगवान विष्णु का निरादर कर रहे हैं।
अपनी इस समस्या को लेकर भीम महर्षि व्यास के पास गए। तब महर्षि ने भीम से कहा कि वे साल में एक बार निर्जला एकादशी का व्रत रखें। उनका कहना था कि एकमात्र निर्जला एकादशी का व्रत साल की 24 एकादशियों के बराबर है। तभी से इस एकादशी को भीम एकादशी के नाम से जाना जाने लगा।